शेखावत वंश परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ | What is the history of the Shekhawat clan?
शेखावत क्षत्रिय वंश से जुड़ी रोचक और इतिहास की बातें इस प्रकार हे :-
(1). शेखावत वंश राजस्थान के मुख्य वंशों में से एक है आज भी शेखवात वंश के लोगों की सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान में ही है। आज भी शेखवात वंश के लोग अपनी शाही राजपूत परंपराओं का पालन कर रहे हैं।
(2). शेखावत सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय वंश की एक शाखा है देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर, शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ,सुरजगढ़, नवलगढ़, मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, खाचरियाबास, दूंद्लोद, अलसीसर, मलसिसर, रानोली आदि प्रभाव शाली ठिकाने शेखावतों के अधिकार में थे जो शेखावाटी नाम से प्रशिध है वर्तमान में शेखावाटी की भौगोलिक सीमाएं सीकर और झुंझुनू दो जिलों तक ही सीमित है |
(3). आमेर नरेश पज्वन राय जी के बाद लगभग दो सो वर्षों बाद उनके वंशजों में वि.सं. 1423 में राजा उदयकरण आमेर के राजा बने, राजा उदयकरण के पुत्रो से कछवाहों की उदयकरण जी के तीसरे पुत्र बालाजी जिन्हें बरवाडा की 12 गावों की जागीर मिली शेखावतों के आदि पुरुष थे । बालाजी के पुत्र मोकलजी हुए और मोकलजी के पुत्र महान योधा शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखा का जनम वि.सं. 1490 में हुवा । वि. सं. 1502 में मोकलजी के निधन के बाद राव शेखाजी बरवाडा व नान के 24 गावों के स्वामी बने। महाराव शेखा खुद 1471 में स्वतंत्र घोषित कर दिया और उसके वंश के लिए एक अलग रियासत की स्थापना की।
(4). शेखावत वंश में शेखावात उपनाम महाराव शेखाजी के नाम से लिया गया है। जो कि एक महान राजा थे हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि महाराव शेखा जी के वंशज ही शेखावत कहलाये।
(5). शेखावत वंश के लोग सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय हैं।मगर एक बात ध्यान देने योग्य है कि कछवाह क्षत्रिय एक विस्तृत रूप है और शेखावत वंश उसका एक भाग है। शेखावत वंश के क्षत्रिय भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज है। भगवान राम ने भाग कुश को सौंपा था उसे कुशावती राज्य के नाम से जाना जाता था।
(6). महाराव शेखा जी के दादाजी आमेर के राजा उदयकरण जी के तिसरे पुत्र थे।राव शेखा जी के पुत्र राव सूजा जी और जगमल जी ने सन् 1503 के लगभग बान्सूर प्रदेश पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। सूजा जी ने बसई को अपनी राजधानी बनाया और जगमाल जी हाजीपुर चले गए। सन् 1537 में सूजा जी का देहावसान हो गया और राव सूजा जी के पुत्र लूणकर्ण जी, रायसल जी, चाँदा जी और भरूँजी बड़े प्रतापी और वीर हुए थे। शेखावटी के खेतडी, खण्डेला, सीकर, शाहपुरा आदि नगरोँ में लूणकर्ण और रायसल बसई में अब तक खण्डहर पड़ा हुआ है।
(7). शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखाजी का जनम वि.सं. 1490 में हुवा वि. सं. 1502 में मोकलजी के निधन के बाद राव शेखाजी बरवाडा व नान के 24 गावों के स्वामी बने राव शेखाजी ने अपने साहस वीरता व सेनिक संगठन से अपने आस पास के गावों पर धावे मारकर अपने छोटे से राज्य को 360 गावों के राज्य में बदल दिया राव शेखाजी ने नान के पास अमरसर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया और शिखर गढ़ का निर्माण किया राव शेखाजी के वंशज उनके नाम पर शेखावत कहलाये |
(8). शेखावत वंश की कुलदेवी जमवाय माता जी है। इनका प्रमुख मंदिर जयपुर के निकट जमवारामगढ़ में है। शेखावत वंश का गोत्र मानव है।शेखावत वंश ने हमेशा से अपनी कर्मभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान तक दे दिया। शेखावत वंश के लोगों ने भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसमें लाफी लोगों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।
(9). शेखावाटी क्षेत्र, शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखाजी को नारी सम्मान व साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता है| महाराव शेखाजी ने एक स्त्री की मान रक्षा के लिए अपने ही निकट सम्बन्धी गौड़ राजपूतों से पांच वर्ष तक चले खुनी संघर्ष में ग्यारह युद्ध किये थे और आखिरी युद्ध में विजय के साथ ही अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, इसी उत्सर्ग ने उन्हें नारी अस्मिता और सम्मान का प्रतीक बना दिया|
1. लाड्खानी :- राजा रायसल जी के जेस्ठ पुत्र लाल सिंह जी के वंशज लाड्खानी कहलाते है दान्तारामगढ़ के पास ये कई गावों में आबाद है यह क्षेत्र माधो मंडल के नाम से भी प्रशिध है पूर्व उप राष्ट्रपति श्री भैरों सिंह जी इसी वंश से है !
2. रावजी का शेखावत :- राजा रायसल जी के पुत्र तिर्मल जी के वंशज रावजी का शेखावत कहलाते है ! इनका राज्य सीकर,फतेहपुर,लछमनगढ़ आदि पर था !
3. ताजखानी शेखावत :- राजा रायसल जी के पुत्र तेजसिंह के वंशज कहलाते है इनके गावं चावंङिया, भोदेसर ,छाजुसर आदि है
4. परसरामजी का शेखावत :- राजा रायसल जी के पुत्र परसरामजी के वंशज परसरामजी का शेखावत कहलाते है !
5. हरिरामजी का शेखावत :- हरिरामजी रायसलोत के वंशज हरिरामजी का शेखावत कहलाये !
6. गिरधर जी का शेखावत :- राजा गिरधर दास राजा रायसलजी के बाद खंडेला के राजा बने इनके वंशज गिरधर जी का शेखावत कहलाये ,जागीर समाप्ति से पहले खंडेला,रानोली,खूड,दांता आदि ठिकाने इनके आधीन थे !
7. भोजराज जी का शेखावत :- राजा रायसल के पुत्र और उदयपुरवाटी के स्वामी भोजराज के वंशज भोजराज जी का शेखावत कहलाते है ये भी दो उपशाखाओं के नाम से जाने जाते है,
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23 июл 2022