Jai jinendra 🙏 " KEVALGYAN TV Presents Magnificent Animated Series on "24 Tirthankars" . Episode on 24 Tirthankar Bhagwan will show the details of Tirthankar's past lives, Birth, Quietude, Divyadwani, and Moksha, etc which will help in increasing your knowledge. Playlist link 👉🏻 ru-vid.com/group/PLbqI2sGklgXfWLvfh_Bp0zYPBZ4cZEq7I If you like this video please subscribe to our channel, press the bell icon and forward with your Friends and family. Thank you 🙏🏻जय जिनेन्द्र🙏🏻 केवलज्ञान TV की अद्धभुत प्रस्तुति "चौबीस तीर्थंकर पुराण वीडियो एनीमेशन फ़िल्म" की वीडियो आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। आशा है आपको ये वीडियो चौबीस तीर्थंकर भगवान के पूर्व भव, जन्म, वैराग्य , दिव्यध्वनि, मोक्ष आदि अनेक कल्याण कारी प्रसंगों की ज्ञानवृद्धि में सहायक सिद्ध होगी। माध्यम (link) 👉🏻 ru-vid.com/group/PLbqI2sGklgXfWLvfh_Bp0zYPBZ4cZEq7I 👆🏻 यदि यह वीडियो आपको अच्छी लगे तो अपने सभी मित्रों एवं परिजनों को अवश्य फारवर्ड करें। सब्सक्राइब एवं बेल 🔔आइकॉन का बटन दवाना न भूलें। धन्यवाद
Om SaJal Sradhdha Om Prakhar PraGYa Om Dada Guru Om GaYaTrI MaTa Om SaraSwaTI MaTa Om TaT SaT SaVITrI MaTa Om TaT SaT Prabhu ParmaTa IShwar ParmeShwar Om Om Om Om
१. इह विधि ठाडो होय के, प्रथम पढ़ै जो पाठ; धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ. २. अनंत चतुष्टय के धनी, तुम ही हो सिरताज; मुक्ति-वधू के कन्त तुम, तीन भुवन के राज. ३. तिंहु जग की पीड़ा हरन, भवदधि-शोषणहार; ज्ञायक हो तुम विश्व के, शिव सुख के करतार. ४. हरता अघ अंधियार के, करता धर्म प्रकाश; थिरता पद दातार हो, धरता निजगुण रास. ५. धर्मामृत उर जल धिसों, ज्ञान भानु तुम रूप; तुमरे चरण सरोज को, नावत तिंहु जग भूप. ६. मैं बंदौ जिन देव को, कर अति निर्मल भाव; कर्म बंध के छेदने, और न कछू उपाव. ७. भविजन कों भव कूपतैं, तुम ही काढ़न-हार; दीन दयाल अनाथ पति, आतम गुण भंडार. ८. चिदानंद निर्मल कियो, धोय कर्म रज मैल; सरल करी या जगत में, भविजन को शिव गैल. ९. तुम पद पंकज पूजतैं, विघ्न रोग टर जाय; शत्रु मित्रता को धरै, विष निर-विषता थाय. १०. चक्री खगधर इन्द्र पद, मिलैं आपतैं आप; अनुक्रम कर शिव पद लहैं, नेम सकल हनि पाप. ११. तुम बिन में व्याकुल भयो, जैसे जल बिन मीन; जन्म जरा मेरी हरो, करो मोहि स्वाधीन. १२. पतित बहुत पावन किये, गिनती कौन करेव; अंजन से तारे प्रभु, जय जय जय जिन देव. १३. थकी नाव भवदधि विषै, तुम प्रभु पार करेय; खेवटिया तुम हो प्रभु, जय जय जय जिन देव. १४. राग सहित जग में रुल्यो, मिले सरागी देव; वीतराग भेटयो अबै, मेटो राग कुटेव. १५. कित निगोद कित नारकी, कित तिर्यंच अज्ञान; आज धन्य मानुष भयो, पायो जिनवर थान. १६. तुमको पूजैं सुरपति, अहिपति नरपति देव; धन्य भाग्य मेरो भयो, करन लग्यो तुम सेव. १७. अशरण के तुम शरण हो, निराधार आधार; मैं डूबत भव सिंधु में, खेओ लगाओ पार. १८. इन्द्रादिक गणपति थके, कर विनती भगवान; अपनो विरद निहारिकैं, कीजै आप समान. १९. तुमरी नेक सुदृष्टि-तैं, जग उतरत है पार; हा हा डूबो जात हों, नेक निहार निकार. २०. जो मैं कहहूँ और-सों, तो न मिटै उर भार; मेरी तो तोसों बनी, तातैं करौं पुकार. २१. बंदों पांचों परम गुरु, सुर गुरु बंदत जास; विघन हरन मंगल करन, पूरन परम प्रकाश. २२. चौबीसों जिनपद नमों, नमों शारदा माय; शिव-मग साधक साधु नमि, रच्यो पाठ सुखदाय. मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान | हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान |१| मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव | मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव |२| मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय | सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय |३| मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म | मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म |४| या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत | मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत |५|
Vinay sir m really inspired from u u r a great actor heads off to u I have seen most of the movie of your all r great sir superbbbb hope u see n reply 🌹💐❤️🙏
इह विधि ठाडो होय के, प्रथम पढ़ै जो पाठ; धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ. २. अनंत चतुष्टय के धनी, तुम ही हो सिरताज; मुक्ति-वधू के कन्त तुम, तीन भुवन के राज. ३. तिंहु जग की पीड़ा हरन, भवदधि-शोषणहार; ज्ञायक हो तुम विश्व के, शिव सुख के करतार. ४. हरता अघ अंधियार के, करता धर्म प्रकाश; थिरता पद दातार हो, धरता निजगुण रास. ५. धर्मामृत उर जल धिसों, ज्ञान भानु तुम रूप; तुमरे चरण सरोज को, नावत तिंहु जग भूप. ६. मैं बंदौ जिन देव को, कर अति निर्मल भाव; कर्म बंध के छेदने, और न कछू उपाव. ७. भविजन कों भव कूपतैं, तुम ही काढ़न-हार; दीन दयाल अनाथ पति, आतम गुण भंडार. ८. चिदानंद निर्मल कियो, धोय कर्म रज मैल; सरल करी या जगत में, भविजन को शिव गैल. ९. तुम पद पंकज पूजतैं, विघ्न रोग टर जाय; शत्रु मित्रता को धरै, विष निर-विषता थाय. १०. चक्री खगधर इन्द्र पद, मिलैं आपतैं आप; अनुक्रम कर शिव पद लहैं, नेम सकल हनि पाप. ११. तुम बिन में व्याकुल भयो, जैसे जल बिन मीन; जन्म जरा मेरी हरो, करो मोहि स्वाधीन. १२. पतित बहुत पावन किये, गिनती कौन करेव; अंजन से तारे प्रभु, जय जय जय जिन देव. १३. थकी नाव भवदधि विषै, तुम प्रभु पार करेय; खेवटिया तुम हो प्रभु, जय जय जय जिन देव. १४. राग सहित जग में रुल्यो, मिले सरागी देव; वीतराग भेटयो अबै, मेटो राग कुटेव. १५. कित निगोद कित नारकी, कित तिर्यंच अज्ञान; आज धन्य मानुष भयो, पायो जिनवर थान. १६. तुमको पूजैं सुरपति, अहिपति नरपति देव; धन्य भाग्य मेरो भयो, करन लग्यो तुम सेव. १७. अशरण के तुम शरण हो, निराधार आधार; मैं डूबत भव सिंधु में, खेओ लगाओ पार. १८. इन्द्रादिक गणपति थके, कर विनती भगवान; अपनो विरद निहारिकैं, कीजै आप समान. १९. तुमरी नेक सुदृष्टि-तैं, जग उतरत है पार; हा हा डूबो जात हों, नेक निहार निकार. २०. जो मैं कहहूँ और-सों, तो न मिटै उर भार; मेरी तो तोसों बनी, तातैं करौं पुकार. २१. बंदों पांचों परम गुरु, सुर गुरु बंदत जास; विघन हरन मंगल करन, पूरन परम प्रकाश. २२. चौबीसों जिनपद नमों, नमों शारदा माय; शिव-मग साधक साधु नमि, रच्यो पाठ सुखदाय. मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान | हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान |१| मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव | मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव |२| मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय | सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय |३| मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म | मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म |४| या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत | मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत |५|