माता कुंती ने कर्ण से क्या मांग की थी? | कुंती | कर्ण | महाभारत | भजन संग्रह Subscribe Bhajan Sangrah - / @bhajansangrah9 Please do visit, for the latest updates:- / bhajansangrah penbhakti penbhakti
जितना सुंदर यह बीआर चोपड़ा का महाभारत है इतनी सुंदर कोई भी सी चीज नहीं आई आज तक टीवी में ना कोई बन सकता ना किसी ने बनाया ऐसा महाभारत पत्र बिल्कुल ओरिजिनल ऐसे लगते थे जैसे सचमुच का महाभारत चल रहा है
महाभारत का यह दृश्य कुंती और कर्ण का संवाद सचमुच अश्रु धारा बहने के लिए विवश कर दिया है धन्य है कुंती और कर्ण के महान् किरदार जो हृदय और मन में अपने कला की अमिट छाप छोड़ दिये है
🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌹🙏🌺 जय श्री हरि जय श्री हरि जय श्री हरि जय श्री हरि जय श्री हरि राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे जय श्री हरि जय श्री जय श्री कृष्णा जय श्री कृष्णा जय श्री कृष्णा
मैं तुम्हें देखकर गीत गाता रहूं *********************** सर्द मौसम फिजा आज रंगीन है। दिल ये कहता तुम्हें मैं बुलाता रहूं। । एजी आओ न आओ कोई गम नहीं । तेरी चाहत में मैं गुनगुनाता रहूं। । जिन्दगी जश्न सी तेरी चाहत लिये। आसरे में सदा ही बिताता रहूं।। अपनी आंखों में तुमको बिठाये रहूं। मैं तुम्हें देखकर गीत गाता रहूं। । सोच सूरत की साया भुला चांद को। प्यार की आरजू नित लगाता रहूं। । राह जीवन की रंगीन हो प्यार में। अश्रु आंखों में ला मुस्कराता रहूं। । चन्द लमहों में खोऊं नही प्यार को। सह बिरह पीर लय ही लगाता रहूं। । तुम हमारे रहो मैं तुम्हारा रहूं। किस्से दुनिया को ये ही सुनाता रहूं। । आसु आश्रय तुम्हारे ही मैं जी रहा। आसरा भी सदा ये लगाता रहूं। । मैं हूं कैसा कहीं भी किसी हाल में। हे कन्हैया सदा तुमको भाता रहूं। । स्वरचित, आचार्य आशुतोष जी आशु
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम 🙏