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शून्य से एक शतक बनाते अंत की संभावना - एकल गीत 

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19 сен 2024

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Комментарии : 4   
@NkKa-n1n
@NkKa-n1n 10 месяцев назад
शून्य से एक शतक बनते,अंक की मन भावना -2 भारती की जय विजय हो -2 ले हृदय में प्रेरणा ,कर रहे हम साधना,मातृभू आराधना दैव ने भी राम प्रभु हित,लक्ष्य था ऐसा विचारा कंटकों के मार्ग चलकर राम ने रावण संघारा, ताकि निष्कंटक रहे,हर देव ऋषि की साधना कर रहे हम साधना,मातृभू ध्येय हित एक ऋषि ने देह को दीपक बनाया और तिल तिल जल स्वयं ने कोटि दीपों को जलाया ध्येय पथ पर चल पड़े,ले उर विजय की कामना देश में स्वातंत्र्य आया,बने समरस राष्ट्र भारत बोध यह दायित्व लाया, छल कपट और भेद से था,राष्ट्र जन को ताड़ना कर रहे हम साधना,मातृभू आराधना धर्म संस्कृति है सनातन,रखें जलवायु सुहावन पंक्ति में पीछे खड़े था,उन्नयन हो नित्य भावन राष्ट्र का उत्थान साधन,विश्व मंगल कामना कर रहे हम साधना,मातृभू आराधना शून्य से एक शतक बनते,अंक की मनभावना, भारती की जय विजय हो ले हृदय में प्रेरणा कर रहे हम साधना, मातृभू आराधना,
@pramodpethkar1200
@pramodpethkar1200 5 дней назад
प्रेरक गायन
@girishsahajwani8145
@girishsahajwani8145 10 месяцев назад
अंक की मन भावना है वो आपने अंत की संभावना लिखा हुआ है।
@drpratapnirbhaysingh860
@drpratapnirbhaysingh860 10 месяцев назад
'शून्य से एक शतक बनते अंक की मनभावना' कीजिये मान्यवर चैनल प्रबंधक जी
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