HA HA HALALA 😂 🤣 😆 😄 4 WIFE IS LAW BY KONGRESS पाकिस्तान ने सभी पूजा धर्म खत्म कर दिए (लेकिन वहां 4 पत्नी हलाला है)। यहां जय भीम फोटो पूजा...जय भीम मूर्ति पूजा..जय हो बुद्ध पूजा...जय संविधान पुस्तक पूजा
प्रिय देशवासी बन्धुओं आप सभी लोगों ने हाल में कुछ महीने पहले तथागत बुद्ध ऐतिहासिक धरोहर स्थल साकेत _अवध में प्राचीन बावरी बुद्ध विहार को भाजपा नरेंद्र मोदी सरकार ने नष्ट कराकर वहां अयोध्या राम मन्दिर है। अयोध्या खुदाई में प्राप्त अभी बुद्ध अवशेषों को लाक डाउन में नष्ट करवा कर वहां मनमाने ढंग से राम मन्दिर बनाने को मा ०सुप्रीम कोर्ट ने सहयोग दिया। साक्ष्यों एवं प्रमाणों के आधार पर अयोध्या ऐतिहासिक बौद्ध स्थल है। यदि मा ०प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी में कुछ नैतिकता ईमानदारी बची है तो ऐतिहासिक बुद्ध विरासत बौद्ध स्थल जैसे विहार प्रदेश का महाबोधि विहार (मन्दिर) जहां तथागत भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। उस महाबोधि विहार बुद्ध मन्दिर पर मानवता विरोधी मनुवादियों का कब्जा हटाकर। मानवतावादी बुद्ध अनुयाइयों बौधिष्ठों को प्रदान करें । इसी तरह संकिसा आदि अनेकों बौद्ध स्थलों को मानवता विरोधी मनुवादियों से मुक्त कराएं। यदि इन ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों पर जबरन अवैध कब्जा करने वाले लोगों को तत्काल जल्द से जल्द वहां से अवैध कब्जा मा ०प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी नहीं हटवाते हैं तो मानवतावादी प्यारे देशवासियों को भली भांति जान लेना चाहिए कि वर्तमान मा ०प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी भगवान बुद्ध का नाम लेकर बौद्ध स्थलों को मिटवा (नष्ट) कर रहे हैं। जो एक नम्बर के झुठ्ठा, जुमलेबाज , पिछड़ों दलितों (शूद्रों) के हकाधिकार छीनने वाले नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री हैं। जय भारत जय संविधान जय विज्ञान। जय सम्राट अशोक महान जय भीम।😊
Nich OBC aur pandat ki koi baat seriously nai lene ka hum general category castes wale inko seriously nai lete toh phir Dalit adivasi inko kyo seriously lete ho yeh kaluve subse bade shudar aur varnashankar hai aur baat dusro ki kar rahe hai
जितने यह बुद्धिस्ट के बुद्ध विहार हैं पूजा स्थल बनाए हुए ब्राह्मण पूजा करवा रहा है वह सब बुद्धिस्ट की विरासत को बुद्धिस्ट को एससी एसटी ओबीसी को लौटा दिया जाए यह सबसे बड़ा काम है मोदी जी
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
मोदी जी तो एक नेता है इनको वोट लेना है ये सबके बारे अच्छा बोलेंगे ये अभी बुद्ध की बात करते है कल जो है ही नही उसकी भी तारीफ करने उनका तो विशाल मंदिर ही बना दिए
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
@@krishnabaitha7246 आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
कुछ नहीं ये सब राजनीति है ऐसा भाषण करके बहुजनो तथा बौद्धों का दिल जितना चाह रहा है मोदी ऐसे व्यक्ति के बहकावे में भूलकर भी ना आएं हमारे सीधे-साधे भोले-भाले भाईयो सावधान रहना सियरा वहीं है पोंछवा रंगइले बा ।
Namo budhay भगवान बुद्ध की वाणी में इतनी शक्ति हैं कि किसी का भी हृदय परिवर्तन कर सकता हैं बुध ही एकमात्र कल्याण का रास्ता है.... ये भगवान बुद्ध की धरती है ❤
पाली भाषा से मोदीजी का पुराना नाता है और जो भिक्षुगण तालियां बजा रहे हैं क्या उन्हें नहीं पता कि तालियां बजाने की बजाय साधु साधु साधु बोलने की परम्परा है इनमें भी आर एस एस के लोग हो सकते हैं बहुत से भिक्षु ऐसे हैं।
ये तो गिरगिट से भी आगे हैं । ब्राह्मणवाद को सबसे ज्यादा मजबूत करने वाला यही व्यक्ति है। हालाकि इन लोगों की सोच की विपरीत हो गया। इन्ही के शासन काल में बौद्ध विरासत का बहुत तेजी से उभार हो रहा है
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
इंन लोगोमे इतनी ताकद नही है यह लोग धम्म लिपी नही पढ पाये सम्राट अशोक ने शिलालेख लिखे वह पिल्लर को भीम की गदा बोल रहे जब अंग्रेज प्रिन्सेप ने पाली की खोज की तब ब्राह्मण नालायक साबित हुये
बुद्ध के देश में ऐसे बिजनेसमैंन टाइप स्वार्थी लोग हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने किसी न किसी स्वार्थ के लिए बुद्ध का नाम तो लेते हैं लेकिन उनके आचरण में बुद्ध की शिक्षाओं का अंश मात्र भी नहीं है। कुछ लोग अभिधम्म मंगल पर्व पर भी राजनीति करने से नहीं चूकते हैं बुद्ध राजनीति की वस्तु नहीं हैं बुद्ध की शिक्षाएं राजनीति करने के लिए नहीं, जनमानस के मंगल के लिए हैं।
विदेश में आपकेभाषण बुद्ध के प्रति सहानुभूति है। भारत भूमि पर,बुद्ध के प्रति समर्पण भाव में आप बहुत देर में आए हैं। आवश्यकता के अनुरूप आपका संरक्षण प्राप्त नहीं हुआ। आशा है बचे हुए समय में जरूर पूराकरेंगे।
नालंदा विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय बनवा दीजिए नालंदा विश्वविद्यालय बनवा दीजिए नालंदा विश्वविद्यालय बनवा दीजिए नालंदा विश्वविद्यालय बनवा दीजिए माननीय प्रधानमंत्री नालंदा विश्वविद्यालय बनवारी नालंदा विश्वविद्यालय बनवारी नालंदा नालंदा नालंदा तभी हमारे देश के विकास और प्रगति होगी प्रगति होगी प्रगति होगी
Recognition of Pali Language is a good decision of Government of India. The next step should be taken to free Bodhgaya from the illegal occupation by the Brahmins. Thanks.
महाशय एक दूसरे के विपरीत दिशाओं में चलने वाली दो नावों पर पैर रख कर क्यों चलना चाहते है? मन्दिर राम का बनाते हैं, भारत को बुद्ध की भूमि मानते हैं हिंदू राष्ट्र बनाने का समर्थन भी करते हैं। कैसे विश्वास किया जाये?
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
मोदी जी को आज आ रहा है।बुद्ध की याद पाली की याद ये आप लोगों की मेहनत है। वरना आज तक कोई प्रधान मंत्री बुद्ध के लिए एक शब्द नहीं बोले न पाली भाषा के लिए । ये संगठन का ही एक नमूना है आगे तो सभी प्रधान मंत्री बुद्ध के नाम लिए बिना प्रधान मंत्री नहीं बन सकता ऐसे रास्ता खुद बनाना पड़ेगा ।।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और श्री @Kiren Rijiju जी आपका आभार कि आपने बुद्ध और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा की और पाली-प्राकृत को सांस्कृतिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। कुछ महत्वपूर्ण माँगें हैं, जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है: 1. पाली-प्राकृत को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। 2. पाली-प्राकृत विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, जिनमें से एक विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में खोला जाए। 3. महाबोधि विहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपा जाए, और वहाँ २ 3/4 से अन्य समुदायों का हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। 4. महाराष्ट्र की बौद्ध लेणियों (गुफाओं) पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए और उन्हें बौद्धों के संरक्षण में सौंपा जाए। 5. तथागत गौतम बुद्ध की जन्म तिथि को नवीनतम पुरातात्विक तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जाए, क्योंकि नए प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्तमान तिथि से पहले हुआ था। 6. तथागत से पूर्व के बौद्धों को बौद्ध इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, विशेषकर उन लोगों को जिनके पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध हैं। 7. भारतीय पुरातत्व विभाग में बौद्धों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, जहाँ वर्तमान में ब्राह्मण समुदाय का प्रभुत्व है। 8. सभी बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को विश्व पर्यटन के लिए विकसित किया जाए, जिससे बौद्ध धरोहर की जानकारी पूरी दुनिया तक पहुँचे और भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। ये माँगें समय की आवश्यकता हैं, और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। केवल भाषणों से बदलाव नहीं आएगा, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि मेरे साथ अन्य लोग भी इन माँगों का समर्थन करेंगे। यह बुद्ध की धरती है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन RSS BJP इसे विष्णु का अवतार मानकर पूजते है....यह लोग वास्तविक history को बदलकर परोसना चाहते हैं
बुद्ध को बुद्ध भगवान के रूप में संबोधित नहीं किया जाए क्योंकि बुद्ध ने कहा था मुझे भगवान के रूप में नहीं ज्ञान के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करना अष्टांग मार्ग मध्य मार्ग को अपनाना भगवान नहीं बनाना मूर्ति पूजा नहीं करना
आप थोडा और अध्ययन करे भगवा भगवान भग्नवान ये शब्द पालि भाषा के है भग्ग रागो भग्ग दोसो भग्ग मोहो भगवाति राग द्वेष मोह को भग्न करने वाले को भगवान कहा जाता था महावीर स्वामी तथागत बुद्ध को ही उस काल मे भगवान कहा गया बाद मे बामनजमात ने इन दोनो का अवमूल्यन करने के लिए भगवान शब्द को ईश्वर का पर्यायवाची बना दिया और अपने हर ऐरे गैरे को भगवान कह कर सम्बोधित करना शुरु कर दिया
लेकिन देश में आज भी बहुत बड़ी आबादी गरीबों दलितों अदिवाषियों अल्प संख्यको भारतीय महिलाओं पर जाती धर्म के नाम पर हत्त्या, हो रही है जिसे मनुवादी मीडिया नहीं दिखाती हैं