शाकंभरी देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं।
माँ शाकुम्भरी देवी का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रन्थ के सभी पुराणों में जैसे स्कंद पुराण, भागवत् पुराण, शिव पुराण, मारकंडेय पुराण, देवी पुराण, महाभारत आदि में दिया गया है पौराणिक कथा में ऐसा वर्णन है की हिरण्याक्ष राक्षस के वंशो मे से एक महादैत्य रूरु थे जिसके पुत्र का नाम दुर्गम था।
दुर्गम राक्षस ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या कर उनसे वरदान प्राप्त किया की वह किसी भी देवता से युद्ध में नहीं हारेगा और चारों वेदों को अपने वश में कर लेगा | वरदान प्राप्त कर दुर्गम ने देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और इन्द्र, वरूण जैसे देवताओं को अपना बन्दी बना लिया। और dekhte hi dekhte सभी देवताओं की शक्ति भी क्षीण होने लगी। जिस कारन धरती पर कई वर्षों से वर्षा का अकाल पड गया और धरती पर रहने वाले ब्राह्मण अपना धर्म कर्म भूल शराब और मांस का सेवन करने लगे। अतः भूख और प्यास से समस्त प्राणी एवं जीव जंतु मरने लगे।
राक्षस के इन अत्याचारों से सभी पीडि़त देवतागण शिवालिक पर्वतो में जाकर छिप गये। और उनके द्वारा माँ जगदम्बा की आराधना करने पर माँ इसी स्थान पर प्रकट हुई। सृष्टि की ऐसी दुर्दशा देख माँ जगदम्बा रोने लगी और उनके नेत्रों से आंसुओं की धारा बहने लगी। तभी नैना देवी की कृपा से माँ के शरीर पर सौं नैत्र प्रकट हुए। और नेत्रों के आसुओं से नदी- तालाब पूरी तरह से भर गये।
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15 окт 2024