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श्री गजेन्द्र सोलंकी | कवि सम्मेलन | क़लमकार 

Kalamkaar: The Literary Society
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हसीं तस्वीर आँखों में हो तो अरमाॅं मचलते हैं,
जवाॅं होती है जब धड़कन, दिलों में ख़्वाब पलते हैं,
बुझाना मत कभी उम्मीद के जलते चराग़ों को,
हो सच्चा प्यार अगर दिल में,तो पत्थर भी पिघलते हैं।
~ गजेंद्र सोलंकी
दीन दयाल उपाध्याय महाविद्यालय की साहित्यिक समिति,क़लमकार द्वारा आयोजित क़लमकार लिट्रेचर फैस्टिवल एवं कवि सम्मेलन में कई कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं के इत्र से माहौल को सुग्न्धित कर दिया था।
आपके लिए पेश है गजेंद्र सोलंकी जी की प्रस्तुति।
बाकी कवियों की कविताऍं सुनने के लिए हमसे जुड़े रहें।
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We hope you'll enjoy this.
हिन्द सलाम, कलम प्रणाम ।

Опубликовано:

 

27 авг 2024

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Ajdarlar...😅 QVZ 2024
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C’est qui le plus fort 😂
00:18
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