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मुक्ति कहानी ~ अमरकांत की कहानियां || Mukti ~ Amarkant ki Hindi Kahaniyan || RED PAPERS 

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मुक्ति कहानी ~ अमरकांत की कहानियां || Mukti ~ Amarkant ki Hindi Kahaniyan || RED PAPERS
हिन्दी के यशस्वी कथाकार और प्रेमचंद की परंपरा के महान् रचनाकार अमरकांत का जन्म 1 जुलाई, 1925 को नगरा गाँव, तहसील रसड़ा, बलिया ज़िला (उत्तर प्रदेश) के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। वे हिन्दी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कहानीकार थे। इनके पिता का नाम सीताराम वर्मा व माता का नाम अनंती देवी था। पहले अमरकांत का नाम ‘श्रीराम’ रखा गया था। इनके खानदान में लोग अपने नाम के साथ ‘लाल’ लगाते थे। अत: अमरकांत का भी नाम ‘श्रीराम लाल’ हो गया। बचपन में ही किसी साधु-महात्मा द्वारा अमरकांत का एक और नाम ‘अमरनाथ’ रखा गया था। यह नाम अधिक प्रचलित तो नहीं हुआ, किंतु स्वयं श्रीराम लाल को इस नाम के प्रति आसक्ति हो गयी। इसलिए उन्होंने कुछ परिवर्तन करके अपना नाम ‘अमरकांत’ रख लिया। उनकी साहित्यिक कृतियाँ भी इसी नाम से प्रसिद्ध हुईं। अपने नामकरण की चर्चा करते हुए स्वयं अमरकांत ने लिखा है कि - “मेरे खानदान के लोग अपने नाम के साथ ‘लाल’ लगाते थे। मेरा नाम भी श्रीराम लाल ही था। लेकिन जब हम लोग बलिया शहर में रहने लगे तो चार-पाँच वर्ष बाद वहाँ अनेक कायस्थ परिवारों में ‘लाल’ के स्थान पर ‘वर्मा’ जोड़ दिया गया और मेरा नाम भी ‘श्रीराम वर्मा’ हो गया।”
मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण -
अमरकांत के कथा लेखन के दायरे में समाज का जो वर्ग सबसे अधिक चित्रित हुआ है, वह है निम्नमध्यमवर्ग और मध्यवर्ग। इस समाज को जितनी गहराई और विसतार के साथ अमरकांत ने चित्रित किया, उतना उनके समकालीनों में किसी अन्य कथाकार ने शायद ही किया हो। ऐसे में अक्सर एक सवाल उठता है कि आखिर अमरकांत मध्यवर्ग और निम्नमध्यवर्ग को ही मुख्य रूप से अपने कथा साहित्य का विषय बनाकर अपने आप का वहीं तक सीमित क्यों करते हैं?
|| पुरस्कार एवं सम्मान || 👇👇👇
साहित्य अकादमी सम्मान - 2007
ज्ञानपीठ पुरस्कार - 2009
व्यास सम्मान - 2010
सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार
मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार
यशपाल पुरस्कार
जन-संस्कृति सम्मान
मध्य प्रदेश का ‘अमरकांत कीर्ति` सम्मान
‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ के हिंदी विभाग का सम्मान।
|| अमरकांत की सुप्रसिद्ध कहानियाँ || 👇👇👇
अमरकांत के लिए लेखन एक सामाजिक दायित्व है, वे मानते हैं कि लेखन समय और धैर्य की मांग करता है उनके कहानियाँ पढ़ने पर यह ज्ञात होता हैं कि आरंभ से ही इस रचनाकार ने अप्रतिम सहजता और सजगता के साथ-साथ इन कहानियों की रचना की। ‘डिप्टी कलेक्टरी’, ‘दोपहर का भोजन’, ‘जिंदगी और जोंक’, ‘हत्यारे’, ‘मौत का नगर’, ‘मूंस’, ‘असमर्थ हिलता हाथ’, बड़ी स्वाभाविक और जीवनोन्मुख कहानियां हैं। सहज सरल कलेवर में लिपटी के कहानियां जीवन की घनघोर जटिलताएं व्यक्त कर डालती है। अपने समग्र प्रभाव व प्रेषण में यह रचनाएं हमें देर तक सोचने के लिए विवश कर देती है।
हम आपके लिए लेकर आए हैं अमरकांत की कुछ चुनिंदा कहानियां जो उनके बृहद कथा लेखन के सरोकारों और चिंताओं और दृष्टि को समझने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
|| अमरकांत की अन्य कहानियाँ || 👇👇👇
जिंदगी और जोंक :- • ज़िंदगी और जोंक - अमरक...
दोपहर का भोजन :- • दोपहर का भोजन - अमरकां...
बहादुर :- • बहादुर ~ अमरकांत की कह...
लड़का-लड़की :- • लड़का-लड़की ~ अमरकांत ...
पोखरा :- • पोखरा ~ अमरकांत की सम्...
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Опубликовано:

 

15 окт 2024

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