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श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय3 श्लोक21 || अर्जुन को समझाने की कोशिश || आचर्य प्रशांत || 

आध्यात्मिक शिक्षा
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यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।21।।
श्रेष्ठ मनुष्य जो-जो आचरण करता है, दूसरे मनुष्य वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण देता है, दूसरे मनुष्य उसी के अनुसार आचरण करते हैं।
Whatever a superior person does, another person does that very thing! Whatever he upholds as authority, an ordinary person follows that.
#acharyaprashant
#shrimadbhagwatgita
#gita
जिस कर्मकांड और धारणों को सनातन धर्म मान बैठे हैं वो है ही नही, वास्तविक सनातन धर्म तो गीता उपनिषद..है
आचार्य प्रशान्त के द्वारा जो हम सबों को शिक्षा / दीक्षा दी जाती है उसको मैं यह पे शेयर करता है।
अगर आप सबों को भी आचार्य प्रशान्त से जीवन जीने के बहुमूल्य उपयोगी दर्शन , श्री मद्भागवत गीता, अष्टवक्र गीता, उपनिषद सीखना है तो उनके गीता समागम सत्र से जुड़े, जीवन में आप अलग आनंद महसूस कीजिएगा।
समागम सत्र से जुड़ने के लिए आचार्य प्रशान्त का app download करें
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Опубликовано:

 

6 сен 2024

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Комментарии : 1   
@yatra3668
@yatra3668 Месяц назад
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