थैंक्यू सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी सर आप ने हमे महान विचार शेयर किया ओर हमे हमारे जीवन के कल्याण के लिये भगवान् बुद्ध को ग्रह प्रवेश करवाया सर आपका बहुत-बहुत स्वागत है
💐💐💐जयभीम नमोबुध्दाय, अक्सर लोग यह कहते हैं। कि बौद्ध धम्म में भी तो मूर्ति रखकर पूजा करते हैं। ऐसा नही बौद्ध धम्म के अनुसार जब वंदना की जाती है , बुद्ध को नमन किया जाता है।तो उस समय कुछ वस्तुओं को हम उपयोग में लाते हैं। जैसे बुद्ध की प्रतिमा/ बोधिसत्वों के समक्ष फूल,मोमबत्ती,अगरबत्ती,आदि रखते हैं इन हर बस्तु का एक अर्थ होता है।आईये हम विस्तार से चर्चा करते हैं। जिससे आपके प्रश्नों का समाधान हो सके। हम तथागत बुद्ध की प्रतिमा का उपयोग एक प्रतीक (Symbol) के रूप में करते हैं।मूर्ति का चलन बुद्ध के लगभग 500 वर्ष के बाद उनके गुणों और स्वभाव के आधार पर चलन में आया। कि बुद्ध ऐसे होगे। अब आप समझ गये कि बुद्ध की मूर्ति की पूजा नही होती उनके गुणों ,ज्ञान की पूजा वंदना होती है। आने वाली पीढी यह जान सके कि बुद्ध ऐसे होगे। (1) हम फूल उपयोग में लाते हैं। फूल सजावट के लिए नहीं रखे जाते।इनका अपना महत्व है।फूल अनित्यता का प्रतीक है।अर्थात संसार में जो कुछ उत्पन्न हुआ है। वह स्थाई नहीं है।वह एक दिन अवश्य नष्ट होगा। आज की अवस्था कल की अवस्था वैसी ही नही रहेगी।आज का खिलता हुआ सुंदर फूल कल मुरझाने वाला है।यह फूल अनित्यता का संकेत देता है।(2 ) मोमबत्ती की लो चारों ओर प्रकाश फैलाती है। इस प्रकार प्रकाश चारों तरफ प्रकाश फैलाकर अंधकार को दूर करता है। प्रकाश रूपी सत्य (प्रज्ञा) अंधकार रूपी अविधा ( मोह,अज्ञान) का विनाश करता है।(3 ) हम अगरबत्ती उपयोग में लाते हैं।अगरबत्ती अपनी सुगंध से पूरे कमरे को भर देती है। इसी प्रकार शीलवान व्यक्ति का जीवन संसार में गौरवान्वित होकर अपने अच्छे पुण्य कर्मो की सुगंध लोगो की भलाई के लिए बिखेरता है। इस प्रकार हम फूल, मोमबत्ती,अगरबत्ती, को बुद्ध और बोधिसत्वों के प्रति भैट स्वरूप समर्पित कर भाव व्यक्त करते हुए कृतज्ञता प्रकट करता है। नमन करने के लिए बुद्ध प्रतिमा के समक्ष पंचाग प्रणाम करना चाहिए ,प्रत्येक उपासक, उपासिका के लिए दोनो हाथ,सिर ,दोनो पैर के माध्यम से नत मस्तक होकर प्रणाम-वंदना करना चाहिए। इसलिए नमन करना,फूल,मोमबत्ती,अगरबत्ती का उपयोग अंधविश्वास और अंधश्रदा नही है। बल्कि उच्च आदर्शो के प्रति सम्मान है। इस प्रकार यह प्रदर्शन नही है।बल्कि सकारात्मक भावना अथवा सकारात्मक कुशल भावना विकसित करने के लिए हमारा अभ्यास है। इसलिए कुछ मानने से पहले उसके बारे में जानना जरूरी है।तर्क की कसौटी पर उतारना जरूरी है। इसलिए पहले जानो ,फिर छानो, फिर मानो। 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🤝साधुवाद टी.आर.भास्कर महासचिव बोधिसत्व बुद्ध विहार चांदखेडा अहमदाबाद गुजरात
Very nice and authentic writing especially about flowers and all thank you very much for your time and appreciation Mangal metta sukhi dighaiko bhwantu sadhuwad anumodani
Yeh sab sanatan dharm ka hi hai, jo sanatan dharm se chura liya hai aur naya dharm bata rahe ho, Ambedkar ne buddha ne murti pooja ke liye mana kiya hai toh kyun karte ho, murti pooja sanatan dharm ke log karte hai, prakrati ki pooja bhi Sanatan Dharm ke log karte hai, chand, suraj, nadi pahad, pedpoothe, naag, gaaye, aadi ki pooja bhi Sanatan Dharm mai hoti hai, tum log wahi sab karte ho, jai shree Ram Jai Sanatan Dharm Jai Hind Jai Bharat 🙏
मे बुधिस्ट हुं, मेरे नये घर की पूजा करणी है, लेकीन मेरे गांव मे 99% लोग हिन्दू मराठा है क्या इस बौध्द पद्धती से उन्हे आहात पोहचेगी. और यह मे नही चाहता कृपया सलाह दिजीय
NAMO BUDHAY NAMO DHAMMAY NAMO SANGHAY BHAVATU SABB MANGALAM VANDAMI BHANTE JI VANDAMI BHANTE JI VANDAMI BHANTE JI SADHU . SADHU . SADHU . JAI BHIM ..... JAI BHARAT .....