आनंद परमानंद आनंद सत्संग आश्रम झांसल सतगुरु सत्यानंद जी महाराज का सत्संग और परवचन ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-S7mQf6i1pag.htmlsi=Q_nKlPAI7-09oTng ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-JmImFauicYc.htmlsi=EUCvsdaww8rHJ2tj
नाम गुरू से मिलता है ।गुरू शब्द का भेदी गुरू है । मुझे तो वह भेद मिल चुका है ।नाम से ही शब्द का मार्ग मिलता है ।नाम तो मैं भी जानता हूँ । लेकिन मेरा मक्सद शब्द है ।मुझे नाम से वास्ता नहीं है । फिर भी जो गुरू चाहे वह कर सकता हूं ।शब्द ज्ञान नाम पूरा हो जाने शब्द ब्रह्माण्ड या आकाश में शब्द खुलता है ।यह जाना जाता है ।मेरे माता पिता मर चुके हैं फिर भी जीवन जीना बाक़ी है ।