अगला प्रकरण यहा है - • योगवासिष्ठ - प्रकरण ३ ...
योगवासिष्ठ प्लेलिस्ट - • योगवासिष्ठ / Yoga Vasi...
1. 0:00 - सर्ग १ से २
2. 24:40 - सर्ग ३ से ७
3. 01:24:00 - सर्ग ८ से १०
4. 01:59:18 - सर्ग ११ से १४
5. 03:12:58 - सर्ग १५ से १७
6. 03:46:01 - सर्ग १८ से २०
योगवासिष्ठ संस्कृत सहित्य में अद्वैत वेदान्त का अति महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें ऋषि वसिष्ठ भगवान राम को निर्गुण ब्रह्म का ज्ञान देते हैं। विद्वत्जनों के अनुसार सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और परलोक, बंधन और मोक्ष, ब्रह्म और जीव, आत्मा और परमात्मा, आत्मज्ञान और अज्ञान, सत् और असत्, मन और इंद्रियाँ, धारणा और वासना आदि विषयों पर कदाचित् ही कोई ग्रंथ हो जिसमें ‘योग वासिष्ठ’ की अपेक्षा अधिक गंभीर चिंतन तथा सूक्ष्म विश्लेषण हुआ हो।
योगवासिष्ठ ग्रन्थ छः प्रकरणों में पूर्ण है।
वैराग्यप्रकरण (३३ सर्ग),
मुमुक्षु व्यवहार प्रकरण (२० सर्ग),
उत्पत्ति प्रकरण (१२२ सर्ग),
स्थिति प्रकरण (६२ सर्ग),
उपशम प्रकरण (९३ सर्ग) तथा
निर्वाण प्रकरण (पूर्वार्ध १२८ सर्ग और उत्तरार्ध २१६ सर्ग),
श्लोकों की संख्या २७६८७ है। वाल्मीकि रामायण से लगभग चार हजार अधिक श्लोक होने के कारण इसका ‘महारामायण’ अभिधान सर्वथा सार्थक है।
जय सियाराम!!!
31 июл 2024