रालोद सहित सभी चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों एंव उन राजनीतिक दलों की शीर्ष व दूसरे चव्वनियल नेताओं से पूरे सम्मान के साथ M.S.P. पर और गन्ना भुगतान पर सवाल पूछने चाहिए ? (1) राजनैतिक दलों और उनके नेताओं से सवाल (फ़ालतू बहस से बचें) पूछें? जब किसान सर्दी,गर्मी और में, एक साल तक शान्ति पूर्वक रुप से दिल्ली बार्डर पर बैठे थे? तब उस प्रत्याशी की पार्टी, उनके सहयोगी दल, का M.S.P. की क़ानूनी गारंटी के सवाल पर क्या रुख था?आज M.S.P. की क़ानूनी गारंटी का(अमुक दल))क्या समर्थन करता है? (2) किसान अपनी लागत और मेहनत से उगाय गन्ने को सहकारी समितियों के (क़ानूनी) माध्यम से शूगर मिल को गन्ना बेचता है। मोटे तौर पर; क़ानून के मुताबिक़ गन्ने के एम०एस०पी०/M.S.P. पर भुगतान में राशि/धन के 85% में से,14 दिन के अन्दर किसान के द्वारा मिल पर डाले गए गन्ने का भुगतान करना है? भुगतान न होने की स्थिति में, शूगर मिल मालिक को गन्ने की भुगतान राशि पर ब्याज देना होगा? वोट मांगने आय प्रत्याशी की पार्टी ने (सरकार में रहते) इस क़ानून को भुगतान में कितना लागू किया?किया भी था? नहीं? सभी राजनैतिक दल मिल मालिकों की दलाली कर, हाथ काले करते रहे हैं? अपने वोट का फ़ैसला इन सवालों के बाद करें। सवाल नहीं तो-लोकतंत्र नहीं -हक़ और अधिकार नहीं! जय संविधान!