बिजली और बंदूक की गोली दोनो एक जैसा है दोनो में सॉरी बोलने का मौका नहीं मिलता बिजली विभाग के बहादुर कर्मचारी को दिल से धन्यवाद सुपर रिपोर्टिंग तिवारी जी
बिजली विभाग में काम करना कोई आम बात नहीं है, क्योंकि इसमें जनता की गाली भी सुननी पड़ती है, कोई इनका दर्द नहीं समझता, दिन क्या रात क्या कुछ भी समझ मे नहीं आता है, दिन रात काम करना पड़ता है। तिवारी सर आपने बिजली विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों का दर्द समझा और आपने इस न्यूज चैनल के माध्यम से लोगो को कुछ कुछ चेतावनी दी, इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
बहुत बहुत धन्यवाद तिवारी सर कोई भी मीडिया वाले बिजली कर्मचारी दर्द नहीं समझते हमारे ज़िन्दगी और मौत के बीच दो इंच का फासला रहता है सुबह जाते हैं तो शाम को वापस घर आएंगे के नहीं।हम लोग नौकरी नहीं जनता का सेवा करते हैं कोई टाइम नहीं ना कोई संडे ना मडे हमारे भी परिवार है ।
सर मै भानुप्रतापपुर ब्लाक से हूँ मै भी इसी धरमपुरा ऑफिस मे 9 महीना तक काम किया हूँ। कभी कभी तो फाल्ट नही मिलने पर रात रात भर फाल्ट ढूंढ़ना पड़ता था बहुत परेशान होते थे।।
सही बात है आम पब्लिक समझते नहीं है। लाईट गुल हुआ तो फोन लगाकर परेशान कर देते है। मैं खुद सरपंच हूं पब्लिक से परेशान रहता हूं। कि पब्लिक समझते नहीं । लाईट गुल होने से जितना आम पब्लिक परेशान होता है उससे कहीं जादा कर्मचारी परेशान रहता है उसे ठीक करने में।❤❤❤सलाम है हमारे बिजली विभाग के सभी कर्मचारी को
मैं सुकमा जिला मुख्यालय में दो साल लाइनमैन (संविदा) के पद पर नौकरी की है मेरे मन में नौकरी छोड़ने का रास्ता तय किया एंड मैने इस्तीफा दे दिया, बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है,रात हो या दिन बराबर बिजली देने का प्रयास करते है, पर प्रकृति का नियम है कही पेड़ गिरना,तार टूटना,एंड अन्य
विद्युत ठेका कर्मी को दिन का 300 रुपिया मिलता है i t i bale ko 12000 rupiya mahine ka milta hai kam dono बराबर करते है बीमा का कोई प्रावधान nhi hota hai समय मैं pement nhi hota hai अभी सुकमा bale ka 4 महीने का pement nhi huaa hai पेमेंट डालने के लिए भी ठेकाधार 500 रुपए महीने का लेता है काम करने के लिए भी 15000 रुपए दिया हूं तब जाकर ठेकाकर्मी के रूप मै काम कर रहा हूं
दिल से सैल्यूट है विकाश सर आपने हमारे लिए हम सभी बिजली कर्मचारी के लिए आप यह वीडियो लाए आए दिन बारिश के दौरान अधिकतर क्षेत्रों में अक्सर बिजली चली जाती है ,लेकिन क्यूं चली जाती है ये कोई नहीं समझते यहां तक कि खुद बिजली वाले के परिवार वाले और अन्य लोग कर्मचारियों को निकम्मा या फिर और कुछ शब्दो से लोग भला बुरा बोला करते है ,लेकिन फॉल्ट किन कारणों से आती है ये नही समझते बिना सोचे समझे परिस्थिति को जाने बिना ही बहुत कुछ बोल देते है,और तो और ऊपर से आजकल नेतागिरी भी बड़ गई है।
मैं खुद बिजली विभाग में लाइन परिचारक संविदा के पद पर 4 साल ड्यूटी किया hu , रात भर फॉल्ट खोजना पड़ता था कभी भी फॉल्ट आता था पानी गिरा मतलब लाइन में प्रॉब्लम आना लाजमी था हम लोग जान हथेली में रखकर काम करते थे, लेकिन आम लोग बार बार फोन करके परेशान भी krte थे मैं वहा विषम परिस्थितियों में रहकर परीक्षा की तैयारी किया और शिक्षक बन गया ......बहुत ही संघर्ष किए बिजली विभाग में 😢
तिवारी सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका। बिजली विभाग सिर्फ डाली की छटनी कर सकता है पेड़ को नहीं काट सकता। उसके लिए वन विभाग से परमिशन की जरूरत है। अन्यथा कार्यवाही विद्युत विभाग पर हो जाएगी।
बीजेपी सरकार जिम्मेदार है भाई साहब बीजेपी सरकार आने के बाद मन मानी चल रहा है भाई🎉 क्या करें सताके लालच में आकर कुछ भी वादा कर दिया करते है और निभाते नहीं है🎉🎉❤❤❤ समझदार को 🎉🎉इशारा काफी है❤❤❤
Tere biwi ko baccha paida nahi ho Raha hai....uske liye bhi BJp jimmedar hai....toda soach samjh ke comment Kiya Karo Bhai... sarkar chahe kisi ki bhi ho bijali ki problem to Rahti hi hai na😮😮😮😮😮
@@mohanthakur8445 फालतू का बकवास मत कीजिए। पांच साल तो कांग्रेस सरकार थी, उस समय बिजली विभाग के आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए क्या किया गया है महोदय.....???? भर्तियां नहीं हुईं, बाह्य स्रोत कर्मचारियों को स्थाई करने का जुमला दे कर भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बना था....... उड़ीसा में बाह्य स्रोत कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया हम देखते रह गए..... क्यों नहीं किया गया बाह्य स्रोत कर्मचारियों को नियमित.....???? यहां तक कि संविदा कर्मचारियों को भी नियमित नहीं किया गया है..... यह कौन सी राजनीति थी आदरणीय.....???? उल्टे हम बिजली कर्मचारियों के जितने भी यूनियन थे सबको कमजोर कर दिया गया है। ऐसे ऐसे नादिरशाही नियम लागू किया गया है कि पब्लिक डोमेन में भी हम अपना दुख दर्द शेयर नहीं कर सकते। भगवान करे कि आपके परिवार के किसी बंदे को बिजली विभाग में नौकरी जरूर मिले...... तब देखेंगे आपका यह सब राजनीतिक ज्ञान किधर किधर से निकलता है........ बड़ा आया कांग्रेस बीजेपी करने वाला तो
मेरे पापा भी लाइन मैंन हैगरियाबंद मे! रात मे बारिस या हवा तूफान मे लाइट बंद होता है तो बहुत परेशानी होता हे लोगो का बार बार फोन आता रहता हे!साथ मे मै भी परेशान रहता हु क्योंकि पापा के साथ जाना पड़ता है भाई टार्च दिखाने और गाड़ी चलाने के लिए
बहुत ही शानदार वीडियो और जानकारी है पर जगदलपुर व बस्तर ज़िले में बिजली की व्यवस्था बत्तर है, ओवर हेड केबल हो हटाकर अंडर ग्राउंड केबल की व्यवस्था की जाये जब 2000 करोड़ का सराब घोटाला हो सकता है तो इतने में तो अंडरग्राउंड केबल भी लग जाएगा
एक बंदे को मैच की देने को पढी है 😂गजब अरे भाई कमसे कम लाईट तो चालु हो जाए इसमे सरकार और सिस्टम की भी कमजोरी है जमीनी स्तर के करमचारी करे तो करें क्या सही मात्र मे समान उपलबधा कराना चाहिए राहा सवाल झाड़ की तो वो प्रकृति आपदा है उसको कोन रोक सकता है
मै विद्युत विभाग मे पदस्थ हूँ 20 वर्षो से लगातार सेवाएं दिया हुँ. कितनी राते मै अपने कर्मचारियों के साथ फील्ड मे गुजारा हुँ. हम सभी अपने परिवार को आंधी तूफान मे घर मे अंधेरे में छोड़ कर निकलते हैं.. लगभग हर रोज 1 कर्मचारी विद्युत दुर्घटना का शिकार होता है... मेरा मानना है हम ईश्वर के बाद एक ही विभाग है जो लोगों के जीवन मे उजाला लातें हैं..
Bijli vibhaag m 2018-se JE ki bharti 3 baar ho chuki, jabki fields m kaam krne k liye regular employees ki bhari kami h line ki permit lene regular employees nhi h,Congress sarkaar ne har 2 saal m sanvida karmchaariyon Regularaition nhi kiya , Logo ko kya h logo kaam h kahna,, jb ko jawaan marta h to shahid bola jata h, jb koi bijli karmchaari marta h to laperwahi m moit mara kah dete h....
बिजली विभाग में मैं भी काम मात्र 4ही दिन कर पाया था सोच सकते हो। कितना परेशान होना पड़ता है किसी को गाली देने से पहले सोच सकते हो कितना कठीन काम रहता है !
नमस्कार विकास भैया आप plz kabhi kanker आये स्थानीय ग्राम की समस्या को सरकार तक pahuchane m मदद कीजिये यहाँ विगत 5 वषोॅ से मूलभूत सुविधा पेय जल की समस्या से ग्रामीण जुझ रहे Tiwari sis की आग्रह.. पर
❤बहुत बहुत धन्यवाद दादा मैं भी बिजली विभाग से हैँ, हमारे कर्मचारी रात दिन काम करते हैं। कर्मचारी भी नहीं चाहते, की रात में जाना पड़े। पर प्राकृतिक घटनाओं को क्या करें।
ये व्यवस्था नई सरकार आने के बाद से बदतर हुई है। ये समस्या हल करने के तरीके निश्चित रूप से तकनीकी रुप से उपलब्ध है। परंतु यह प्रशासनिक अक्षमता का उदाहरण है। इस गलतफहमी मे कोई न रहे की इसका कोई हल नही है।
बिजली विभाग में एक तो आदमी नही है काम करने के लिए कर्मचारियों की बहोत कमी है एक लाइनमैन को 18 से 20 गांव को देखना पड़ता है अब वो क्या करे सब ठेकादरी जी भरोसे छोड़ दिए है ठेकादार कमा रहा है और अधिकारी कमीसन कमा रहा है आम जनता भुगत रही है
एक बार टेका कर्मचारियों के साथ एक वीडियो शूट कीजिए सर थोड़ा उनका हाल चाल उनका जीवन यापन किस तरह से चल रहा है काम तो सभी बार बार करते है एक्सीडेंट होने पर कोई बीमा नही मिलता है टेकाकर्मी को टेकेदार सब दबा देता है पैसा को आप से हम सभी टेका कर्मचारियों का विनम्र निवेदन है कि आप एक बार जरूर हम से मिलिए 🙏🙏🙏🙏
एक सब स्टेशन में 1 या 2 लाइनमैन रहते है और सविदा कर्मी भी बहुत कम है पूरा बिजली विभाग टेका से चल रहा है टेका कर्मचारियों को 11/33 हजार जो लाइन है उसमे अपना जान को जोखिम में डालकर लाइन को मेंटेंस करना पड़ता है
Sir आप अभी अंदर रहते हो लेकिन हमारी तरफ तो सरकार ही बजली चोरी करती है, और प्लांट वालो को बेचते है।हमारे तरफ 5 सीमेंट प्लांट है हर का लोड 80 से 40 मेगावाट की खपत होती है , बलौदा बाजार में सुहेला वालो की बता है।
ठेकाकर्मी का वेतन 10 _11 हजार रूपए रहता है ठेकेदार उनको सिर्फ 7 हजार ही देता है ये हाल लगभग पूरे छत्तीसगढ़ में है। मृत्यु होने पर बीमा में मात्र 2 _3 लाख रुपए ही दिया जाता है ठेकाकेर्मियो को
Aur salary bhi bata dijiye iska kitna hai....isiliye to inko regular walo ko salary jyada Diya jata hai. Auro ki tulna me..aur Aniyamit Wale bhi regular ke barabar kaam krte hain lekin inko utna salary nhi Diya jata hai
तिवारी दादा मैं भी तो अभी बचेली आया हूं 3 दिन हो गया है आपसे मिलने के लिए दंतेवाड़ा गया तो वहां उधर तो आप नहीं मिले आपका मोबाइल नंबर रहता तो आपसे बात हो जाता मोबाइल नंबर नहीं है
तैयारी पहले से रखो, सब चीज up to date रखो,नौबत ही नही आएगी गाली खाने की।। बड़े बड़े अधिकारियों के निवास क्षेत्र की बिजली तो नही जाती।। माना काम है आपका जोखिम ,जिम्मेदारी भरा पर आप ही लोग अलाल है जो काम का बोझ बढाते जाते हो,आप लोगो की नींद बिजली कटने पर ही खुलती है।।।
15 दिन टाइम निकाल कर बिजली कर्मचारियों के साथ घुमियेगा।आपको खुद ब खुद पता चल जाएगा।मेन चीज विद्युत विभाग में वर्तमान में रिक्त पदों पर भर्ती न होने की वजह से कर्मचारियों की कमी एवं समान की भी भारी कमी है। किसी-किसी वितरण केन्द्र में तो 6 से 8 कर्मचारी तैनात हैं। उसमें फीडर होते हैं 4 से 5 । प्रत्येक फीडर में लगभग 2 कर्मचारी। ऐसे परिस्थिति में भला कैसे काम कर पायेंगे।
@@manukumarsahu8506 कब तक मानवता का धर्म निभाओगे,आओ बेरोजगारों के साथ मिलकर भर्ती लेने की मांग करे जिससे कर्मचारी बढ़ेंगे,लोड कम होगा आप लोगो पर।।। वरना फिर काम का बोझ तो होगा ही,लोग गाली तो देंगे ही,मानवता निभाना तो पड़ेगा ही दिन रात।।।