Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 91 - Duryodhana's Gurudakshina. Duryodhana - promise of Subhadra marriage.
अर्जुन ब्राह्मण के मृत पुत्रों को यमलोक से जीवित वापस लाने का वचन पूरा करने में असफल रहते हैं और अपने संकल्प के अनुसार अग्नि में प्रवेश कर मृत्यु का वरण करने वाले होते हैं, तभी श्रीकृष्ण वहाँ आ जाते हैं और अर्जुन को रोकते हैं। वह अर्जुन से कहते हैं कि तुमने अपने कर्तव्य का पालन करने के लिये सम्पूर्ण प्रयास नहीं किया। जब तुम यमलोक नहीं जा सके, तो यह क्यों नहीं सोचा कि यमलोक से भी आगे कोई और लोक हो सकता है। इसके बाद श्रीकृष्ण अर्जुन के अहंकार का हरण कर अज्ञान के मार्ग से बाहर निकालते हैं और उस लोक में ले जाते हैं जहाँ अर्जुन को साक्षात श्रीहरि के चतुर्भुज स्वरूप के दर्शन होते हैं। भगवान विष्णु ब्राह्मण के सभी पुत्र वापस लौटा देते हैं और पृथ्वी पर जाकर असुरी शक्तियों का नाश करने और धर्म स्थापना करने का कार्य सौंपते हैं। धरती पर वापस आकर अर्जुन एक बार पुनः श्रीकृष्ण में श्रीहरि के चतुर्भुज रूप के दर्शन पाना चाहते हैं। श्रीकृष्ण इसके लिये पहले अर्जुन को दिव्य दृष्टि प्रदान करते हैं और फिर अपने विराट चतुर्भुज रूप के दर्शन देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि मैं ही प्रकाश हूँ और मैं ही अन्धकार भी हूँ। मेरे अनगिनत स्वरूप हैं। काल महाकल भी उसकी गणना नहीं कर सकते। इस सृष्टि का मैं ही आदि और अन्त हूँ। नभ, जल, थल और पवन मेरे ही स्वरूप हैं। सम्पूर्ण प्राणी मुझसे ही जन्म लेते हैं और मुझमें ही समा जाते हैं। वसुओं और रुद्रों का जन्म मेरी ही कलाओं से हुआ है। अश्वनी कुमारों का रूप मेरा ही रूप है। मैं सिद्धि भी हूँ और साधक भी। मैं ही सृष्टि के रचयिता हूँ और संहारक भी। मैं केवल अहंकार का भोजन करता हूँ। मैं अर्जुन भी हूँ, कृष्ण भी। मैं एक शून्य हूँ। तब अर्जुन प्रार्थना करते हैं कि हे मधुसूदन, यदि अर्जुन भी आप हैं तो मुझे इस वृहद स्वरूप में लीन कर लीजिये। श्रीकृष्ण मना करते हैं और कहते हैं कि अभी इसका समय नहीं आया है। अभी इस अर्जुन रूप में बड़ी भयंकर विनाशकारी लीला करनी है। तुम्हारे इस शरीर के द्वारा अभी महाभारत का युद्ध करना है। इसलिये महाभारत की लीला करने तक मुझे इस अर्जुन रूपी शरीर की आवश्यकता है। वह लीला समाप्त होने पर तुम अवश्य ही मुझमें विलीन हो जाओगे। तब तक मेरी माया तुम्हारी आँखों पर पर्दा डाले रहेगी और तुम्हारे इस पार्थिव शरीर को आज का यह दृश्य याद नहीं रहेगा। इसके बाद श्रीकृष्ण अर्जुन से आँखें बन्द करने को कहते हैं। अर्जुन अपनी आँखें बन्द करने के बाद जब पुनः खोलते हैं तो वह स्वयं को द्वारिका के महल में खड़ा पाते हैं। महल में रुक्मिणी श्रीकृष्ण से कहती हैं कि आप सुभद्रा के विवाह की तैयारियाँ प्रारम्भ कीजिये। इस पर श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब तक दाऊ भैया द्वारिका न आ जाये, तब तक विवाह की घोषणा नहीं की जा सकती है। रुक्मिणी परेशान हो उठती हैं और कहती हैं कि यदि बड़े भैया ने इस सम्बन्ध को स्वीकार नहीं किया तो? श्रीकृष्ण कहते हैं कि यह विवाह होकर रहेगा क्योंकि सुभद्रा के गर्भ से ही पाण्डुकुल के भावी राजा का जन्म होगा और यही विधि ने निश्चित कर रखा है। उधर हस्तिनापुर में दुर्योधन बलराम से गदायुद्ध की शिक्षा प्राप्त करता है और गुरुदक्षिणा के रूप में उनके पैरों तले मोती माणिक आदि रत्न बिछाता है। बलराम को प्रसन्न देखकर शकुनि उनसे कहता है कि दुर्योधन आपकी बहन सुभद्रा से विवाह करना चाहता है। वह हस्तिनापुर जैसे साम्राज्य का होने वाला सम्राट है। यदि कुरुवंश और यदुवंश का मिलाप हो गया तो भारत में एक नये युग का प्रारम्भ होगा। बलराम शकुनि के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं। शकुनि मिष्ठान, वस्त्र और आभूषणों से लदी बैलगाड़ियों के साथ बलराम को हस्तिनापुर से विदा करता है। द्वारिका पहुँचने पर बलराम श्रीकृष्ण को बताते हैं कि ये उपहार सुभद्रा की ससुराल से आये हैं। वह सुभद्रा से कहते हैं कि मैं तुम्हारा रिश्ता हस्तिनापुर के युवराज दुर्योधन के साथ तय कर आया हूँ। यह सुनकर सुभद्रा को चक्कर आ जाता है। रुक्मिणी उसे सहारा देकर कक्ष से बाहर ले जाती हैं। भोले भाले बलराम भैया कहते हैं कि देखा कन्हैया, इस शुभ समाचार को सुनकर सुभद्रा के होश उड़ गये न। इसके बाद वह अर्जुन को भी बधाई देते हैं कि द्वारिका की राजकुमारी का विवाह तुम्हारे बड़े भाई दुर्योधन से तय हुआ है। महाराज युधिष्ठिर को भी यह शुभ समाचार भेज दो। श्रीकृष्ण और अर्जुन कुछ कहने की स्थिति में नहीं होते और वे बलराम की आज्ञा के सम्मुख सिर झुकाते हैं।
Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ravindra Jain
गीत - रविंद्र जैन
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील
Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev
संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव
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11 сен 2024