हर हर महादेव, आप सभी का हमारे कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनन्दन, भक्तों भारत की दिव्य भूमि पर अनेकों दिव्य मंदिर हैं, जिनकी अलग-अलग विशेषतायें हैं, इन्ही मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा भी है जहाँ एक बार दर्शन करने से ही सभी पापों का नाश हो जाता है, और मनुष्य को परम गति की प्राप्ति होती है, भक्तों यहाँ लोक परलोक के सब सुख भगवान महादेव की कृपा से अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं, इस स्थान पर भगवान शिव ने मानव काया में अवतार लिया था, और आज भी भगवान शिव इस मंदिर में प्रत्यक्ष रूप से विराजते हैं, तो आइये दर्शन करते हैं "काया वरोहण मंदिर अर्थात लकुलिश महादेव" जी के.
मंदिर के बारे में:
गुजरात राज्य के वड़ोदरा में काया वरोहण गांव जिसे कारवन भी कहते हैं जो वडोदरा से लगभग ३० किलोमीटर की दूरी पर है यहीं पर स्थित हैं "काया वरोहण महादेव मंदिर", ये बहुत ही प्राचीन एवं पौराणिक मंदिर है, इस मंदिर में स्थित महादेव को ""लकुलीश महादेव"" कहा जाता है, मंदिर में स्थित लकुलीश महादेव शिवलिंग निराकार-साकार रूप अद्युतिय परब्रह्म भगवान् शिव के ध्यान मग्न योगी के रूप का प्रतिनिधित्व करता है।
मंदिर का इतिहास:
भक्तो कायावरोहण को गुजरात का काशी कहा जाता है, इस दिव्य धाम को चारो युगो का धाम माना जाता है, कहा जाता है कि ये धाम सतयुग में इच्छापुरी, त्रेता में मायापुरी, द्वापर में मेधापुरी और कलयुग में कायावरोहण के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है की जब पृथ्वी धुरी बदलती है तब जहाँ भूमि होती है वहां समुद्र बन जाते हैं और जहाँ समुद्र होते हैं वहां भूमि आ जाती है पर ये स्थान जैसा है वैसा ही बना रहता है, यही इस दिव्य स्थान की महत्ता है। भगवन शिव ने यहाँ काया रूप में अवतरण किया था इसीलिए इसे कायावरोहण कहा जाता है, ये भोलेनाथ के ६८ महातीर्थों में से ५१ वा तीर्थ है, यहाँ विश्वामित्र ऋषि ने त्रेता युग में गायत्री मंत्र की सिद्धि की थी, और इसी गाँव में माँ सती के कंधे का भाग गिरने के कारण यहाँ यहाँ शक्ति पीठ स्कन्द वाहिनी माँ का मंदिर भी है, स्कन्द पुराण में इस स्थान के बारे में बताया जाता है कि प्रत्येक युग में इस धाम का नाम युग के अनुसार बदलता है, अब से लगभग साढ़े 5 हज़ार वर्ष पूर्व कलयुग के प्रारम्भ में भगवन शिव ने यहाँ मानव काया में एक बालक के रूप में अवतार लिया था इसलिए इस स्थान को कायावरोहण कहते हैं। यद्यपि मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना विश्वामित्र ऋषि ने साढ़े 17 लाख वर्ष पूर्व की थी, इसी शिवलिंग में भगवान् शिव ज्योति रूप बनकर समाहित हो गए थे, अब ये शिवलिंग भगवान का पूर्ण स्वरुप माना जाता है, भगवान जब ज्योति रूप मरीं इसमें समाये तभी से भगवन का ऐसा तेजोमय मुखमंडल स्वरूप इसमें प्रकट हुआ है, 12 ज्योतिर्लिंग के जैसे ही ये भी स्वयं तेजोमय शक्तिमान शिवलिंग है, जो इनके दर्शन करता है उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें परम गति की प्राप्ति होती है। भक्तो, ऐसी मान्यता है कि लकुलीश महादेव जी की परम्परा में सभी आचार्यो को भगवान् भोलेनाथ ने दर्शन दिए हैं, स्वामी करपालवानन्द जी को भी भगवान ने दर्शन देकर मंदिर के पुनरुत्थान की आज्ञा दी थी इसीलिए 1974 में करपालवानन्द जी के द्वारा मन्दिर का पुनर्निर्माण कार्य संपन्न हुआ था ।
मंदिर परिसर:
मंदिर का परिसर बहुत ही विशाल एवं सुंदर है, मंदिर में प्रवेश करते ही चारों और फैली हरियाली एवं विभिन्न प्रकार के पुष्प, पौधे और वृक्षावली मन को मोहित करने वाली है. मंदिर की शिल्प कला भी बहुत ही सुन्दर है, मंदिर की दीवारों पर बहुत सी मूर्तियां बनाई गयी हैं जो योग मुद्रा और योगासनों को दर्शाती हैं। मंदिर का निर्माण एक विशेष प्रकार के सुन्दर पथ्थर द्वारा किया गया है. परिसर के इस सुंदर दृश्य का आनंद लेते हुए श्रद्धालु मंदिर के गर्भ ग्रह की ओर प्रवेश करते हैं.
गर्भ गृह:
गर्भग्रह में लकुलीश महादेव अपने अद्भुद एवं अलौकिक रूप में विराजमान है, भक्तजन लकुलीश महादेव की पूजा एवं अभिषेक कर अपने समस्त संकटो से तर जाते हैं, और अपनी मनोकामनाओं की सिद्धि करते हैं, भक्तो यहाँ लकुलीश महादेव के मुखारविंद की पूजा होती है, कलयुग के आरम्भ और द्वापर के अंत में महादेव मानव काया में प्रकट हुए थे इसलिए यहाँ शिवलिंग में समाहित भगवान के उसी मानव रूप की उपासना की जाती है, गर्भ गृह में भगवन लकुलीश अति दिव्य शक्ति संचरित रूप में विराजित होकर लोगो को मनवांछित वर प्रदान कर रहे हैं। गर्भग्रह में माता पार्वती एवं शिवलिंग के सामने ही नंदी जी भी विराजमान हैं
श्रद्धालु गर्भग्रह में महादेव के दर्शन करने के पश्चात नीचे के तल में ब्रह्मलोक एवं विष्णु लोक में भी दर्शन करते हैं. जहाँ ब्रह्मा जी एवं विष्णु जी के कई स्वरूपों को बहुत ही सुंदर मूर्तियों के रूप में विराजित किया गया है. मंदिर प्रांगण में गणेश जी, हनुमान जी एवं देवी माता के भी मंदिर हैं. श्रद्धालु सभी देव देवियों का दर्शन पूजन पूरे भक्ति भाव से करते हैं.
मंदिर परिसर की ओर से योग शिविर का आयोजन भी किया जाता है जिसके माध्यम से समाज को योग से जोड़कर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ पहुँचाया जाता है। भक्तो मंदिर संस्था के द्वारा यहाँ यज्ञ शाला और भोजन शाला भी संचालित की गई है, मंदिर परिसर की ओर से ही विद्यार्थियों के लिए आईटीआई प्रशिक्षण कार्य चल रहा है, जिसमे अध्ययन कर विद्यार्थी अपनी जीविका सुचारु रूप से चला सके ।
श्रेय:
लेखक - याचना अवस्थी
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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15 сен 2024