रोशन कुमार जी। आप का प्रेम मय स्वागत है ।विषय असाधारण प्रक्रिति का है और पूज्य गुरु क्रिपालु जी का विषय पर निरूपण भी असाधारण प्रक्रिति का है।निरुपण का एक एक शब्दबहुतही महत्वपूर्ण है और चिन्तन का विषय है हमारे लिए। समझना होगा और वह भगवत प्राप्ती से सम्बध्द है उसका लाभ मिलेगा।
सू श्री जगधिशवरी दीदी के चरणों में प्रस्तुत विषय के सन्दर्भ में मै का नमन वन्दन है। विषय बहुतही विलक्षण प्रक्रिति का है। विषय के सन्दर्भ में पूज्य क्रिपालु जी का निरूपण भी असाधारण प्रक्रिति का है ।भगवान के क्षेत्र में रहने वाले भक्तों के लिए बहुतही कल्याणकारी है। ज्ञान मय है। हमको उसका चिन्तन करना है। गुरु क्रिपालु मम शरणम वनदेवन सद्गुरु चरणम ।राधे राधे राधे श्री राधे ।शेष फिर कभी ।तेरा ही रूप गुरु गोविंद राधे उनकी ही सेवा करू ऐसा बना दे।
पूजा जी। आप का प्रेम मय स्वागत है ।विषय असाधारण प्रक्रिति का है और पूज्य गुरु क्रिपालु जी का विषय पर निरूपण भी असाधारण प्रक्रिति का है।यह दुर्लभ शरीर भगवान की अकारण क्रिपा पर ही मिली है। आप सच्चा गुरु तलाशने मे समर्थ नही है तो भगवान की अकारण क्रिपा से गुरु भी मिलते हैं। अब हमारा लक्ष्य है भगवत प्राप्ती। भगवत प्राप्ती के निमित्त हम भगवान की भक्ति करते हैं। हरी गुरु की क्रिपा होती है। भक्ति और क्रिपा का सामंजस्य स्थापित है। पूज्य क्रिपालु जी का विषय पर जो बताया है उसको ध्यान में रखते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ना है। गुरु क्रिपालु मम शरणम वनदेवन सद्गुरु चरणम ।राधे राधे राधे श्री राधे।भक्त की भक्ति ही से दुर्लभ शरीर की उपयोगिता है। बस तू यानी भगवान मेरा और मै आत्मा तेरा का चिन्तन करते रहिए।