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वास्तु पुरुष का शिर, नाक, गला, हृदय, पेट, लिंग स्थान, पैर, घुटने कोहनी इत्यादि मर्म स्थान कहलाते हैं। प्लॉट पर कॉलम खड़ा करते समय इन मर्म स्थानों पर छिद्र नही होना चाहिए। घर बनाने में सावधानियां रखना चाहिए। वास्तु पुरुष भूमि में औंधे मुंह लेटे हैं। ईशान कोण में वास्तु का शिर और नैरत्य कोण में पैर होते हैं। पूर्व में वास्तु की दाई भुजा, उत्तर में बाई भुजा होती है। दक्षिण में वास्तु पुरुष की दाई जांध एवं पश्चिम में बाई जांध होती है।
9 дек 2020