इसीलिए sc st हम दोनों को ए सोचना है और चैहिये हम डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर कांसीराम के खून है औलद हूँ हम सब लोग हैं हम सब बुद्ध भगवान का अनुवाई हैं। बुद्ध हमारे सुधारक हैं और कोई भी हम में से बुद्ध सर्दन सरण में आने वाले बुद्धिस्ट एक है जय भीम नामों बुद्धाय जय संभिधान
बौद्ध धर्म में जितने भी बुद्ध हुवे सब ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल में हुवे है- आज कल कुछ लोग अज्ञानतावश बौद्ध धम्म को दलितों का हितैषी समझने की भूल कर रहे है और धर्म बदल रहे है इन लोगो के ये जानकारी होना जरुरी है की बुद्ध के अनुसार बोधिसत्व कभी शूद्र कुल में पैदा नहीं होते- महाबोधिवंश के अनुसार 28 बार बुद्ध का जन्म हुवा है ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल में और भविष्य में बुद्ध फिर से मैत्रेय (ब्राह्मण) नाम से जन्म लेंगे-:- 1-Trsnamkara Buddha ---- क्षत्रिय 2-Medhamkara Buddha ---क्षत्रिय 3-saranamkara Buddha ..ब्राह्मण 4-Dīpamkara Buddha ----ब्राह्मण 5-Kaundinya Buddha ---- क्षत्रिय 6-Mamgala Buddha ----- ब्राह्मण 7-Sumanas Buddha ------ क्षत्रिय 8-Raivata Buddha --------- ब्राह्मण 9-Sobhita Buddha ----------क्षत्रिय 10-Anomadassi Buddha--- ब्राह्मण 11-Padma Buddha-----------क्षत्रिय 12-Narada Buddha ----------क्षत्रिय 13-Padmottara Buddha---- क्षत्रिय 14-Sumedha Buddha -------क्षत्रिय 15-Sujata Buddha...............क्षत्रिय 16-Piyadassi Buddha ------ब्राह्मण 17-Atthadassi Buddha ----क्षत्रिय 18--Dhammadassi Buddha-क्षत्रिय 19-Siddhattha Buddha----- ब्राह्मण 20-Tisya Buddha --------- क्षत्रिय 21-Pusya Buddha -------- क्षत्रिय 22-Vipassi Buddha -------- क्षत्रिय 23-Sikhi Buddha ----------- क्षत्रिय 24-Visvabhu Buddha ----- क्षत्रिय 25-Krakucchanda Buddha-ब्राह्मण 26-Kanakamuni Buddha---ब्राह्मण 27-Kasyapa Buddha -------ब्राह्मण 28-Gautam Buddha -------क्षत्रिय 29-Maitreya Buddha ----- ब्राह्मण आप सोच रहे होंगे की बुद्ध केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल में ही क्यों पैदा होते है इसका जवाब हमें बौध्य ग्रन्थ ललितविस्तार से मिलता है-- बोधिसत्व हीनकुलो में ,चांडाल कुलो में ,रथकार कुलो में ,निषाद कुलो में उत्पन्न नही होते है ,किन्तु दो ही कुलो ब्राह्मण कुल और क्षत्रिय कुलो में ही होते है ,जब लोक में ब्राह्मणो का वर्चस्व हो तब ब्राहमण कुल में और जब क्षत्रियों का वर्चस्व हो तब क्षत्रियो कुल में उत्पन्न होते है | ” - ललितविस्तार ३/२६ (पृष्ठ ६०-६१ ) 👇👇👇👇👇 वैश्य ,शूद्र , इनका स्त्री kinnar क्यों नहीं बन सकते बुद्ध और बोधिसत्व बौद्ध धम्म गुरु लामा नहीं तो प्रूफ करो पाखंडी नवबुद्धु 🔔🔔👈 ka baudh dhamm pakhandi नवबुद्धु pakhandi chuddhist ka hai 🤣 agar proof nahin kar saka to yah 28 barahaman kshatriya ko ko Jijaji bulaya karo pakhandi 🤣 🤣**हगनवबौद्ध को ज्ञान की कमी है इसीलिए 28 barahman Kshatriya buddh ka 💩💩हगा हुआ जरूर खाएं**👇 सर्प काटने और विष खाने पर, पाखाना पिलाने की अनुमति देता हूं । - गौतम बुद्ध त्रिपिटक-विनयपिटक-महावग्ग - 3/6/7 पृ० 22 🤣🤣
राजरतन जी आप अपने मिशन केलिए दिलोजान से कड़ी मेहनत कर रहे हैं उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं साथही मैं कहना चाहूंगा कि बौद्ध दीक्षा देने के बाद सभी नव बौद्धों का रजिस्ट्रेशन कराया जा ना नितान्त आवश्यक है खाली दीक्षा समारोह आयोजित करने से काम नहीं चलेगा मैंने पहले भी कई बार यह परामर्श दिया है सरकारी रिकॉर्ड में नाम दर्ज होना चाहिए यह राष्ट्र हित मे है जय भीम जय भारत जय संविधान
हम सभी अंबेडकर वादी समाज को आपके कहे अनुसार अपना बौद्धिस्ट विद्यालय बनाना चाहिए और इसकी शुरुआत आज से बल्कि अभी से शुरू कर देना चाहिए।जय भीम नमो बुद्धाय ।
हमने ईमानदारी के साथ बाबासाहेब के द्वारा दिखाए गए बौद्ध धर्म के मार्ग को जाति, वर्ग, वर्ण व्यवस्था हिंदू ब्राम्हणी धर्म व्यवस्था का त्याग कर भारतीय संविधान के अनुसार अपनी पृथक पहचान अल्पसंख्यक सामान्य बौद्ध के रूप में बनाई है। साथ ही बाबासाहेब ने धर्मांतरण के साथ साथ एक ही बार में नामांतरण भी करने को कहा है अर्थात अपने उन जातिसूचक सरनेमों का त्याग कर एक सरनेम लगाएं और वह सरनेम हमने बौद्ध के रूप में लगाया है क्योंकि बाबासाहेब ने हमें बौद्ध धर्म (बुद्ध धम्म)का मार्ग दिया है।
जय भीम जय मूलनिवासी राजरतन साहब। मुझे ऐसा ही शिक्षा और ज्ञान चाहिए लड़ाई के लिए। मुझे आपके भाषण से मुझे यह प्रेरणा मिली है कि इस देश के लिए मुझे कुछ अच्छा करना चाहिए।
माफ करना राजरत्न अम्बेडकर सर् आप से जुड़े ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति के हिंदू बने रहना चाहते हैं और आचरण सिर्फ बौद्ध धर्म का करना चाहते हैं ऐसी स्थिति में आप जाति, वर्ग, वर्ण व्यवस्था से मुक्त बौद्ध धर्म को भारत में कैसे मजबूती प्रदान कर सकते हैं 🙏 संतोष छत्तीसगढ़ बौद्ध समाज सदस्य बौद्ध समाज भारत (जातिविहीन अल्पसंख्यक सामान्य बौद्ध)
Bahut bahut Sadhubad Rajratna Sir. Aapke examples for understanding social justice is really unique. The facts and figures are exact for making this oppressed class people alert and awareness. The speech made by the most of the orator has not like yours which can help led us for revolution. But our people are weak, underprevileged and uneducated enough to realize the facts of our possession in this country.
Brilliant speech. This man could be anything but a different brain. He can make positive change to the way lower strata of society are thinking . Hats off to you. I am Jain living in Canada and agree with your thoughts.
माननीय राजरत्न आंबेडकर यांचे हे मार्गदर्शन आणि योजिलेले आर्थिक उन्नतीचे रूपरेषा कार्य भविष्यात समाजाला प्रगतीकडे नेणारे ठरेल अशी खात्री बाळगू या नमो बुद्धाय, जयभीम, जय संविधान जय भारत
Man,Rajratan Ambedkar ji ka apnesamaj ko jagane ke liye bahut bahut sadhubad nabobudhai jai Bhim Jai moolniwasi jai Bhart jai sambidhan jai vigyan Dr R Chandra Bauddh Lalpur Etah Uttar Pradesh India
🎉 बाबासाहेब डॉ बी आर अम्बेडकर 🎉🎉🎉को नमन करते हुए, आदरणीय आर आर अम्बेडकर को सादर अभिवादन करते हुए जय भीम नमो बुद्धाय साहेब बंदगी एवं शत् शत् नमन करता हूं
G SIR G PLASE AISA GYAN SABHI MUL NIWASIYO KO PRADAN KARE AAPAKO MAI KOTI KOTI NAMAN KARATE HAI SIR G🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Jay Bheem Namo buddhay rajratan sahab ji Jo Chanda public deti hai 14 April ko Vahi Chandapura Bharat ka ekattha ho jaaye to Hamara social media taiyar ho sakta hai Jay Bheem Namo buddhay
Raj Ratan Ambedkar ji han Main daliton majlumon Aur bahujanon Ko aapka aur Baman मेश्राम का ही भरोसा है एवं बन नहीं हुआ तो हम लोग वोट देने नहीं जाएंगे क्योंकि वर्तमान की सरकार अपना कार्य करती रहेगी हम लोगों के वोट देने का कोई मतलब ही नहीं रहेगा तो क्यों वोट देंगे
We all should broader our understanding about Buddhism and be compassionate to all sc cates and give them space in Buddhist movement, it will strengthen the base of Buddhism in India and in true sense India will be recognised as birthplace of Lord Buddha