जय माता दी !!! आप सभी भक्तों का तिलक परिवार की ओर से हार्दिक अभिनन्दन. भक्तों, कहते हैं इस पूरे संसार का निर्माण दो ही तत्वों से मिलकर हुआ है. एक शिव और दूसरा शक्ति. पूरे ब्रह्माण्ड के कण कण में शिव और शक्ति ही व्याप्त है. इन्ही से पूरी सृष्टि और सभी देवी देवताओं का प्राकट्य हुआ है. इस देश के वो सभी स्थान जो साक्षात् प्रमाण है यहाँ से जुड़ी इन दैव शक्तियों की सच्ची कथाओं के उन पवित्र स्थलों के दर्शन हम आपको अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से करवाने का प्रयास कर रहे हैं. और इसी श्रंखला में आज हम आपको जिस पवित्र धार्मिक स्थल के दर्शन करवाने जा रहे हैं. वो स्थान है रतलाम स्थित “कालिका माता मंदिर”.
मंदिर के बारे में:
भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम शहर में स्थित कालिका माता मंदिर माँ कालिका को समर्पित एक प्राचीन एवं प्रसिद्द मंदिर है. सैकड़ों वर्षों से भक्तों की आस्था का केंद्र बना कालिका माता का यह मंदिर एक सिद्द्पीठ मंदिर के रूप में भी विख्यात है. मान्यता है की माता के इस दरबार में मांगी गयी हर मुराद माँ कालिका अवश्य पूरी करती हैं. शहर के बीचो बीच स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुँचने में भक्तों को किसी प्रकार की कोई कठनाई नहीं होती. भक्तगण मंदिर के बाहर स्थित भोग प्रसाद की दुकानों से पूजा सामग्री लेकर मंदिर के भव्य द्वार में प्रवेश करते हैं. द्वार पर ही माँ शक्ति का विशेष अस्त्र त्रिशूल स्थापित है. जिसको स्पर्श एवं नमन कर भक्तगण एक विशिष्ट ऊर्जा का अनुभव करते हैं.
मंदिर का गर्भग्रह:
मंदिर में प्रवेश करते ही सामने भव्य सुंदर गर्भग्रह के दर्शन होते हैं. जहाँ विराजित हैं माँ कालिका, माँ चामुंडा, तथा माँ अन्नपूर्णा के साथ. माता की यह प्रतिमा जितनी सुंदर है उतनी ही प्राचीन भी, माता के ऐसे जाग्रत स्वरुप के दर्शन कर भक्त भाव विभोर हो उठते हैं. भक्तों की आस्था है कि यहाँ विराजित मां कालिका प्रतिदिन प्रातः बाल रूप में, दोपहर को युवावस्था में तथा शाम को वृद्धावस्था रूप में सभी भक्तों को पर अपनी कृपादृष्टि बरसाती है, मां के इन्हीं चमत्कारी स्वरूपों के दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर का गर्भग्रह बहुत ही भव्य एवं इसके द्वार चांदी के बने हैं।
मंदिर परिसर तथा मंदिर में अन्य देवी देवता:
गर्भग्रह से बाहर आने के बाद श्रद्धालु मंदिर में स्थित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाओं के भी दर्शन पूजन करते हैं. गर्भग्रह के सामने ही माता की सवारी सिंह की प्रतिमा विराजमान है. उनके दर्सहं कर श्रद्धालु मंदिर में विराजित हनुमान जी महाराज, संतोषी माता, विघ्नहर्ता श्री गणेश जी, श्री राम दरबार एवं भगवान् भोलेनाथ की अराधना भी बहुत ही श्रद्धा भावना के साथ करते हैं. भक्तों कालिका माता का यह मंदिर परिसर बहुत ही सुंदर तथा शीतलता की अनुभूति कराता है. मंदिर की दीवारों पर देवी देवताओं की छवियों का सुन्दर चित्रण किया गया है. मंदिर में स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. मंदिर के समीप ही प्राचीन समय में रानी झाली द्वारा निर्मित झाली कुंड नाम से एक सुंदर एक अष्ट कोणीय तालाब जल कुंड भी स्थित है. जिसकी दीपों के साथ सुंदरता देखते ही बनती है।
मंदिर का इतिहास:
भक्तों, अगर कालिका माता के इस प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर के इतिहास की बात करें तो उपलब्ध कुछ तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि मंदिर विराजित माँ कालिका की प्रतिमा किसी समय यहाँ स्थित पहाड़ी की खुदाई में मिली थी। तथा मंदिर का निर्माण लगभग 300 से 400 वर्ष पूर्व रतलाम के राजा द्वारा करवाया गया माना जाता है। कुछ तथ्य यह भी कहते हैं कि वर्ष 1556 -1605 ई. में रतलाम में लगभग 500 की जनसंख्या में सोढ़ी राजपूत परिवार राज करते थे। सोढ़ी परिवार ने माता पूजन के लिए कालिका देवी की स्थापना की थी। तब से अब तक माता की आराधना भव्य स्तर पर की जा रही है। और माँ कालिका यहाँ आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण कर उनकी आस्था को और मजबूत बनाती हैं.
विशेष उत्सव:
रतलाम स्थित कालिका माता के इस पवित्र मंदिर में अगर उत्सव की बात करें तो यहाँ हर उत्सव बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. विशेषकर चैत्र व शारदीय नवरात्र के दौरान यहाँ भव्य मेलों का आयोजन होता है. नवरात्रों के समय मंदिर में प्रातः एवं सांयकाल गरबा करके माँ कालिका की अराधना करने की प्राचीन परम्परा को आज भी यहाँ निभाया जाता है यह परंपरा अब कुछ ही मंदिरों में देखने को मिलती है. नवरात्रों के समय माँ काली के दर्शन करने रतलाम ही नहीं अन्य जगहों से भी आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। गुप्त नवरात्रों में भी यहाँ विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं.
मंदिर परिसर में गूंजते संगीतमय भजन तथा समय समय पर यहाँ कीर्तन,जगराते जैसे धार्मिक आयोजन होते रहते हैं. इस समय यहाँ भंडारे का आयोजन भी होता है. नवरात्रि के पर्व पर कालिका माता के इस मंदिर की छटा अत्यधिक दर्शनीय होती है.
अन्य दर्शनीय स्थल:
भक्तों, अगर आप रतलाम स्थित सुप्रसिद्ध प्राचीन श्री कालिका माता मंदिर के दर्शन की यात्रा योजना बना रहे हैं तो आप इस मंदिर के साथ ही रतलाम स्थित केदारेश्वर मंदिर, श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, श्री महालक्ष्मी जी मंदिर, उकाला गणपति मंदिर, श्री रामेश्वर महादेव साईं मंदिर, बिल्पकेश्वर मंदिर, वीरुपक्ष महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर, गदंखाई माता मंदिर, धोलावाद डैम, खार्मर बर्ड सेंचुरी आदि स्थानों को भी अपनी यात्रा योजना में शामिल कर इसे और भी आनंदमय बना सकते हैं.
श्रेय:
लेखक: याचना अवस्थी
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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19 сен 2024