श्रीदुर्गापदुद्धारस्तोत्रम्
नमस्ते शरण्ये शिवे सानुकम्पे
शरणागतोंकी रक्षा करनेवाली तथा भक्तोंपर अनुग्रह करनेवाली हे शिवे ! आपको नमस्कार है।
नमस्ते जगद्व्यापिके विश्वरूपे ।
जगत्को व्याप्त करनेवाली हे विश्वरूपे ! आपको नमस्कार है।
नमस्ते जगद्वन्द्यपादारविन्दे
हे जगत्के द्वारा वन्दित चरणकमलोंवाली! आपको नमस्कार है ।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ १ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ १ ॥
नमस्ते जगच्चिन्त्यमानस्वरूपे
हे जगत् के द्वारा चिन्त्यमानस्वरूपवाली! आपको नमस्कार है।
नमस्ते महायोगिनि ज्ञानरूपे ।
हे महायोगिनि ! आपको नमस्कार है। हे ज्ञानरूपे ! आपको नमस्कार है।
नमस्ते नमस्ते सदानन्दरूपे
हे सदानन्दरूपे ! आपको नमस्कार है।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ २ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ २ ॥
अनाथस्य दीनस्य तृष्णातुरस्य
हे देवि ! एकमात्र आप ही अनाथ, दीन, तृष्णासे व्यथित
भयार्तस्य भीतस्य बद्धस्य जन्तोः ।
भयसे पीड़ित, डरे हुए तथा बन्धनमें पड़े जीवको आश्रय देनेवाली
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारकर्त्री
तथा एकमात्र आप ही उसका उद्धार करनेवाली हैं।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ३ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ ३ ॥
अरण्ये रणे दारुणे शत्रुमध्ये-
हे देवि ! वनमें, भीषण संग्राममें, शत्रुके बीचमें,
Sनले सागरे प्रान्तरे राजगेहे ।
अग्निमें, समुद्र में, निर्जन तथा विषम स्थानमें और शासनके समक्ष एकमात्र आप ही रक्षा करनेवाली हैं
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारनौका
तथा संसारसागरसे पार जानेके लिये नौकाके समान हैं।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ४ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ ४ ॥
अपारे महादुस्तरेऽत्यन्तघोरे
हे देवि ! पाररहित, महादुस्तर तथा अत्यन्त भयावह
विपत्सागरे मज्जतां देहभाजाम् ।
विपत्ति सागरमें डूबते हुए प्राणियोंकी एकमात्र आप ही शरणस्थली हैं
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारहेतु-
तथा उनके उद्धारकी हेतु हैं।
र्नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ५ ॥
आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ ५ ॥
नमश्चण्डिके चण्डदुर्दण्डलीला
समुत्खण्डिताखण्डिताशेषशत्रो
अपनी प्रचण्ड तथा दुर्दण्ड लीलासे सभी दुर्दम्य शत्रुओंको समूल नष्ट कर देनेवाली हे चण्डिके! आपको नमस्कार है।
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारबीजं
हे देवि ! आप ही एकमात्र आश्रय हैं तथा भवसागरसे पारगमनकी बीजस्वरूपा हैं।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ६ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ ६ ॥
त्वमेवाघभावाधृतासत्यवादी न जाता जितक्रोधनात् क्रोधनिष्ठा ।
आप ही पापियोंके दुर्भावग्रस्त मनकी मलिनता हटाकर सत्यनिष्ठामें तथा क्रोधपर विजय दिलाकर अक्रोधमें प्रतिष्ठित होती हैं।
इडा पिङ्गला त्वं सुषुम्णा च नाडी नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ७ ॥
आप ही योगियोंकी इडा, पिंगला और सुषुम्णा नाडियोंमें प्रवाहित होती हैं।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ७ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा कीजिये ॥ ७ ॥
नमो देवि दुर्गे शिवे भीमनादे
हे देवि! हे दुर्गे! हे शिवे! हे भीमनादे!
सरस्वत्यरुन्धत्यमोघस्वरूपे |
विभूतिः शची कालरात्रिः सती त्वं
हे सरस्वति! हे अरुन्धति !
हे अमोघस्वरूपे !
आप ही विभूति, शची, कालरात्रि तथा सती हैं।
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ ८ ॥
जगत्का उद्धार करनेवाली हे दुर्गे ! आपको नमस्कार है; आप मेरी रक्षा करें ॥ ८ ॥
शरणमसि सुराणां सिद्धविद्याधराणां
मुनिमनुजपशूनां दस्युभिस्त्रासितानाम् ।
नृपतिगृहगतानां व्याधिभिः पीडितानां
त्वमसि शरणमेका देवि दुर्गे प्रसीद ॥ ९॥
हे देवि! आप देवताओं, सिद्धों, विद्याधरों, मुनियों , पशुओं तथा लुटेरोंसे पीड़ित जनोंकी शरण हैं। राजाओंके बन्दीगृहमें डाले गये लोगों तथा व्याधियोंसे पीड़ित प्राणियोंकी एकमात्र शरण आप ही हैं ,हे दुर्गे ! मुझपर प्रसन्न होइये ॥ ९ ॥
॥ इति श्रीसिद्धेश्वरीतन्त्रे उमामहेश्वरसंवादे श्रीदुर्गापदुद्धारस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ इस प्रकार श्रीसिद्धेश्वरीतन्त्रके अन्तर्गत उमामहेश्वरसंवादमें
Song Credits:
Song : Durga Apaduddharaka Stotram
Lyrics: Traditional/ Sanskrit
Singer: Madhvi Madhukar Jha
MuSIC Label: SubhNir Productions
Music Director: Nikhil Bisht, Rajkumar
13 окт 2024