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वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी जी की जीवन गाथा ... नाट्य रूपांतरण 

Rakesh Panwar Official
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वीर शिणो माधोसिंह भंडारी जी की जीवन गाथा ...
मलेथा के खेतों में सिंचाई के लिए अपने बेटे की बलि दी गयी
माधो सिंह भंडारी, जिन्हें 'माधो सिंह मलेथा' भी कहा जाता है, गढ़वाल के महान योद्धा, सेनापति और कुशल इंजीनियर थे जो आज से लगभग 400 साल पहले पहाड़ का सीना चीरकर नदी का पानी अपने गांव लेकर आये थे। गांव में नहर लाने के उनके प्रयास की यह कहानी भी काफी हद तक दशरथ मांझी से मिलती जुलती है। माधोसिंह भंडारी गढ़वाल की कथाओं का अहम अंग रहे हैं।
उनका जन्म सन 1595 के आसपास उत्तराखंड राज्य (Uttarakhand state) के टिहरी जनपद (rudraprayag district) के लालूड़ी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सोणबाण कालो भंडारी था, जो वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भंडारी को एक बड़ी जागीर भैंट की थी। माधो सिंह भी अपने पिता की तरह वीर व स्वाभिमानी थे।
माधो सिंह भंडारी कम उम्र में ही श्रीनगर के शाही दरबार की सेना में भर्ती हो गये और अपनी वीरता व युद्ध कौशल से सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंच गये। वह राजा महिपात शाह (1629-1646) की सेना के सेनाध्यक्ष थे। जहां उन्होने कई नई क्षेत्रों में राजा के राज्य को बढ़ाया और कई किले बनवाने में मदद की।

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19 сен 2024

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