साधना जो हम कर रहे हैं वह किस दिशा और दशा में हैं ,यह जानना सदैव से साधकों की उत्कंठा रहती है ।आपने इस विषय पर बताकर उन जिज्ञासाओं को शांत किया है ।अपने आकर्षक वीडियो के जरिए बहुत ही उपयोगी कार्य कर रहे हैं।
आपके अनुभव परक ज्ञान से मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ। आपके मुखारविंद से श्रेष्ठ ज्ञान से साधकों के लिए अवश्य लाभ कारी साबित हो रहा है । आप साधुवाद के नही हृदय से आभार के पात्र हैं । आपको श्रद्धा से नमन है।
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुवर 🙏 शास्त्र संमत आपकी यह बातें सुनकर मन गदगद हो गया, कही कही तो सुनते सुनते आंखे भाव विभोर हो गयीं, शब्द नही है मेरे पास जिनसे में आपका धन्यवाद कर सकूं..आपको मेरा नमन है 🙏
मंत्र स्वयं शक्तिशाली होता है, वह किसी भी माध्यम से प्राप्त हो उसका जप करना चाहिए अवश्य ही उसका फल मिलेगा । हम थोड़े बहुत दिन मंत्र जप करके मंत्र को सिद्ध नहीं कर सकते क्यों कि पूर्वजन्मों के सञ्चित पापों के नष्ट होने पर ही मंत्र सिद्ध होता है । गुरु बनाना कोई आवश्यक नहीं है क्यों कि प्राइवेट पढ़कर भी कई लोग प्रथमश्रेणी में उत्तीर्ण होते हैं जब कि नियमित विद्यालय जाकर पढ़ाई करने वाला भी अनुत्तीर्ण हो जाता है । अतः स्पष्ट है कि मंत्र साधक का अपने ईष्ट के प्रति समर्पण एवं मंत्रों की आवृत्ति महत्त्वपूर्ण है न कि गुरु ।
अर्थात् जापक शास्त्राज्ञा का उल्लंघन करे? शास्त्र तो विधानानुसार मन्त्र जप की आज्ञा देता है, यदि शास्त्रानुकूल आचरण कष्टकारी है तो मन्त्र जप की क्या आवश्यकता है? जीवन में जो भी सन्मार्ग पर चलने में मार्गदर्शन करे उसे गुरुकी संज्ञा दी जा सकती है। आध्यात्मिक मार्ग में यह नियम थोड़ा परिष्कृत रूप से पालनीय होता है। शास्त्रानुकूल गुरुचयन से कोई हानि तो प्रतीत नहीं होती है कुछ न कुछ लाभ ही होता है। प्राय: पूर्वजन्म के संचित पापों का क्षय करने के लिए उद्योग तो आवश्यक है, स्वयंमेव वे नष्ट नहीं हो पाते हैं।
Sastra satya ka udghosak hai, parantu satya nahi hai. Isiliye sastro ko naye satya ko apnate hue pariwartan karna jaruri hai. Yeh jaruri nahi k sirf prachin kal k log, jinho ne sastra ka nirman kiya, wohi sarwa gyata thhe. Aisa hota to bigyan ka bikash nahi hota. Isiliye sab logo k tarkasangat bicharo par bichar karna chahiye.
I am doing Ma Kali mantra jap from few years,but have not received any Diksha for it,as I have not found a siddha guru yet.please can I come in your auspicious presence and receive it.I am already 68years old.If so,please send me your address and when I can come.,dr.manoranjan Kumar,Ludhiana(Punjab).
जय जगदम्बा, You are always welcome. Please share the name of the mantra , and other details as performing Sandhyavandana or not . You must send the details on the email mentioned below with your mobile number so that I may converse with you regarding diksha. All the details should not be shared on this forum, hence message on email. shri.siddhvidya@gmail.com
मन्त्र जप का विधान निर्धारित है जिसे विस्तार से हमने अपने वीडियोज में बताया भी है। संकल्प करके जप विधिवत आसन पर बैठकर करना अनिवार्य है। नाम स्मरण आप सदैव कर सकते है । परमात्मा का चिन्तन सदैव होता रहे इससे अच्छा क्या है।
प्रणाम गुरुदेव सुना है कि एक मंत्र की ऊर्ध्व तरंगे 300 किलोमीटर प्रति मंत्र होती है क्या यह सही है? प्रत्युत्तर शीघ्र दे । धन्यवाद पंडित सत्यनारायण शास्त्री जयपुर राजस्थान
ध्वनि की गति 343 m/sec अथवा 761 mph होती है । किन्तु हमारे यहाँ वाणी के बहुत से प्रकार हैं यथा बैखरी, मध्यमा,परा, पश्यन्ती आदि। बैखरी को छोड़कर किसी की भी गति का मापन संभव नहीं है। मन्त्र जप प्रायः इन्हीं में किया जाता है। इनकी तरंगे बहुत प्रभावशाली तथा अनन्त गति से सम्पन्न होती हैं। सूक्ष्म जगत में ही ये अधिकाधिक प्रभाव उत्पन्न करती हैं। इन्हीं पर सम्पूर्ण मन्त्रशास्त्र आधारित है।
प्रणाम गुरुजी दीक्षित मंत्र का जाप भगवत प्रित्यर्थम् , निष्काम भाव से किया जाए तो क्या हवन तर्पण मार्जन करना जरूरी है । उचित मार्गदर्शन प्रदान करें धन्यवाद
प्रणाम गुरुदेव मैं पंडित सत्यनारायण शास्त्री रामानंद संप्रदाय से दीक्षित हूं तारक मंत्र षडक्षर (रां रामायण नमः) हैं अतः एक मंत्र उच्चारण की वेब ध्वनि तरंगें कितने मील तक ऊर्ध्व गमन करती है
विज्ञान के अनुसार ध्वनि एक शक्ति Energy रूप है । Energy कभी नष्ट नहीं होती , किन्तु दूसरी शक्तियों यथा विद्युत, प्रकाश आदि में परिवर्तित हो जाती है। इसी प्रकार ध्वनि तरंगें भी कभी नष्ट नहीं होती ये अपनी निर्धारित गति से अन्तरिक्ष में सदैव आगे गति करती रहती हैं। अतः आपके प्रश्न का उत्तर है अनन्त दूरी तक जा सकती हैं।
Guruji m bahut varsho se saptshati path kr rhi hu... Bahut aastha h meri bahut pyaar h paravidya paraamba tarantarini bhagatpalika Maa par.. par anubhav nhi ho rhe. Kya kru ki kuch anubhav ho? Plz help me
राशि चक्र - विषय विस्तृत है किन्तु यहां हम इसके कुछ विशेष बिन्दुओं पर प्रकाश डालेंगे। स्वराशि के अनुकूल मन्त्र ग्रहण करने से सदैव मङ्गल होता है। इसका नियम यह है कि राशि चक्र में नाम के प्रथम वर्ण से मन्त्र के प्रथम वर्ण के चक्र तक गणना कर लें। छठे , आठवें, बारहवें राशिस्थित मन्त्र त्याज्य हैं। इसके अन्य नियम भी हैं। दूसरे चक्र अ क थ ह चक्र (अकडम नहीं) से सिद्ध,साध्य, सुसिद्ध और अरि मन्त्र का ज्ञान होता है। अरि मन्त्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जय जगदम्बा माला सिद्ध करना नहीं माला का संस्कार आवश्यक है। मन्त्र केवल उपवास से नहीं अपितु पुरश्र्चरण एवं नित्य निर्धारित संख्या मे जप से सिद्ध होता है।
जय दुर्गे आपने एक साथ बहुत कुछ जानना चाहा है। इन सबकी विधि अलग अलग है। श्रीदुर्गासप्तशती के भिन्न भिन्न श्लोक चण्डी पाठ में सम्पुट रूप में प्रयोग करने से वह फल प्रदान करते हैं। नवार्णमन्त्र के विषय में हम एक वीडियो बना चुके हैं उसे देखें।
Aacharya shri ma durga saptshati ka pratek strotra shiko jo mantra roop h aur navaran mantar aadi ko puran roop se jaagrit sidh karna chahta hun apne liy ma path krta hun par kamna puri nahi ho rhi
@@pankajmurjani7219 जय दुर्गे व्यक्तिगत विषय सार्वजनिक रूप से नहीं कहे जाते हैं। आप जिनसे दीक्षित हैं उनसे आज्ञा लेकर तथा विधि जानकर ही अनुष्ठान करें। बिना गुरुमुख हुए सिद्धि में संशय रहता है। अपने मन से अथवा पुस्तक पढ़ कर यह फलदायी नहीं ही होता है। गुरु भी वे हों जो अनुष्ठान कर चुके हों।
जय जगदम्बा, क्या कोई दें सकता है? यह प्रश्न स्पष्ट नहीं है? श्रीविद्योपासना में गुरु "कोई" भी नहीं हो सकता है। दीक्षा हेतु शिष्य भी श्रीविद्या में दीक्षित होने का अधिकारी होना चाहिए। "कोई" भी अधिकारी नहीं होता है। आहार शुद्धि, नियमित सन्ध्या वन्दन, संप्रदाय में पूर्व दीक्षा तथा श्रीविद्या क्रम का पालन आदि साधक को अधिकारी बनाते हैं। और भी योग्यताएं हैं सभी का लिखा जाना संभव नहीं है। संभव है आप पुस्तकें पढ़कर अथवा इन्टरनेट देखकर भ्रमित हो सकते हैं। अतः प्रथम आपके संपर्क में कोई वरिष्ठ श्रीविद्योपासक हों तो उनसे संपर्क कर इस मार्ग पर कैसे अग्रसर हुआ जा सकता है आदि विषयों को जान लें पश्चात् यह मार्ग सुलभ और सुगम हो जाएगा।
@@श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad मै आपके सामने अज्ञानी हूं मेरे अपराधो को क्षमा करे और आपको 🙏🙏🙏 पूज्य आप श्रीविद्यासंप्रदाय की किस गुरु परंपरा से है और आप पूज्य के परम पूज्य गुरु कौन है ? कृपा करके आप मुझे अपनी गुरु परम्परा बताएं मेरी जिज्ञासा को दूर करे अगर मुझे योग्य समझे तो ।
@@ashishkushwaha5285 जय जगदम्बा, श्रीविद्या के प्रसार में भगवत्पाद् आदिशंकराचार्य जी का सर्वाधिक योगदान रहा है। प्रायः उनके द्वारा स्थापित चार पीठों में से किसी एक पीठ से अधिकांश श्रीविद्योपासक संबद्ध हैं। हमारे सम्प्रदाय में पूजन पूर्ण सात्विक पदार्थों एवं उपचारों सहित समयाचार अनुसार तथा आम्नाय की गुरु परम्परा के पूजन सहित किया जाता है। हम भी स्वसंप्रदायानुसार भगवती की शरण में रहकर उनकी सेवा कर रहे हैं। इससे अधिक परिचय हम सार्वजनिक मंच पर नहीं दे सकते हैं। आप अपनी पारिवारिक परम्परा तथा कोई दीक्षा प्राप्त हों तो उसके अनुरूप गुरु आज्ञा से श्रीविद्या क्रम दीक्षा से इस मार्ग में प्रवेश कर सकते हैं।
@@noruas यह जगत विभिन्नताओं से भरा पड़ा है। कुछ कलियुग का भी प्रभाव है। भगवती से यही प्रार्थना है कि हम सन्मार्ग से च्युत न हों। विषय विशेष पर वीडियो भगवत्प्रेरणा से ही बन रहे हैं। आपके इच्छित विषयों पर वीडियो उन्हीं की प्रेरणा से बन सकेंगे। भगवती ही मार्गदर्शन करती हैं। जय मातेश्वरी
पूरे वीडियो में बहता हुआ झरना साइज बड़ा होने के डर से नहीं डाला गया है कुछ भाग में ही झरना चलता हुआ दिया गया है। बड़े साइज के वीडियो प्रत्येक मोबाइल में ठीक से नहीं चलते हैं ।ऐसा ग्राफिक्स डिजाइनर का कहना है। मेरा कहना केवल इतना ही है कि हमारा लक्ष्य प्रामाणिक कन्टेन्ट देना है न कि केवल साज सज्जा। संभवतः यह वीडियो इसी कारण से सबसे अधिक बार देखा गया है।
जय जगदम्बा, अवश्य हम अपना मोबाइल क्रमांक देंगे। इससे पूर्व आप हमारे ईमेल पर अपना विस्तृत परिचय मोबाइल क्रमांक सहित प्रेषित करें। हमसे वार्ता का उद्देश्य भी लिखें। संभव है हम ही आपको काॅल करें। आपकी पूर्व में यदि कोई भी दीक्षा,उपनयन आदि हुआ है उसका विवरण संप्रदाय सहित लिखें। यदि श्रीविद्योपासना विषयक जानकारी आपका मनतव्य है तो यह सूचना आवश्यक है। श्रीविद्यासंवाद shri.siddhvidya@gmail.com