सूत्र नेति की सूत किसी भी योगाश्रम से ली जा सकती है। प्रात:काल दातुन आदि करने के बाद पांवों पर बैठकर गर्दन ऊंची रखकर जो स्वर चल रहा हो उस नासिका में नेती को पानी में भिगोकर मोम वाले भाग को नाक के छिद्र में धीरे-धीरे डालें। जब उसका अग्र भाग गले में आ जाए तो उसे दायें हाथ की तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों से पकड़ लें। अब नेती के दोनों सिरे दोनों हाथों में पकड़कर हाथों को अंदर-बाहर करते हुए घर्षण करें। फिर बाद में नेती को मुंह से धीरे-धीरे बाहर निकाल दें। यही क्रिया दूसरी नासिका से करें।
सूत्र को अच्छी तरह धोकर रखें ताकि उसमें कफ जमा न रह जाये। नेती के मोम वाले भाग को गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए, ठंडे से ही धोना है। बाकी भाग को गर्म पानी से साफ कर सकते हैं। अब सूत्र नेती केवल सूत की बनी हुई उपलब्ध है। उसको गर्म पानी तथा साबुन से धो सकते हैं। यदि सूत्र नेती न मिले तो रबड़ का कैथेडर 4 या 5 नं. का ले लें। उससे भी नेती भलीप्रकार हो जाती है। आजकल रबड़ नेती का ही प्रयोग अधिक है। सूत्र नेती या रबड़ नेती के बाद जल नेती अवश्य करें।
सूत्र नेति के लाभ - Sutra Neti Karne Ke Fayde
सूत्र नेति क्रिया कफादि को दूर कर कपाल को स्वच्छ करती है।
नेत्र ज्योति बढ़ाती है।
गले, नाक व कान के रोगों से रक्षा करती है और उन्हें दूर करती है।
इससे सर्दी, जुकाम, सरदर्द, कान का बहरापन, नाक की हड्डी बढ़ना इत्यादि रोग दूर होते हैं।
नेती से फेफड़ों में भरा कफ भी दूर हो जाता है।
21 сен 2024