बड़ी दुर्गा पूजा समिति के सचिव देवनंदन प्रसाद ने कहा कि मंदिर की स्थापना काल तो पता नहीं है ,लेकिन लगभग 400 सालों से मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है। सबसे खास बात यह है कि हर वर्ष मां का स्वरूप एक जैसा ही रहता है। कई कलाकार बदले लेकिन मां का रूप नहीं बदला। उन्होंने कहा कि बड़ी दुर्गा की प्रतिमा की विशेषता है कि मां को जिस रूप से आप देखेंगे मां उसी रूप में आपको नजर आएगी। बड़ी दुर्गा महारानी की तस्वीर भी विशेष महत्व रखता है। माता की तस्वीर बिहार ही नहीं भारत के अन्य प्रदेशों के अलावा विदेशों में भी श्रद्धालुओं आस्था के साथ अपने घरों में रखते हैं। वहीं, मां की प्रतिमा 32 कहारों के कंधे पर सवार होकर विसर्जन के लिए निकलती है।
दशहरा का आगाज होते ही श्रद्धालु भक्ति के रस में डूब जाते हैं. माहौल में दुर्गा स्तुति का पाठ गुंजायमान होने लगता है. नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के स्वरूपों की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. बिहार के मुंगेर के भी लोग मां दुर्गा की पूजा में लीन हैं. यहां के शादीपुर मोहल्ले में बड़ी दुर्गा महारानी की भव्य मंदिर अवस्थित है जहां नवरात्र में बड़ी दुर्गा महारानी की लगभग 25 फीट की भव्य और आकर्षक प्रतिमा बनाई जाती है. भक्तों का कहना है कि पूरे भारत में बड़ी दुर्गा महारानी की प्रतिमा सबसे अलग दिखती है और काफी शक्तिशाली है. श्रद्धालुओं का यह भी कहना कि बड़ी दुर्गा महारानी से मांगी मुरादें कभी अधूरी नहीं रहती.
हमारे चैनल पर नए हैं तो लाइक शेयर और जल्दी से हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर दें 🙏🏻
21 сен 2024