महुआ मोइत्रा अब सांसद नहीं हैं। उनके नाम के आगे पूर्व सांसद लग चुका है। 2019 में पहली बार सांसद बनी थीं। अपनी सांसदी के दौरान सदन में उनके भाषण और सवाल चर्चा में रहे। आज आचार समिति की त्वरित कार्यवाही ने उन्हें संसद से निकाल दिया है लेकिन निष्कासन के बाद महुआ ने उसी बेबाक़ी से संसद की सीढ़ियों से अपना बयान मीडिया के सामने रखा। उन्होंने लगातार आरोप लगाया है कि आचार समिति में उनकी बात ठीक से नहीं सुनी गई और संसद में अपनी सफ़ाई देने का मौक़ा नहीं मिला। उनकी पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा है कि ये लोकतंत्र के लिए उदास दिन है, महुआ 2019 से भी बड़े बहुमत के साथ वापिस आएँगी। मगर सच तो यही है कि महुआ विपक्ष की दूसरी ऐसी सांसद हैं जिन्हें इस साल सदन से बाहर किया गया है।
महुआ मोइत्रा का व्यक्तित्व उन चीज़ों से बनता है जिसे भारत की मर्दवादी परंपरा कम बर्दाश्त करती है। महुआ को ही महुआ का दुश्मन बना दिया गया। उन्हें समझना है तो उस तंत्र को समझना होगा जो हर महिला को अपना ग़ुलाम बनाना चाहता है। महुआ ने लगातार उस तंत्र को चुनौती दी है, कभी अपने व्यक्तित्व से तो कभी अपनी राजनीति से।
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/ @ravishkumar.official
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7 дек 2023