Sant Shri Asaram Bapu Ji Satsang,
Ahmedabad Ashram, 28-Jan-2010
सत्संग के कुछ मुख्य अंश:
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जिसने सत्संग के द्वारा शुद्ध पुरुषार्थ नहीं किया, और जैसा मन में आया वैसा करने लग गया, वैसा खाने लग गया, फिल्म देखने लग गया, वो धीरे धीरे नीच गति को प्राप्त होता है...
कितना रावण ऊँचा था, लेकिन जैसा मन में आया ऐसा करा, तो गिर गया...
और शबरी कितनी साधारण थी; गुरु की आज्ञा में शबरी तत्परता से रही, सच्चाई से रही, पवित्रता से रही, तो कितनी महान हो गयी, मीरा कितनी महान हो गयी...
हयाति काल में इतनी प्रसिद्धि नहीं होती है; शबरी भीलन जब थी, तब थोड़े ही इतनी प्रसिद्ध थी; साईं बाबा शिरडी वाले थे तब इतनी प्रसिद्धि थोड़े ही थी जितनी अभी है...
तब तो उनको कोई रोटी नहीं देता था; जरा सा दिये के लिये घी मांगे तो लोग उनको डांट देवे; उनका भी कुप्रचार खूब हुआ जब हयाति में थे...
तो जिनका भी कुप्रचार खूब हुआ है, समझो उनके शरीर के बाद उनका यश भी बहुत फैलेगा...
जैसे नानक के साथ अत्याचार हुआ, तो नानक जी का यश कितना है...
ये सब गहरे मूल जिनके होते हैं, उनका कुप्रचार जोर करता है...
विवेकानंद का कुप्रचार ने जोर किया, विवेकानंद का देखो यश...
और ऐसे महापुरुषों को ऐसा होता भी नहीं कि हमारा यश रहे...
जिनको यश की परवाह नहीं होती, वो ही सच्चाई का पैगाम देते हैं, और उन्ही का सुप्रचार टिकता है...
योग वशिष्ठ सत्संग: श्रेष्ठ पुरुष वही है जिसने सत्संग और सत्शास्त्र द्वारा बुद्धि को तीक्ष्ण कर लिया...
जगत का उपयोग करे और भगवान से प्रीति करे, और भगवान के नाते भगवद-जनों का मंगल चाहे...
पुरुषार्थ करे और सद्गुरु का सानिध्य, सद्गुरु के दैवी कार्य को खोज ले...
ईश्वर की प्रसन्नता के लिये, मानवता के मंगल के लिये सेवा करेगा, तो भगवान खुश हो जाते हैं...
दुनिया की चीज़ें इकठ्ठी कर ली, ये कोई पुरुषार्थ नहीं है, कोई बहादुरी नहीं है;
आत्मा-परमात्मा का ज्ञान, शान्ति, सुख-दुःख में समता, भगवत-प्रसादजा बुद्धि - ये पुरुषार्थ है....
पूर्व के नीच संस्कारों को जीतने के लिये ऊँचे संस्कारों को हम महत्त्व दें, पुरुषार्थ न छोड़ें...
बुराई शाश्वत नहीं है, अच्छाई शाश्वत है; अच्छाई भगवान का स्वभाव है, और बुराई अहंकार और वासना का स्वभाव है;
वासना अनित्य है...
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Bhagvaan hi apne thhey, apne hain, aur apne rahengey...
Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit -
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30 мар 2017