जहां बरगद पीपल खेजड़ी के पेड़ होने चाहिए वहां अंग्रेजी बबूल खड़े हैं। बड़ा दुःख होता है ऐसा देखकर। लगभग सारे मंदिरों का यही हाल है। गाय इन कांटों को खाएगी क्या।
भाई जी आप से मेरी प्रार्थना है कि आप जिस भी मंदिर पर जाकर वीडियो बनाए उस मंदिर का नाम पता डिस्क्रिप्शन में अवश्य लिखें आप बहुत अच्छी वीडियो में आते हैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
Yeh mandir padukalan , tehsil riyan badi , district nagour (rajasthan )me hai... Ajmer se duri 50 km hai ... Padukalan bus stand se 03-04 km ke distance pr hai ...yeh... yaha aane se saari problems dur ho jaati hai
जय श्री नाथ जी की आदेश में अंग्रेज बाबा ओर आपको इंटरव्यू दे रहे बाबा जी से मिला हु।ये इंटरव्यू देने वालेबाबा जी राता डुंडा आश्रम के है। बिरला पिलानी जिला झुंझुनू के पास झेरली ग्राम है ।यहाँ श्रीश्री108ब्रह्मलीन बाबा हरिनाथ जी आश्रम है।यहा के महंत जी श्री दशेरानाथ जी के साथ अंग्रेज बाबा जी के आश्रम गया हूं और आशीर्वाद लिया था। हमे मोबाइल से फ़ोटो तक नहीं लेने दिया घनगोर जंगल मे आश्रम कुटिया के रूप में है।अंग्रेज बाबा जी पर बदमाशों ने हमला किया ये भी सच है बाबा ने बताया था वो जंगल से निकल नही सके थे।। जय श्री नाथ जी
@@369simsim जय श्रीं नाथ जी की बहना .श्रीं अंग्रेज बाबा जी को समाये हुए 12 महीने से ज्यादा हो गए. आजकल वहाँ श्रीं पर्वतनाथ जी महाराज महंत के रूप में आसीन हे. ये आश्रम राजस्थान अजमेर,पुष्कर के बीच मे हे. पातू नामक गाव है. राताढूँढा नामक गाव मशहूर है वहां नाथ जी का पौराणिक आश्रम हे. श्रीं पर्वत नाथ जी इसी आश्रम के शिष्य हे.वही ब्रह्मलीन अमर श्रीं गोरख नाथ जी कुछ दिन रुके थे.समस्त जानकारी आपको वहां मिल जायेगी. शुभकामनाएं
भरथरी 800 से1000 साल पहले नहीं भरथरी तो विक्रमादित्य के भाई थे वीर विक्रमादित्य से क़रीब 10 15 साल बड़े थे और विक्रमादित्य ने ही स्कसम्वत देशी महीनों के हिसाब से आज से 2079 वर्ष हो चुके जबकि विक्रमादित्य ने भृतहरि के काफी समय बाद ये वर्ष लागू किया था क़रीब 30 40 साल बाद इस प्रकार देशी महीनों के हिसाब से 3 हजार साल बीत चुके हैं अंग्रेजी महीनों के हिसाब से भी क़रीब पौने तीन हजार साल बीत चुके हैं फिर आठ सौ से एक हजार साल पहले कैसे हुए 10वीं ग्यारहवीं शताब्दी में तो गोगाजी का जन्म हुआ था पहले हिस्ट्री देख लेना चाहिए फिर उसके बाद बोलना चाहिए भार्थहरी लगभग तीन हजार वर्ष पहले ही जोग ले चके थे और उनके गुरू गोरखनाथ जी थे उसके बाद विक्रमादित्य ने लिया फिर गोपीचंद ने लिया जो भरथरी ओर विक्रमादित्य के भांजे थे भरथरी और गोपीचंद को अमर किया गया था जबकि विक्रमादित्य को अम्रता की प्राप्ति नहीं हुई
😘😘😘🥰🥰🥰😍😍😍😍🙏🙏🙏जय श्री माँ काली मैया जी मेरी प्यारी माँ आप की सदा ही जय हो मेरी प्यारी मैया जय श्री भोले बाबा जी मेरे प्यारे बाबा जय श्री कार्तिकेय भैया जी जय श्री बाप्पा मोरया भैया जी आप की सदा ही जय हो मेरे प्यारे बाबा मेरी प्यारी मैईया मेरे प्यारे भैया 🙏🙏🙏😍😍😍😍🥰🥰🥰😘😘😘
चमत्कार धर्म नहीं है ! धर्म ध्यान से निकला ज्ञान है ! ध्यान से ज्ञान और ज्ञान से धर्म का आभास होता है ! धर्म सत्य है ! सत्य जैसा नहीं, धर्म साक्षात सत्य है ! इसलिए धर्म की अनुभूति होती है-प्रयास नहीं !
अथर्ववेद📚 ग्यारहवां कांड सुक्त-२ तव चतस्रः प्रदिशस्तव द्यौस्तव पृथिवी तवेदमुग्रोर्वन्तरिक्षम् । तवेदं सर्वमात्मन्वद्यत्प्राणत्पृथिवीमनु ॥१०॥ हे अतिशय बलशाली रुद्र ! पूर्व आदि चार दिशाएं तुम्हारे अधिकार में हैं . द्यौ , पृथ्वी , विशाल अंतरिक्ष तथा आत्मा के द्वारा भोक्ता के रूप में वर्तमान सारे शरीर तुम्हारे अधिकार में है . पृथ्वी पर जितने सांस लेने वाले हैं , वे भी तुम्हारे अधिकार में हैं . इन सब पर कृपा करने के लिए तुम्हें नमस्कार है . ( १० ) Bhavarth : सब ब्रह्माण्ड व सब प्राणी प्रभु के प्रशासन में ही चल रहे हैं । Sandarbh : प्रभु के प्रशासन में जिन जगन्नियन्ता जगदाधार वेदवर्णित अद्वितीय परमेश्वर से यह सम्पूर्ण जगत सदा - सभी अवस्थाओ मे सर्वथा व्याप्त है । जो काल के भी महाकाल है--अर्थात जो काल की सीमाओ से भी परे है। जो ज्ञानस्वरूप चिन्मय परमात्मा सुह्वदता आदि दिव्य गुणो से नित्य सम्पन्न है , समस्त गुण जिनके स्वरूपभूत और चिन्मय है, जो समस्त ब्रह्माण्डो को भली प्रकार से जानते है , उन्ही का चलाया हुआ यह जगत्-चक्र नियमपूर्वक चल रहा है।