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इस वीडियो में हम आपको लाचित बोरफुकान बारे में बात रहे है|
मुगल आक्रांताओं से उत्तर-पूर्व भारत की पवित्र भूमि की रक्षा करने वाले वीरयोद्धा लाचित बरपुखान का जीवन और व्यक्तित्व शौर्य, साहस, स्वाभिमान, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का पर्याय है। प्रसिद्ध इतिहासकार सूर्यकुमार भूयान ने उनकी मौलिक रणनीति और वीरता के कारण उन्हें उत्तर-पूर्व भारत का ‘शिवाजी’ माना है। वास्तव में, लाचित बरपुखान ने उत्तर-पूर्व भारत में वही स्वातंत्र्य-ज्वाला जलाई जो मुगल आक्रांताओं के विरुद्ध पश्चिम भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज ने, पंजाब में गुरू गोविंद सिंह ने और राजपूताना में महाराणा प्रताप ने जलाई थी। इसी तथ्य को रेखांकित करते हुए पूर्व राज्यपाल श्री श्रीनिवास कुमार सिन्हा ने अपनी पुस्तक ‘मिशन असम’ में लिखा है, “महाराष्ट्र और असम हमारे विशाल और महान देश के दो विपरीत छोर पर हो सकते हैं। लेकिन वे एक सामान्य इतिहास, एक साझी विरासत और एक सामान्य भावना से एकजुट होते हैं। मध्ययुगीन काल में उन्होंने दो महान सैन्य नेताओं, महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी और असम में लाचित बरपुखान को जन्म दिया है।”
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#स्टोरी ऑफ बोरफुकन
#नरेंद्र मोदी ने किया लाचित बोरफूकन को याद
#२४ नवंबर को मनाई गई लाचित बोरफुकान की ४०० वी जयंती
#उत्तरपूर्व के शिवाजी लाचित बोरफुकान
#मुगल सेना को जिसने धूल चटाई
#कहानी असम के वीर योद्धा लाचित बोरफुकान की
#अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बोरफुकन
#अपने मामा का सर कलम करने वाले लाचित बोरफुकान
#देशप्रेम के लिए जीने वाले लाचित बोरफुलन
#The untold story of lachit borfukan
thanks
Neelam
21 сен 2024