गीत :-
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जगतारण को आये
जगतारण को आये, श्री परमहंस अवतार
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार
जगतारण को आये
जगतारण को आये, श्री परमहंस अवतार
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार
1.) भावसागर मे जिसकी नैय्या, तुम ही बचाते बनके खिवैया -2
तभी तो ये जग सारा -2, कहे तुमको तारन्हार -2
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार -2
2.) क्या क्या गुण गायें प्रभु मेरे, चरणो मे तेरे सुख हैं घनेरे
पावन श्री चरणो मे -2, हम जाये जी बलिहार
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार -2
जगतारण को आये
3.) गगन मे जितने चाँद सितारे, अन्गिनत उपकार तुम्हारे
तेरी रहमत से सुख पावे -2, ये सारा संसार
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार -2
जगतारण को आये
4.) दासो पे सतगुरु किरपा करना, प्रेमाभक्ति से झोली भरना
सेवा और भक्ति के -2, खुले तेरे भंडार
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार -2
जगतारण को आये
जगतारण को आये, श्री परमहंस अवतार
ज्ञान का दीप जलाकर के, दूर किया अन्धियार -2
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जय सच्चिदानंद जी🙏
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दास की तरफ से प्रेम भरी
जय सच्चिदानंद जी🙏
25 сен 2024