2000 में क्या होने वाला है। ठंडा हो , या बरसात, यह तो गर्मी हो, 24 घंटा तैयार रहती है सहिया दीदी, कब किसी का फोन आ जाता है फोन आया मतलब जाना ही जाना, बाकी सारा काम होते ही रहता है। सहिया दीदी ही जानती है कि सहिया को क्या क्या काम करना पड़ता है। नई शहरी सहिया दीदीयों का भी बेतन बढ़ाना चाहिए +बढ़ाना चाहिए कम से कम 15 000 हजार रुपये। अपना भी तो परिवार है 2000 में क्या परिवार चल पाएगा।
राजतंत्र का यही गुलामी है जो कार्य करता है उनको ना कोई देखने वाला है ना ही कोई सुनने भाई उनका भी परिवार है बच्चे हैं पेट है जो कि बगैर कमाई चलते और मात्र 2000 सरकार देती है सही या बहनों को तो बताइए कैसे उनका घर नहीं अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा के लिए सोच सकती है और ना ही अपने बच्चों के लिए अच्छी पालन पोषण कर सरकार अगर उनसे कम लेती है तो काम के बदले दम भी देना उचित होना
हेलो मीडिया भाई हेमंत सोरेन पब्लिक को पहले पैसा दे या तो बाद में दें हेमंत सोरेन को टाइम ही कहां मिला काम करने के टाइम में तो इसको जेल में डाला गया तो फिर क्या करेगा इसके पास टाइम ही कहां रहा पब्लिक का पैसा पब्लिक में ही बांट रहा है इसमें से बीजेपी को क्या दिक्कत हो रहा है हम लोग पब्लिक हैं सब समझते हैं कौन क्या खेल कर रहा है
Jab duty karne walon ko kai log kewal duty karne name hai kam nahi hai job walo ko jab 80/90 hajar tak mahine ka de sakta hai to 1000 rupye q nahi de sakte