श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास दुलारी श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री बिठल बिपुल बिहारी न दास जय जय श्यामा जय जय श्याम जय जय श्री वृंदावन धाम 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🪔🪔🌹🌷🪔🪔🌹🌷🪔🌹🌷🌹
श्री बाँकेबिहारी चालीसा दोहा बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल, स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ॥ ।। चौपाई ।। जै जै जै श्री बाँकेबिहारी । हम आये हैं शरण तिहारी ॥ स्वामी श्री हरिदास के प्यारे । भक्तजनन के नित रखवारे ॥ श्याम स्वरूप मधुर मुसिकाते । बड़े-बड़े नैन नेह बरसाते ॥ पटका पाग पीताम्बर शोभा । सिर सिरपेच देख मन लोभा ॥ तिरछी पाग मोती लर बाँकी । सीस टिपारे सुन्दर झाँकी ॥ मोर पाँख की लटक निराली । कानन कुण्डल लट घुँघराली ॥ नथ बुलाक पै तन-मन वारी । मंद हसन लागै अति प्यारी ॥ तिरछी ग्रीव कण्ठ मनि माला । उर पै गुंजा हार रसाला ॥ काँधे साजे सुन्दर पटका । गोटा किरन मोतिन के लटका ॥ भुज में पहिर अँगरखा झीनौ । कटि काछनी अंग ढक लीनौ ॥ कमर-बांध की लटकन न्यारी । चरन छुपाये श्री बाँकेबिहारी ॥ इकलाई पीछे ते आई । दूनी शोभा दई बढाई ॥ गद्दी सेवा पास बिराजै । श्री हरिदास छवी अतिराजै ॥ घंटी बाजे बजत न आगै । झाँकी परदा पुनि-पुनि लागै ॥ सोने-चाँदी के सिंहासन । छत्र लगी मोती की लटकन ।। बांके तिरछे सुधर पुजारी । तिनकी हू छवि लागे प्यारी ।। अतर फुलेल लगाय सिहावैं । गुलाब जल केशर बरसावै ।। दूध-भात नित भोग लगावैं । छप्पन-भोग भोग में आवैं ।। मगसिर सुदी पंचमी आई । सो बिहार पंचमी कहाई ।। आई बिहार पंचमी जबते । आनन्द उत्सव होवैं तबते ।। बसन्त पाँचे साज बसन्ती । लगै गुलाल पोशाक बसन्ती ।। होली उत्सव रंग बरसावै । उड़त गुलाल कुमकुमा लावैं ।। फूल डोल बैठे पिय प्यारी । कुंज विहारिन कुंज बिहारी ॥ जुगल सरूप एक मूरत में । लखौ बिहारी जी मूरत में ॥ श्याम सरूप हैं बाँकेबिहारी । अंग चमक श्री राधा प्यारी ॥ डोल-एकादशी डोल सजावैं । फूल फल छवी चमकावैं ॥ अखैतीज पै चरन दिखावैं । दूर-दूर के प्रेमी आवैं ॥ गर्मिन भर फूलन के बँगला । पटका हार फुलन के झँगला ॥ शीतल भोग , फुहारें चलते । गोटा के पंखा नित झूलते ॥ हरियाली तीजन का झूला । बड़ी भीड़ प्रेमी मन फूला ॥ जन्माष्टमी मंगला आरती । सखी मुदित निज तन-मन वारति ॥ नन्द महोत्सव भीड़ अटूट । सवा प्रहार कंचन की लूट ॥ ललिता छठ उत्सव सुखकारी । राधा अष्टमी की चाव सवारी ॥ शरद चाँदनी मुकट धरावैं । मुरलीधर के दर्शन पावैं ॥ दीप दीवारी हटरी दर्शन । निरखत सुख पावै प्रेमी मन ॥ मन्दिर होते उत्सव नित-नित । जीवन सफल करें प्रेमी चित ॥ जो कोई तुम्हें प्रेम ते ध्यावें। सोई सुख वांछित फल पावैं ॥ तुम हो दिनबन्धु ब्रज-नायक । मैं हूँ दीन सुनो सुखदायक ॥ मैं आया तेरे द्वार भिखारी । कृपा करो श्री बाँकेबिहारी ॥ दिन दुःखी संकट हरते । भक्तन पै अनुकम्पा करते ॥ मैं हूँ सेवक नाथ तुम्हारो । बालक के अपराध बिसारो ॥ मोकूँ जग संकट ने घेरौ । तुम बिन कौन हरै दुख मेरौ ॥ विपदा ते प्रभु आप बचाऔ । कृपा करो मोकूँ अपनाऔ ॥ श्री अज्ञान मंद-मति भारि । दया करो श्रीबाँकेबिहारी ॥ बाँकेबिहारी विनय पचासा । नित्य पढ़ै पावे निज आसा ॥ पढ़ै भाव ते नित प्रति गावैं । दुख दरिद्रता निकट नही आवैं ॥ धन परिवार बढैं व्यापारा । सहज होय भव सागर पारा ॥ कलयुग के ठाकुर रंग राते । दूर-दूर के प्रेमी आते ॥ दर्शन कर निज हृदय सिहाते । अष्ट-सिध्दि नव निधि सुख पाते ॥ मेरे सब दुख हरो दयाला । दूर करो माया जंजाल ॥ दया करो मोकूँ अपनाऔ । कृपा बिन्दु मन में बरसाऔ ॥ दोहा ऐसी मन कर देउ मैं , निरखूँ श्याम-श्याम । प्रेम बिन्दु दृग ते झरें, वृन्दावन विश्राम ॥ जय श्री बाँकेबिहारी जी महाराज की जय श्रीराधिका रानी महारानी की जय जय श्री हरिदास जी महाराज की जय
जय श्री राधे बांके बिहारी लाल जी जय श्री हरिदास जी महाराज जय श्री राधे कृष्णा शरणम् राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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|| श्रीमत्कुँजबिहारिणे नमः || जय श्रीराधे दोहा बाँकी चितवन कटि लचक बाँके चरन रसाल। स्वामी श्री हरिदास के बाँकेबिहारी लाल। चोपाई जय-जय-जय श्री बाँकेबिहारी। हम आये हैं शरन तिहारी।। १।। स्वामी श्रीहरिदास के प्यारे। भक्तजनन के नित रखवारे।। २।। श्याम स्वरुप मधुर मुस्काते।। बड़े-बड़े नैन नेह बरसाते।।३।। पटका पाग पीताम्बर शोभा। सिर सिरपेच देख मन लोभा।।४।। तिरछी पाग मोती लर बाँकी। सीस टिपारे सुन्दर झाँकी।।५।। मोर पाँख की लटक निराली। कानन कुण्डल लट घुँघराली।।६।। नथ बुलाक पै तन मन वारी। मंद हसन लागै अति प्यारी।।७।। तिरछी ग्रीव कंठ मनि माला। उर पै गुंजा हार रसाला।।८।। काँधे साजे सुन्दर पटका। गोटा किरन मोतिन के लटका।।९।। भुज में पहिर अंगरखा झीनो। कटि काछनी अंग ढक लीनो।।१०।। कमर-बंध की लटकन न्यारी। चरन छुपाये श्रीबाँकेबिहारी।।११।। इकलाई पीछे ते आई। दूनी शोभा दइ बड़ाई।।१२।। गादी सेवा पास विराजै। श्रीहरिदास छबि अति राजै।।१३।। घंटी बाजे बजत न आगे। झाँकी परदा पुनि-पुनि लागै।।१४।। सोने-चांदी के सिंघासन। छत्र लगी मोती की लटकन।।१५।। बाँके तिरछे सुघर पुजारी। तिनकी हु छवि लागे प्यारी।।१६।। अतर फुलेल लगाय सिहावै। गुलाब जल केसर बरसावै।।१७।। दूध-भात नित भोग लगावै। छप्पन-भोग भोग में आवै।।१८।। मगसिर सुदी पंचमी आई। सो विहार पंचमी कहाई।।१९।। आई विहार पंचमी जबते। आनंद उत्सव होवै तबते।।२०।। बसन्त पाँचे साज बसंती। लागै गुलाल पोशाक बसन्ती।।२१।। होली ऊत्सव रंग बरसावै। उड़त गुलाल कुमकुमा लावै।।२२।। फूल दोल बैठे पिय प्यारी। कुँज बिहारिन कुंज बिहारी।।२३।। जुगल स्वरुप एक मूरत में। लखौ बिहारी जी सूरत में।।२४।। श्याम सरूप हैं बांकेबिहारी। अंग चमक श्री राधा प्यारी।।२५।। डोल एकादशी डोल सजावै। फूले फूल छबि चमकावै।।२६।। अखैतीज पै चरन दिखावै। दूर-दूर के प्रेमी आवैं।।२७।। गर्मिन भर फूलन के बँगला। पटका हार फूलन के जंगला।।२८।। शीतल भोग फुहारे चलते। गोटा के पंखा नित झलते।।२९।। हरियाली तीजन को झूला। बड़ी भीड़ प्रेमी मन फूला।।३०।। जन्माष्टमी मंगला आरती। सखी मुदित निज तन-मन वारती।।३१।। नन्द महोत्सव भीड़ अटूट। सवा प्रहर कंचन की लूट।।३२।। ललिता छठ उत्सव सुखकारी। राधा अष्टमी की चाव सवारी।।३३।। शरद चांदनी मुकुट धरावै। मुरलीधर के दर्शन पावें।।३४।। दिप दिवारी हठरी दर्शन। निरखत सुख पावै प्रेमी मन।।३५।। मंदिर होते उत्सव नित-नित। जीवन सफल करें प्रेमी मन।।३६।। जो कोई तुम्हे प्रेम से धियावे। सोइ सुख मनवांछित फल पावै।।३७।। तुम हो दीनबंधु ब्रज-नायक। मैं हूँ दीन सुनो सुखदायक।।३८।। मैं आयो तेरे द्वार भिखारी। कृपा करो श्रीबाँकेबिहारी।।३९।। दीन दुःखी के संकट हरते। भक्तन पै अनुकम्पा करते।।४०।। मैं हूँ सेवक नाथ तिहारो। बालक के अपराध विसारो।।४१।। मोकूँ जग संकट ने घेरौ। तुम बिन कौन हरे दुःख मेरौ।। ४२।। विपदा से प्रभु आप बचाओं। कृपा करो मोकू अपनाओं।।४३।। मैं अज्ञान मंद-मति भारि। दया करो मेरेबाँकेबिहारी।।४४।। बांकेबिहारी विनय पचासा। नित्य पढ़ें पावै निज आसा।।४५।। पढ़ें भाव ते नितप्रति गावै। दुःख दरिद्र निकट नहीं आवै।।४६।। धन परिवार बढ़े व्यापार। सहज होय भव सागर पारा।।४७।। कलियुग के ठाकुर रंग राते। दूर-दूर के प्रेमी आते।।४८।। दर्शन कर निज ह्रदय सिहाते। अष्ट - सिद्ध नवनिधि सुख पाते।।४९।। मेरे सब दुःख हरो दयाला। दूर करो माया जंजाला।।५०।। दया करो मोकुं अपनाओ। कृपा-बिंदु मन में बारसाओ।।५१।। दोहा ऐसो मन कर देउ मैं , निरखूँ श्यामा-श्याम। प्रेम विन्दु दृग ते झरे वृन्दावन विश्राम।। || श्रीबाँकेबिहारी लाल की जय ||
जय हो बांके बिहारी लाल तेरी सदा ही जय श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास दुलारी श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास बिठल बिपुल बिहारी न दास जय जय श्यामा जय जय श्याम जय जय श्री वृंदावन धाम 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🪔🪔🌹🌹🪔🪔🪔🌹🌷