माटी केडो मटको घड़ियो रे कुम्हार, घड़ियो रे कुम्हार, काया तो थारी काचीरे घड़ी ॥ भूलो मति गेला रे गंवार, गेला रे गंवार, आयोडो अवसर चूको रे मति । नौ-नौ महिना रयो गरभ रे माँय, उंधे माथे झूले रे रयो । कौल वचन I किया हरी सूं आप बाहर आकर भूल रे गयो । माटी केडो मटको । ....... नख - शिख रातो करिया रे बणाव, सूरत सोहेबे चोखी रे घड़ी । अनों - धनों रा भरिया रे भण्डार, ऊमर साहेबे ओछी रे लिखी ॥ माटी केडो मटको ।....... बांधी म्हारे सायबे दया धरम री पाळ, जिण में लागी इन्दर झड़ी । अरट बेवे वठे बारहों ही मास, इन्दर वाली एक ही झड़ी । माटी केडो मटको । ....... हरी रा बन्दा सायब ने चितार, आयो अवसर भूलो रे मती । बोल्या खाती बगसो जी घर नार, संगत साँची साधां री भली ॥ माटी केडो मटको ।.......