आदरणीय मिर्ज़ा जी द्वारा यह बहुत ही दुर्लभ और सबसे महत्वपूर्ण प्रयास है। हमारे मूर्धन्य प्रसिद्ध साहित्यकार "लाला जगदलपुरी" जी की दिल में दबी एवं उमड़ती इच्छाओं, अपेक्षाओं, कल्पनाओं और अनुभवों को उनके स्वयं के मुख द्वारा इस उम्र में उज़ागर करके छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित तथा धन्य कर दिया है।