दैत्यराज जम्ब घोर तपस्या से ब्रम्हा देव को प्रसन्न करके वर मांग लेता है कि मैं अपनी ईक्षा शक्ति से जिसको चाहूँ उसको जम्हाई आ जाए और मैं विजय पा सकूँ तो ब्रम्हा जी ने दे दिया I फिर क्या इसी शक्ति से इंद्रलोक में विजय पा जाता है और पूरे स्वर्ग लोक में विजय पाना चाहता है फिर सब देवलोग भगवान दत्तात्रेय के शरण में जाते हैं जिसका उपाय भगवान बताते हैं |
श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है |
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28 май 2023