धन्यवाद, आप सभी के कुछ काम आ सका यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है। अच्छे से मन लगाकर पढ़ाई कीजिये और जीवन में अनन्त ऊँचाईयों को छुइये यही ईश्वर से प्रार्थना है।
सर जी ! आपने कहा की भाषा कठिनता से सरलता की और बहती है। पर मेरा ऐक सवाल है। कया कोई बच्चा पहले कठिन भाषा समजता या बोलता है? या फीर सरल भाषा समजता या बोलता है? और भाषा का प्राकृत अर्थ कया होता है? और भाषा का संस्कृत अर्थ कया होता है?
अच्छा सवाल है। यहाँ बात बच्चे के भाषा सीखने की नहीं हो रही है। बच्चों को भाषा सिखाने के लिए अनेक नियम हिंदी भाषा के शिक्षण शास्त्र में दिए हुए है आप उन्हें देख सकते है। यहाँ बात हो रही है भाषा विज्ञान की। सबसे पहले तो यह समझना आवश्यक है कि भाषा विज्ञान है क्या?? तो भाषा विज्ञान वह शास्त्र है जिसमें हम भाषा के निर्माण, परिवर्तन, विकास आदि का वैज्ञानिक विधि से अध्ययन करते है। भाषा का प्रवाह अर्थात प्रारंभ की भाषा जो कि संस्कृत थी उसमें अग्नि शब्द है। जो उस समय के लोग आसानी से बोल लेते थे फिर धीरे-धीरे समाज के एक वर्ग को अग्नि बोलने में परेशानी हुई या किसी अन्य विकार से वह अग्गि हुआ फिर अग्ग हुआ फिर वही आग बन गया। इसी को कहा गया है कि भाषा का प्रवाह कठिनता से सरलता की ओर जाती है। एक और उदाहरण रामचंद्र को लोग रामचंदर बोलते है। सुरेंद्र सुरेंदर हो गया सूर्य सूरज हो गया। इसी तरह के अनेक उदाहरण आपको मिल जायेंगे।
@@MatriBhashaClasses सरजी !! मेने आपका विवरण पुरा पढा है। पर आप मेरे सवालको समज ही न पाये!!!ईसलीए मे फीर से आपको बच्चे के पास लेजाता हु!! चलीऐ साहबजी!! बच्चा सबसे पहले कौनसा आवाज बोलता हे?? स्वर या व्यंनजन ? पशु पंखीकी आवाजे भी स्वर या व्यनज मे होती ? आवाजे भाषाका रुप कब लेती हे? और कोई भी भाषा उसका शुद्ध स्वरुप कब लेती हे? भाषा सुसंसकृत स्वरुप कब लेती हे? और संसकृतका अर्थ कया होता हे?
गोहिल जी, यहाँ एक बात आपको समझना होगा कि भाषा सीखना या सिखाना अलग शास्त्र है जबकि भाषा के निर्माण, विकास एवं परिवर्तन को समझना अलग। भाषा के शिक्षण के लिए शिक्षण शास्त्र में विधि बताई गई है जबकि भाषा के विकास और निर्माण के विषय में भाषा विज्ञान में चर्चा की गई है। इसके लिए आप हिंदी शिक्षण की पुस्तके देख सकते है। यदि फिर भी समझ न आये तो आप पुनः प्रश्न पूछ सकते है।
नोट्स तो मेरे पास फिलहाल उपलब्ध नहीं है, क्योंकि अभी मैं घर से बाहर रह रहा हूँ। जब मैं घर जाऊँगा तब ही नोट्स उपलब्ध करा पाउँगा। फिलहाल के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।