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लखनऊ की शानदार सफ़ेद बारादरी 

Peepul Tree World (Live History India)
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क़ैसरबाग़-परिसर के बीचों-बीच स्थित सफ़ेद बारादरी, आज शादी या अन्य ख़ुशी के जश्न मनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है, लेकिन ज़्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह शानदार सफ़ेद इमारत दरअसल मातम मनाने के लिए बनवाई गई थी।
अवध के अंतिम नवाब, नवाब वाजिद अली शाह ने सन 1847 में गद्दी संभाली थी । उन्होंने अपने ज़माने में बड़े पैमाने पर सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों को बढ़ावा दिया।
गद्दी पर बैठने के फ़ौरन बाद वाजिद अली शाह ने अपने सपनों का बाग़ यानी क़ैसर बाग़-परिसर बनवाना शुरू कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि क़ैसर बाग़-परिसर उसी तर्ज़ पर बनाया गया है जैसा कि पवित्र क़ुरान में जन्नत का ज़िक्र किया गया है। सन 1848 और सन 1850 के बीच यह भव्य परिसर बनकर तैयार हो गया था। इसके निर्माण, सजावट और फ़र्नीचर पर कुल मिलाकर 80 लाख रुपए ख़र्च हुए थे।
क़ैसर बाग़ के भव्य परिसर में कई इमारतें और बाग़ हैं। क़ैसर बाग़ के पश्चिमी दरवाज़े और पूर्वी दरवाज़े के बीच ही सफ़ेद बारादरी स्थित है। बारा-दरी का मतलब है, एक ऐसा भवन जिसके 12 दरवाज़े हों।
सफ़ेद बारादरी सन 1854 में बनवाई गई थी। पहले इसका नाम “क़स्र-उल-अज़ाह” यानी इमामबाड़ा था। सफ़ेद बारादरी का रंग शुरू से सफ़ेद है। इस पर दिवान-ए-आम जैसी मुग़ल शिल्पकारी का प्रभाव देखा जा सकता है। असल में यह मिली शिल्पकारी का नमूना है।
बारादरी के अंदर शानदार झूमर और नवाबों की पैंटिंगें देखी जा सकती हैं। हर दरवाज़े पर बड़ी सुंदरता से कांच के टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया है जिसमें फ़्रांसीसी शिल्पकारी की भी झलक मिलती है।
सफ़ेद बारादरी के मुख्य हाल में बलरामपुर के दो महाराजाओं यानी महाराजा मान सिंह और दिग्विजय सिंह की, संगमरमर की मूर्तियां भी हैं। “अंजुमन-ए-ताल्लुक़दार-ए-अवध” नाम की संस्था बनाने में इन दोनों का बड़ा योगदान था।
सन 1856 में अवध पर क़ब्ज़े के बाद, अंग्रेज़ों ने नवाब वाजिद अली शाह को कलकत्ता के मातीयबृज भेज दिया था।
उसके बाद इस पवित्र सफ़ेद बारादरी को अंग्रेज़ों ने अदालत में बदल दिया था।
सन 1857 की बग़ावत के वक़्त नावाब वाजिद अली शाह की बेगम हज़रत महल ने कमान अपने हाथ में लेली थी और अंग्रेज़ों से जमकर लोहा लिया था, तब सफ़ेद बारादरी, स्वतंत्रता सेनानियों के लिए मिलने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया था।
सन 1923 के आसपास, ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति समर्पण और वफ़ादारी दिखाने के लिए, ब्रिटिश सरकार ने सफ़ेद बारादरी, अवध के ताल्लुकदारों की अंजुमन को सौंप दी थी। जिसका नाम बदलकर “ ब्रिटिश इंडिया एस्सोसिएशन आफ़ अवध” कर दिया गया था। आज भी सफ़ेद बारादरी पर एस्सोसिएशन का ही मालिकाना हक़ है।
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Опубликовано:

 

15 окт 2024

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Комментарии : 8   
@ShashiTiwari-mw5hn
@ShashiTiwari-mw5hn 8 месяцев назад
Nice🎉😊😊
@ShashiTiwari-mw5hn
@ShashiTiwari-mw5hn 8 месяцев назад
Yasss
@prateexit
@prateexit 3 года назад
Again a wonderful work by Live History India team.
@prashantmishra3499
@prashantmishra3499 3 года назад
QL
@imranahmad2570
@imranahmad2570 Месяц назад
Keya isko aam log dekh sakate hain
@atulpandit2679
@atulpandit2679 3 года назад
❤️❤️❤️ Bismillah Rahman e Raheem Assalamualeykum Rahmatullahi Barkatuh ❤️👍👍👍👍
@sanchitsingh5912
@sanchitsingh5912 3 года назад
Good job please keep updating us !!!!!
@mrutyunjaysinhpadhiyar5474
@mrutyunjaysinhpadhiyar5474 3 года назад
Nice
Далее
Слушали бы такое на повторе?
01:00