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राजा भोज और गंगू तेली की कहानी || raja bhoj aur gangu teli ki kahani || Story of Raja Bhoj 

sudrshan hindi kahaniyan
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Story of Raja Bhoj and Gangu Teli

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16 сен 2024

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Комментарии : 1   
@tutrustacademy
@tutrustacademy 2 месяца назад
गलत ऐसा नही है कहाँ राज भोज कहाँ गंगू तेली ऐसे नही कहा गया है.. दो लोगों के बीच फर्क बताने के लिए इस कहावत का खूब इस्तेमाल होता है. राजा भोज मतलब बड़ा और गंगू तेली मतलब छोटा. कहावत से ऐसा लगता है कि इसके पीछे दो लोग रहे होंगे. कोई राजा और और कोई दूसरा आदमी. लेकिन जो हम आपसे कहें कि इसमें कोई तीसरा भी घुसा हुआ है तो? अब तीसरा पढ़कर आपको लगे कि ‘पति-पत्नी और वो’ का मामला लग रहा है, तो ऐसा नहीं है बंधु. लेकिन तीसरा है जरूर. इस तीसरे की कहानी हम आपको बताएंगे. लेकिन उसके पहले आपको जरा राजा भोज से मिलाते हैं. राजा भोज परमार वंश के 9वें राजा थे. राजा भोज 55 वर्ष के जीवन में कई लड़ाइयां लड़े और जीते. मध्य प्रदेश का धार उनकी राजधानी हुआ करता था. इतना ही नहीं उन्होंने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल शहर को भी बसाया था. तब उस शहर को भोजपाल नगर कहा जाता था जो वक्त के साथ पहले भूपाल और अब भोपाल के नाम से जाना जाता है. ये तो हुआ एक राजा का परिचय लेकिन उनका एक और परिचय भी है. फ़ारसी विद्वान अल-बरुनी जो 1018-19 में महमूद ग़ज़नवी के साथ भारत आए थे, उन्होंने भी अपनी एक कहानी में राजा भोज का जिक्र किया है. भोज बड़े विद्वान भी थे. उनके पास धर्म, व्याकरण, भाषा, कविता आदि का ज्ञान था. भोज ने सरस्वतीकण्ठाभरण, शृंगारमंजरी, चम्पूरामायण जैसे कई ग्रन्थ लिखे जिसमें से 80 आज भी उपलब्ध हैं. ये तो हुआ राजा भोज का परिचय. अब वापस आते हैं गंगू तेली मतलब कहावत पर. बात पैसे की नहीं, जुर्रत की थी परमार राजा अर्जुन वर्मन के लिखे से ये पता चलता है कि एक बार चेदिदेश के राजा गांगेयदेव कलचुरी और राजा भोज के बीच युद्ध छिड़ गया. इधर राजा भोज और गांगेयदेव कलचुरी की लड़ाई चल रही थी, उधर जयसिंह तेलंग नाम के राजा भी बीच में कूद पड़े. उन्होंने साथ दिया गांगेयदेव का. तो एक तरफ राजा भोज और दूसरी तरफ गांगेयदेव और जयसिंह तेलंग. खूब लड़ाई हुई. एक बार तो गोदावरी के तट पर राजा भोज को घेर भी लिया गया लेकिन उसके बावजूद राजा भोज कोंकण जीतने में सफल रहे. गांगेयदेव कलचुरी और जयसिंह तेलंग की बुरी तरह से हार हुई और गांगेयदेव के राज्य का कुछ भाग राजा भोज के हिस्से आ गया. इन दोनों राजाओं को बुरी तरह से हराने के बाद 'कहां राजा भोज और कहां गांगेय तैलंग' की कहावत लोगों के बीच काफी प्रचलित हो गई. लेकिन समय के साथ लोगों ने 'कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली' कहना शुरू कर दिया.
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