जो आनंद सिंधु सुखरासी। सीकर तें त्रैलोक सुपासी।।सो सुख धाम राम अस नामा। अखिल लोक दायक विश्रामा।।बिस्व भरन पोषन कर जोई।ताकर नाम भरत अस होई।। जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा।। लच्छन धाम राम प्रिय सकल जगत आधार। गुरु बसिष्ट तेहि राखा लछिमन नाम उदार।।🌹🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🌹
इतनेअनेकों उदाहरण होने के बाद भी प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सरकारें गायों के प्रति सद्भावना और सेवाभाव नहीं आया कि गाय कीकया महिमा है जब तक गौकसी पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगेगा तब तक भारत में सुख-शांति असंभव है बड़े बड़े संत महात्माओं ने भी गायों की महिमा गायी है जैगौमाता की जै श्रीकृष्ण
जय जय सीताराम जय जय सीताराम जय जय सीताराम जय जय सीताराम जय हो जय हो जय 🌱 जय हो जय हो जय हो जय हो भगवान आपकी जय हो जय हो जय हो भगवान गुरु देव आपके चरणो मे वन्दन नमन हे गुरुदेव आपकी जय हो हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
जय जय श्री राधे राधे जय जय श्री राधे राधे जय जय श्री राधे राधे जय जय श्री राधे राधे जय श्री कृष्ण श्री राधे राधे जय श्री कृष्ण श्री राधे राधे जय श्री कृष्ण श्री राधे राधे जय श्री कृष्ण श्री राधे राधे
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
महाराज जी के पावन श्री चरणों में मेरा प्रणाम स्वीकार हो।श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम।
परम् श्रद्धेय सद्गुरु भगवान् श्री आपजी के पावन पवित्र चरणों में बारम्बार साष्टांग दंडवत प्रणाम । दास आपजी के प्रेरणा स्त्रोत वचनामृत ग्रहण कर स्वयं को धन्य समझता है । जय श्री सीताराम जी
श्री राधा वल्लभ श्री हित हरिवंश सरकार।। श्री सदगुरु देव भगवान जी को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।। सभी संत रसिक प्रेमी जनों को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।। जय हो जय हो जय हो श्री राधा वल्लभ लाल जी की जय हो जय हो।
चरण स्पर्श!महाराज जी। आपकी कृपा मुझे बचाये है।अन्तर्यामी संत आपका हार्दिक आभार। आपके लिए कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है।कृपा का आकांक्षी हू। चरण सेवक पर दयाल हो।रमेश
जयगुरूदेव जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम