बाजरा एक बहुउपयोगी फसल है। दाने प्राप्त करने के अलावा इसकी खेती हरी खाद प्राप्त करने के लिए भी की जाती है। इसके साथ ही इसका उपयोग पशुओं के चारे के तौर पर भी किया जाता है। इसके पौधे अधिक तापनमान सहन करने में सक्षम हैं। शुष्क क्षेत्रों में भी बाजरे की खेती आसानी से की जा सकती है। बाजरे की अच्छी पैदावार के लिए बुवाई का उपयुक्त समय एवं खेत तैयार करने की विधि की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम बाजरा की बुवाई के लिए उपयुक्त समय एवं खेत तैयार करने विधि पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त समय:
बाजरा की बुवाई रबी मौसम, खरीफ मौसम के अलावा गर्मियों में भी की जाती है।
खरीफ मौसम में इसकी खेती के लिए जुलाई महीने के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई करनी चाहिए।
रबी मौसम में इसकी बुआई के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय उपयुक्त है।
वहीं यदि गर्मियों में इसकी खेती करनी है तो मार्च से अप्रैल के मध्य तक इसकी बुआई की जा सकती है।
खेत तैयार करने की विधि:
खेत तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से एक बार गहरी जुताई करें। यह जुताई करीब 10 से 12 सेंटीमीटर गहरी होनी चाहिए।
इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
जुताई के बाद खेत में पाटा लगाएं।
इससे मिट्टी समतल एवं भुरभुरी हो जाएगी।
बेहतर पैदावार के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
यदि खेत में दीमक का प्रकोप होता है तो खेत की आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम फोरेट मिलाएं।
खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
प्रमुख किस्मों:
राज 171 : इस किस्म को एम.पी 171 भी कहा जाता है। इसे तैयार होने में 85 दिन समय लगता है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 170 से 200 सेंटीमीटर होती है। इसके दानों का रंग हल्का पीला होता है। प्रति एकड़ जमीन से 8 से 10 क्विंटल दानें और 18-19 क्विंटल चारा प्राप्त होता है।
पूसा 322 : यह बाजरे की प्रमुख किस्मों में से एक है। इसे पकने में लगभग 75 से 80 दिन लगता है। इसके पौधों की ऊंचाई जमीन की सतह से 150 से 210 सेंटीमीटर ऊपर होती है। प्रति एकड़ जमीन से 10 से 12 क्विंटल दाने और 16 से 20 क्विंटल चारा की पैदावार होती है।
एएचबी 1200 : यह संकर किस्मों में से एक है। खरीफ मौसम में खेती करने के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इसमें आयरन की प्रचुर मात्रा होती है। इसकी खेती मुख्य रूप से हरियाणा , राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में की जाती है। इस किस्म की खेती करने पर आप प्रति एकड़ खेत से 28 क्विंटल सूखा चारा प्राप्त। इसे लगाने के बाद लगभग 78 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।
जी एच बी 732 : यह देर से पकने वाली किस्म है। पौधों की ऊंचाई माध्यम होती है। इसके दाने मोटे होते हैं। इस किस्म को पकने में 81 दिन का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि से 12 क्विंटल दाने और 31 क्विंटल चारा प्राप्त होता है।
पूसा 23 : इसे एम.एच 169 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म के पौधे माध्यम लंबाई यानि करीब 165 सेंटीमीटर के होते हैं। इसकी पत्तियां चमकीली होती हैं। यह किस्म लगभग 80 से 85 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है। प्रति एकड़ जमीन से 8 से 12 किलोग्राम दानों की पैदावार होती है।
इसके अलावा हमारे देश में बाजरे की कई अन्य किस्मों की खेती भी की जाती है। जिनमे जी.एच.बी 719, आर.एस .बी 177, एम.पी.एम.एच 21, बी.डी- 111, बी.जे- 104, एच.बी 2, एच.बी 3, एम.बी.एच 15 आदि किस्में शामिल हैं।
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14 июн 2021