पहली बात शिक्षक का मूल कार्य शिक्षा देने का है, आज शिक्षकों से अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं। आज आप स्वयं मात्र मीडिया की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहें हैं, वहीं एक शिक्षक जो, विद्यालय में झाड़ू लगाने से लेकर टाट दरी बिछाने, किताबों का गट्ठर ढोने,राशन ढोने, गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह, विभिन्न परीक्षा संचालन, चुनाव, बीएलओ, प्रतिदिन सैकड़ों तरह की जानकारी बनाना, विधानसभा प्रश्नों के जबाव में माथा-पच्ची, और वो भी अकेले 1से5 तक या 6से8 तक के कक्षाओं को सम्हालते हुए आप जैसों को भी झेलना एक धैर्यवान वीर व शाहसी व्यक्ति ही कर सकता है। यहां साफ समझ में आ रहा है कि बच्चों को उकसाया गया है, जिसमें आप शामिल हैं या नहीं आप जानें। किन्तु यह साफ है कि आप किसी तथ्य की मौलिकता को प्रकाशित करने की बजाय एक शिक्षक के शान्त व सरल स्वभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें गालियां बके जा रहे हो,,,,,! उड़े जा रहे हो,,,,,! मैं नहीं जानता कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो लेकिन....तरीका गलत है। जब शिक्षक साफ-साफ कह रहे हैं कि जितना मिला है उतना दे रहें हैं, 60% बच्चों के लिए आया है लेकिन बांटना 100% बच्चों को है, ऐसे में स्वाभाविक है कि प्रति छात्र चावल कम मिलेगा। तब यह तथाकथित पत्रकार बिना तथ्य जाने पूँछता है कि कमीशन किसको-किसको देते हो? अरे तथाकथित पत्रकार! तुम इन प्राइमरी मिडिल स्कूल में कमीशन ढूंढ़ रहे हो?, इसके लिए और ऊपर जाना पड़ेगा। पर हां! जरा जुबान सुधार कर जाना कहीं लेने के देने न पड़ जाए। इन शिक्षक महोदय को गाली क्यों बक रहा है? गाली बकने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? तुम्हारे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। मानहानि का केस होना चाहिए। यदि पंजीयन है, तो निरस्त होना चाहिए। जागो भाइयों!... जागो!...उठो! और ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरुद्ध आवाज उठाओ। जय हिन्द!जय भारत!
Sanjeev kushwaha is much better to Manish Kashyap, Sanjeev kisi political party ke liye nhi bolte wo jo ground reality hoti hai usi ko with proof show krte hai jab ki Manish Kashyap kisi party ke khilaf hi government pe nishana sadhte hai wo politics krte hai patrakarita nhi patrakarita Sanjeev kr rhe hai
पहली बात शिक्षक का मूल कार्य शिक्षा देने का है, आज शिक्षकों से अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं। आज आप स्वयं मात्र मीडिया की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहें हैं, वहीं एक शिक्षक जो, विद्यालय में झाड़ू लगाने से लेकर टाट दरी बिछाने, किताबों का गट्ठर ढोने,राशन ढोने, गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह, विभिन्न परीक्षा संचालन, चुनाव, बीएलओ, प्रतिदिन सैकड़ों तरह की जानकारी बनाना, विधानसभा प्रश्नों के जबाव में माथा-पच्ची, और वो भी अकेले 1से5 तक या 6से8 तक के कक्षाओं को सम्हालते हुए आप जैसों को भी झेलना एक धैर्यवान वीर व शाहसी व्यक्ति ही कर सकता है। यहां साफ समझ में आ रहा है कि बच्चों को उकसाया गया है, जिसमें आप शामिल हैं या नहीं आप जानें। किन्तु यह साफ है कि आप किसी तथ्य की मौलिकता को प्रकाशित करने की बजाय एक शिक्षक के शान्त व सरल स्वभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें गालियां बके जा रहे हो,,,,,! उड़े जा रहे हो,,,,,! मैं नहीं जानता कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो लेकिन....तरीका गलत है। जब शिक्षक साफ-साफ कह रहे हैं कि जितना मिला है उतना दे रहें हैं, 60% बच्चों के लिए आया है लेकिन बांटना 100% बच्चों को है, ऐसे में स्वाभाविक है कि प्रति छात्र चावल कम मिलेगा। तब यह तथाकथित पत्रकार बिना तथ्य जाने पूँछता है कि कमीशन किसको-किसको देते हो? अरे तथाकथित पत्रकार! तुम इन प्राइमरी मिडिल स्कूल में कमीशन ढूंढ़ रहे हो?, इसके लिए और ऊपर जाना पड़ेगा। पर हां! जरा जुबान सुधार कर जाना कहीं लेने के देने न पड़ जाए। इन शिक्षक महोदय को गाली क्यों बक रहा है? गाली बकने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? तुम्हारे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। मानहानि का केस होना चाहिए। यदि पंजीयन है, तो निरस्त होना चाहिए। जागो भाइयों!... जागो!...उठो! और ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरुद्ध आवाज उठाओ। जय हिन्द!जय भारत!
@@sachendratiwari3294 bhai sahab Mera sala ko dekh shikshak hai sarkari school mein UP mein aur uski har kisi se setting hai commission ki sabji wala Ho chahe dudh wala Ho meri aankhon dekhi baat hai
आपका कार्य काफी उत्कृष्ट है लेकिन एक चीज बता दे रहा हूं औसत उपस्थिति के आधार पर ही बच्चों का चावल दिया जाता है लफड़ा शिक्षक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए
Yeh हीरो नही है youtube पर व्यूज पाने के लिए video बनाना है कहीं से बना ले पेहली बात तोह yeh है राशन के वितरण का काम टीचर का नही है सरकार को उसका इंतजाम करना चाहिए बाकी सरकारी स्कूल में व्यवस्था नही है तोह उसका फण्ड सरकार ज़ब देगी तब काम. होता है ऐसे videos बना कर टीचर को बेशर्म , चोर कहना सही नही है क्यूंकि बच्चों को वहीं रहना है
पहली बात शिक्षक का मूल कार्य शिक्षा देने का है, आज शिक्षकों से अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं। आज आप स्वयं मात्र मीडिया की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहें हैं, वहीं एक शिक्षक जो, विद्यालय में झाड़ू लगाने से लेकर टाट दरी बिछाने, किताबों का गट्ठर ढोने,राशन ढोने, गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह, विभिन्न परीक्षा संचालन, चुनाव, बीएलओ, प्रतिदिन सैकड़ों तरह की जानकारी बनाना, विधानसभा प्रश्नों के जबाव में माथा-पच्ची, और वो भी अकेले 1से5 तक या 6से8 तक के कक्षाओं को सम्हालते हुए आप जैसों को भी झेलना एक धैर्यवान वीर व शाहसी व्यक्ति ही कर सकता है। यहां साफ समझ में आ रहा है कि बच्चों को उकसाया गया है, जिसमें आप शामिल हैं या नहीं आप जानें। किन्तु यह साफ है कि आप किसी तथ्य की मौलिकता को प्रकाशित करने की बजाय एक शिक्षक के शान्त व सरल स्वभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें गालियां बके जा रहे हो,,,,,! उड़े जा रहे हो,,,,,! मैं नहीं जानता कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो लेकिन....तरीका गलत है। जब शिक्षक साफ-साफ कह रहे हैं कि जितना मिला है उतना दे रहें हैं, 60% बच्चों के लिए आया है लेकिन बांटना 100% बच्चों को है, ऐसे में स्वाभाविक है कि प्रति छात्र चावल कम मिलेगा। तब यह तथाकथित पत्रकार बिना तथ्य जाने पूँछता है कि कमीशन किसको-किसको देते हो? अरे तथाकथित पत्रकार! तुम इन प्राइमरी मिडिल स्कूल में कमीशन ढूंढ़ रहे हो?, इसके लिए और ऊपर जाना पड़ेगा। पर हां! जरा जुबान सुधार कर जाना कहीं लेने के देने न पड़ जाए। इन शिक्षक महोदय को गाली क्यों बक रहा है? गाली बकने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? तुम्हारे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। मानहानि का केस होना चाहिए। यदि पंजीयन है, तो निरस्त होना चाहिए। जागो भाइयों!... जागो!...उठो! और ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरुद्ध आवाज उठाओ। जय हिन्द!जय भारत!
यह पत्रकार कमीशन डूंड रहा है जब इस पत्रकार को पता ही नहीं कि चावल किन बच्चों को दिया जाता है तो ऐसा लग रहा है कि कमीशन मात्र के लिए विद्यालय आया था शिक्षक जब बोल रहा है कि 60% बच्चों को ही चावल देना है तब पत्रकार सब कुछ और बताने लगा
🙏🙏अब तो बिहार का बिकास होने से कोई माई का लाल नही रोक सकता । आप जैसे बहुत सारे पत्रकारों की वजह से ही बिहार का बिकास होगा 🙏🙏सभी लोगों से आग्रह है कि इन जैसे पत्रकारों का फुल सपोर्ट किजिए ताकि ये लोग बड़े से बड़े अधिकारियों की भी रेलाई कर सकें। जय हिंद जय बिहार 🙏
I am not follower of AAP even don’t appreciate there free politics but the work done to improve the conditions of Govt School is awesome and I really appreciate it
In Delhi they have only 2200 school, the reality of Aap will be seen in Punjab in future. Just wait you will se how much swimmimg pole will be thier. Now coming on this vedio strict action should be taken against this chor sale chor bacchon ka niwala chen raha hain. Itni achi salary hone ke bad bhi 😠😠😠😠😠😠
साहसी और ईमानदार पत्रकार संजीत जी अप टू डेट और सच्चा वीडियो दिखाने के लिए आप को सलाम पत्रकार भाई अगर माननीय नीतीश कुमार जी चाहे तो पूरा बिहार सुधर सकता है ना कि यह विद्यालय मगर चाहे तो क्या दिक्कत होगा कि बिहार में भी जोगी बॉर्डर जैसा काम हो धन्यवाद बंदे भारत
आपके लिए जितना कहा जाए उतना ही कम है आप एक बहुत अच्छे पत्रकार हैं और आपने जो यह अभियान छेड़ा है लोगों को जागरूक करने का यह बहुत ही सराहनीय है भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जय हिंद
60%बच्चो का चावल मिलता है और बोरा मे 45 क्रिलो चावल रहता है 100%बच्चो मे चावल नही देना है 60%उपस्थित के आधार पर चावल देना था मिडिया महोदय जी से निवेदन है कि इस मामले मे उच्च पदाधिकारिओं से जबाब मांगा जाऐ आपका काम बहुत ही अच्छा है
मूर्ख हो सही जानकारी नहीं है ,,,सरकार जब चावल ही काम देगा और 100 परसेंट बच्चों में बांटना होगा तब क्या किया जायेगा ,,काम तो बंटेगा ही,,अधिकारी से पूछने की औकात है नहीं
पहली बात शिक्षक का मूल कार्य शिक्षा देने का है, आज शिक्षकों से अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं। आज आप स्वयं मात्र मीडिया की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहें हैं, वहीं एक शिक्षक जो, विद्यालय में झाड़ू लगाने से लेकर टाट दरी बिछाने, किताबों का गट्ठर ढोने,राशन ढोने, गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह, विभिन्न परीक्षा संचालन, चुनाव, बीएलओ, प्रतिदिन सैकड़ों तरह की जानकारी बनाना, विधानसभा प्रश्नों के जबाव में माथा-पच्ची, और वो भी अकेले 1से5 तक या 6से8 तक के कक्षाओं को सम्हालते हुए आप जैसों को भी झेलना एक धैर्यवान वीर व शाहसी व्यक्ति ही कर सकता है। यहां साफ समझ में आ रहा है कि बच्चों को उकसाया गया है, जिसमें आप शामिल हैं या नहीं आप जानें। किन्तु यह साफ है कि आप किसी तथ्य की मौलिकता को प्रकाशित करने की बजाय एक शिक्षक के शान्त व सरल स्वभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें गालियां बके जा रहे हो,,,,,! उड़े जा रहे हो,,,,,! मैं नहीं जानता कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो लेकिन....तरीका गलत है। जब शिक्षक साफ-साफ कह रहे हैं कि जितना मिला है उतना दे रहें हैं, 60% बच्चों के लिए आया है लेकिन बांटना 100% बच्चों को है, ऐसे में स्वाभाविक है कि प्रति छात्र चावल कम मिलेगा। तब यह तथाकथित पत्रकार बिना तथ्य जाने पूँछता है कि कमीशन किसको-किसको देते हो? अरे तथाकथित पत्रकार! तुम इन प्राइमरी मिडिल स्कूल में कमीशन ढूंढ़ रहे हो?, इसके लिए और ऊपर जाना पड़ेगा। पर हां! जरा जुबान सुधार कर जाना कहीं लेने के देने न पड़ जाए। इन शिक्षक महोदय को गाली क्यों बक रहा है? गाली बकने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? तुम्हारे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। मानहानि का केस होना चाहिए। यदि पंजीयन है, तो निरस्त होना चाहिए। जागो भाइयों!... जागो!...उठो! और ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरुद्ध आवाज उठाओ। जय हिन्द!जय भारत!
रिपोर्टर भाई तो अच्छा काम कर रहे पर एक बात और ध्यान देने वाली है की वो दिन दूर नही जब देश का युवा अपनी बात बेबाक रखेगा ये बच्चे है तो प्राइमरी कक्षा के लेकिन आज मौका मिला तो पूरा सिस्टम की बोल खोल कर रख दिया डिजिटल क्रांति की ताकत ✊✊
इस चैनल के ,,, भी सदस्यों को धन्यवाद और शुभकामनाएं देश के सभी राज्यों के हर एक जिले में लोग अगर ऐसा ही एक एक चैनल बना लें तो फिर भ्रष्टाचार की जड़ हिल जाएगी
ऐसी पत्रकारिता करोगे तो कुछ समय के लिए कुछ लोग वाह वाह कर लेगे. पर यह पत्रकारीय कार्य न होकर किसी भी व्यक्ति को सुने बिना पहले से धारणा बनाकर बदनाम करना ब्लैकमेल कहलाता है. बच्चे तो बच्चे है किसी के बहकावे मे आ सकते है.कुछ तसल्ली से पूछिए और सामने वाले का जबाव भी सुनिए. आप तो अध्यापक जी को चोर मानकर ही आए थे. आकर सीधा चरित्र प्रमाण पत्र सौंप दिया. आप भी तो किसी अध्यापक जी से ही पढे होगे. सरकारी कमियो को अध्यापक पर मत ना थोपीए.इन्हे जलील ना करके उन्हे उत्साहित करके अच्छे परिणाम प्राप्त कीजिए. फिर आपकी मर्जी. जोश के साथ होश भी होना चाहिए.
पहली बात शिक्षक का मूल कार्य शिक्षा देने का है, आज शिक्षकों से अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं। आज आप स्वयं मात्र मीडिया की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहें हैं, वहीं एक शिक्षक जो, विद्यालय में झाड़ू लगाने से लेकर टाट दरी बिछाने, किताबों का गट्ठर ढोने,राशन ढोने, गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह, विभिन्न परीक्षा संचालन, चुनाव, बीएलओ, प्रतिदिन सैकड़ों तरह की जानकारी बनाना, विधानसभा प्रश्नों के जबाव में माथा-पच्ची, और वो भी अकेले 1से5 तक या 6से8 तक के कक्षाओं को सम्हालते हुए आप जैसों को भी झेलना एक धैर्यवान वीर व शाहसी व्यक्ति ही कर सकता है। यहां साफ समझ में आ रहा है कि बच्चों को उकसाया गया है, जिसमें आप शामिल हैं या नहीं आप जानें। किन्तु यह साफ है कि आप किसी तथ्य की मौलिकता को प्रकाशित करने की बजाय एक शिक्षक के शान्त व सरल स्वभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें गालियां बके जा रहे हो,,,,,! उड़े जा रहे हो,,,,,! मैं नहीं जानता कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो लेकिन....तरीका गलत है। जब शिक्षक साफ-साफ कह रहे हैं कि जितना मिला है उतना दे रहें हैं, 60% बच्चों के लिए आया है लेकिन बांटना 100% बच्चों को है, ऐसे में स्वाभाविक है कि प्रति छात्र चावल कम मिलेगा। तब यह तथाकथित पत्रकार बिना तथ्य जाने पूँछता है कि कमीशन किसको-किसको देते हो? अरे तथाकथित पत्रकार! तुम इन प्राइमरी मिडिल स्कूल में कमीशन ढूंढ़ रहे हो?, इसके लिए और ऊपर जाना पड़ेगा। पर हां! जरा जुबान सुधार कर जाना कहीं लेने के देने न पड़ जाए। इन शिक्षक महोदय को गाली क्यों बक रहा है? गाली बकने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? तुम्हारे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। मानहानि का केस होना चाहिए। यदि पंजीयन है, तो निरस्त होना चाहिए। जागो भाइयों!... जागो!...उठो! और ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरुद्ध आवाज उठाओ। जय हिन्द!जय भारत!
You are great dude ! Keep up the good work and be careful. Intellectual minds must come up with new idea to curb such corruptions. Your words are severing the existing administration
What if someone had manipulated them... Coz they are pure but at the same time highly polarisable.... Maybe their parents said them to do that... I mean maybe their ask is right but i also feel that the teacher is innocent
पत्रकार महोदय ! एमडीएम के बारे में थोड़ा और जानकारी हासिल करना चाहिए। तब किसी सवाल को उठाएं। इस बच्चों के अभिभावक अगर बच्चों को रोज विद्यालय भेजते और विद्यालय आकर हाल चाल लेते तो शिक्षा का बेहतर सुधार हो जाता । ये वहीं अभिभावक के बच्चें है जो केवल चावल लेने आते हैं और बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं।
पहली बात शिक्षक का मूल कार्य शिक्षा देने का है, आज शिक्षकों से अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं। आज आप स्वयं मात्र मीडिया की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहें हैं, वहीं एक शिक्षक जो, विद्यालय में झाड़ू लगाने से लेकर टाट दरी बिछाने, किताबों का गट्ठर ढोने,राशन ढोने, गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह, विभिन्न परीक्षा संचालन, चुनाव, बीएलओ, प्रतिदिन सैकड़ों तरह की जानकारी बनाना, विधानसभा प्रश्नों के जबाव में माथा-पच्ची, और वो भी अकेले 1से5 तक या 6से8 तक के कक्षाओं को सम्हालते हुए आप जैसों को भी झेलना एक धैर्यवान वीर व शाहसी व्यक्ति ही कर सकता है। यहां साफ समझ में आ रहा है कि बच्चों को उकसाया गया है, जिसमें आप शामिल हैं या नहीं आप जानें। किन्तु यह साफ है कि आप किसी तथ्य की मौलिकता को प्रकाशित करने की बजाय एक शिक्षक के शान्त व सरल स्वभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें गालियां बके जा रहे हो,,,,,! उड़े जा रहे हो,,,,,! मैं नहीं जानता कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो लेकिन....तरीका गलत है। जब शिक्षक साफ-साफ कह रहे हैं कि जितना मिला है उतना दे रहें हैं, 60% बच्चों के लिए आया है लेकिन बांटना 100% बच्चों को है, ऐसे में स्वाभाविक है कि प्रति छात्र चावल कम मिलेगा। तब यह तथाकथित पत्रकार बिना तथ्य जाने पूँछता है कि कमीशन किसको-किसको देते हो? अरे तथाकथित पत्रकार! तुम इन प्राइमरी मिडिल स्कूल में कमीशन ढूंढ़ रहे हो?, इसके लिए और ऊपर जाना पड़ेगा। पर हां! जरा जुबान सुधार कर जाना कहीं लेने के देने न पड़ जाए। इन शिक्षक महोदय को गाली क्यों बक रहा है? गाली बकने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? तुम्हारे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। मानहानि का केस होना चाहिए। यदि पंजीयन है, तो निरस्त होना चाहिए। जागो भाइयों!... जागो!...उठो! और ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरुद्ध आवाज उठाओ। जय हिन्द!जय भारत!