ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ *कोई भी मनुष्य अपने शरीर के किसी एक भी अंग को नहीं बनाया और कोई भी जीव अपने इच्छा से जीवित नहीं हुआ।। सभी मनुष्यों का एक ही सूरज है , सभी मनुष्य एक ही धरती पर रहते है और सब एक ही हवा में सॉस ले रहे है और " पानी और आसमान " भी सबका एक ही है । सभी खाना भी एक जैसा खा लेते है सभी मनुष्यो को सिर्फ एक वीर्य से बनाया गया है मां के पेट में* *वेद में विभिन्न मंत्रो में आया है। सभी मनुष्यों को बनाने वाला एक अजन्मा परम तत्त्व परमेश्वर है। कुरान में भी आया है सबकुछ बनाने वाला अल्लाह है* *अगर हम वेदों के ईश्वर को अल्लाह कहते तो भी गुण एक समान है और दोनो किताबो में भी लिखा है सब कुछ बनाने वाला एक सर्वव्यापी हर प्रकार से शुद्ध चैतन्य है उसकी सीमा अनंत और अनादि है ।* *अल्लाह शब्द अरब देश वाले उसी ईश्वर को बोलते है जिसने सब कुछ बनाया " " अल्लाह का मतलब = अल+ इलाह से बना है । इलाह का मतलब = सब कुछ बनाने वाला , उसका सुरक्षा करने वाला, और सभी जीवों को पालने वाला और न्याय करने वाला, सभी पर दया करने वाला , इत्यादि।* *कुरान में उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर का नाम उसके गुणों के आधार पर है । ।* *वेद और कुरान एक ही ईश्वर की पुस्तक है ।। आदि ग्रंथ वेद को ही कहते है दुनिया की सबसे पहली ईश्वर की पुस्तक वेद ही है और सबसे अंतिम पुस्तक कुरान है* *मुस्लिम लोग सिर्फ हदीस के पीछे चलते है हदीस तो झूठी है हदीस का मतलब मुहम्मद जी की बात जो लोग पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वज से सुनते आ रहे थे मुहम्मद जी की मृत्यु के बाद 400 साल बाद हदीस को लिखा गया इनके अलग अलग खलीफा के दौर में और इन सभी हदीशो में खूब मिलावट की गई है* *आज का मुस्लिम लोग खुद गुमराह है और पाप में डूब गया है और इनके अलग -अलग फिरके है ।धरती का सबसे बड़ा शैतान तो ये मुस्लिम समुदाय बन चुका है मुस्लिम कभी कुरान को नही समझा सिर्फ कुरान को अपने घर के अलमारी में रख दिया है ।।* *जो कोई वेद के ईश्वर को मानता है वो भी मुस्लिम है । मुस्लिम का मतलब उस ईश्वर के नियम पर चलना जिसने सब कुछ बनाया। वेद के हिसाब से ईश्वर पुरुष या स्त्री नही वो एक अनन्त तत्त्व है और उसी ने सब कुछ बनाया* *ये बिल्कुल सच बात है की कुरान की एक एक बात सत्य है ।। वेद और कुरान ये दोनो किताब उसी एक सर्वव्यापी परमेश्वर का वचन है ।। इसलिए बोला जाता है वेद और कुरान की रचना किसी मनुष्य ने नही की है । ये तो साक्षात परमेश्वर का कथन वाक्य है। अतः हमें उसका प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए जिसने हम सभी मनुष्यों को बनाया।* *( वेद के कुछ मंत्र )* *ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्याञ्जगत् । (यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र २ )* *अर्थात् जो कुछ इस संसार में और सभी लोक में है,उस सब में व्याप्त होकर जो और सृष्टि से परे है वह परमेश्वर कहलाता है ।* *पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरंशुद्धमपापविद्धं। कवीर्मनीषी परिभू: स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्य: समाभ्य: । ( यजुर्वेद ४०/८ )* *अर्थ अर्थात् वह ईश्वर ,सर्व शक्तिमान , न्यायकारी, दयालु और शरीर से रहित,छिद्र रहित, नस - नाड़ियों के बंधन से रहित , अविद्या आदि दोषों से रहित । वह सर्वज्ञ, सभी जीवों का उत्पत्तिकर्ता और उनके मनों की वृत्तियों को जानने वाला , सभी लोक एवं संसार के निर्माणकर्ता अनादि , उत्पत्ति और विनाश रहित , मनुष्य जो देख रहा है और जो नही देख पा रहा है सब कुछ उसी ने बनाया । वहीं परमेश्वर उपासना करने योग्य है* *ये नद्यौं रुग्रा पृथिवी च दृढ़ा ये नस्व: स्तंभित: येन नाक:यो अन्तरिक्षे रजसो विमान : कस्मै देवाय हविषा विधेम।* *ऋग्वेद - १० । २१। १०)* *अर्थ जिसने अन्तरिक्ष, दृढ़ पृथ्वी, स्वर्गलोक, और नर्क लोक को बनाया , तथा महान जल राशि का निर्माण किया। सभी मनुष्य अच्छे कर्म किया करे।।वही समस्त कर्मो का फैसला करता है उसी परमेश्वर का ध्यान करो उसी ने सब कुछ बनाया* *स्वर्गे लोक न भयं किञ्चनास्ति न तत्र त्वं न जरया बिभेति।* *उभे तीर्त्वाशनायापिपासे शेकातिगो मोदते स्वर्गलोके॥१२॥ ( ऋग्वेद )* *शब्दार्थ:। स्वर्गलोक में किञ्चित् मात्र भी भय नहीं है वहां मृत्यु नहीं और वृद्धावस्था भी नही, अच्छे कर्म वाले मृत्यु के पश्चात अनन्त जीवन में प्रवेश कर जाते है स्वर्ग लोक की आयु कभी समाप्त नही होती । और पापियों के लिए अत्यंत गहरी आग की खाई बनाई गई है जिसमे सिर्फ पापी मनुष्य ही प्रवेश करेंगे और हमेशा के आग में जलेंगे ।( ऋग्वेद४:५:५:)*