नमस्कार आचार्य सोमदेव श्री, आपने बहुत उत्तम उत्तर दिए। भुरिशह धन्यवाद। यह रामभद्राचार्य जी अंधों और मूर्खों में काना राजा है इसलिए यह पौराणिक सत्य से अनभिज्ञ हैं और मूर्खों का समूह बनाकर सबको अविद्यांधकार में धकेल कर अपने स्वयं के जीवन और औरों के जीवन को नरक की और ले जा रहे हैं। इसलिए इन दुष्टों से सावधान! हे रामभद्राचार्य! आपको और आपके चेलों को वेदों वाले महर्षि दयानंद सरस्वती के शरणागत अति शीघ्र आना चाहिए और अपने जीवन को सफल बना मोक्ष को प्राप्त कीजिए, यह सत्य मार्ग दर्शन केवल मात्र महर्षि दयानंद और आर्य समाज ही दिखा सकता है!!! चूँकि यही दो अर्थात महर्षि और आर्य समाज ही वेदों के यथार्थ स्वरूप को प्रकाशित करता, मानता, जानता और धारणादि करता है।
वेद की ज्योति जलती रहे ओम का झंडा ऊंचा रहे महर्षि दयानंद अमर रहे और पाखंड का खंडन हो रामभद्राचार्य जी को क्षमा मांगनी चाहिए अत्यंत निंदनीय आरोप लगाया है
ओ३म् नमस्ते आदरणीय आचार्य जी । तत्काल ऐसे असत्य निराधार आरोप पर विचार रखने के लिए , रामभद्राचार्य के टिप्पणियोंकी पुरजोर खण्डन करने के लिए आपको पुनः पुनः नमन् और आभार । नाम रामभद्र और ऐसी विपरीत कथन , क्या चल रहा है उनके दिमाग में ? दिमाग है भी कि नहीं ??? जितनी निंदा किया जाए कम है।
अत्यंत निंदनीय, आदरणीय स्वामी रामभद्राचार्य जी आपकी जितनी निंदा की जाये उतनी ही कम है, आपने बिना सोचे समझे एक महान संत जिनकी प्रेरणा से अनेक विद्वानों में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत हुई, आप ऐसे महान संत पर सफ़ेद झूठ बोल रहे हो, अरे महाराज जी आपने उनके महान व्यक्तित्व के बारे में थोड़ा सा जाना होता तो सायद ऐसा निंदनीय कार्य नहीं करते। दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण को अत्यंत महान बताया है, और आप कुछ भी बोले जा रहे हो । (निंदनीय भाषण रामभद्राचार्य जी का आपको अपने शब्द वापस लेने चाहिए )
ये वही जगद्गुरु रामभद्राचार्य हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में अष्टाचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या। तस्यां हिरण्ययः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः।। अथर्ववेद के 10-2-31 मन्त्र के आधार पर श्रीराम और अयोध्या का प्रमाण प्रस्तुत किया। श्रीराम जी के कारण आर्यसमाज गलत भाष्य को सहन कर गया लेकिन रामभद्राचार्य ने कहा कि आर्यसमाज प्रवर्तक स्वामी दयानन्द रामायण, महाभारत को काल्पनिक ग्रन्थ कहते हैं, ऐसे कपोलकल्पित व्याख्यान व्यासपीठ पर बैठकर शोभा नहीं देते। यदि आपने तनिक भी स्वाध्याय किया है तो आर्यसमाज से शास्त्रार्थ की चुनौती स्वीकार करें।
🙏नमस्ते आचार्य जी रामभद्राचार्य ने पब्लिक के सामने बोला है। तो उसे पब्लिक के सामने ही माफी मंगवाना चाहिए। तो ही सब को पता चले गा की ओर भी कीतनी जुठी बातें ऐसे संत महात्मा बने हुवे लोग बोल ते होगें। धन्यवाद आचार्य जी🙏
राम भदाचार्य जी जगत् गुरु लिखते हैं कृपया जगत् गुरु का अर्थ बताये आप को हम शुक्रा चार्य भी नही कह सकते क्यों कि उनके एक आंख तो है आपका तो बाजार ही बंद है। यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्र म् तस्य करोति किम् लोचनांभ्याम् विहिनस्य दर्पण किम करिस्यति।। चाणक्य।।
Namaste acharya ji in pakhandi guruon k madhayam se swami dayanand ji ka parchar aam logon tak pohnche ga .dhanewad acharya ji jo ap ne parman dekar khandan kiya.
ऋषि दयानन्द के लिये इस प्रकार के अनुचित कथन करना वस्तुतः देश व भारतीय संस्कृति के साथ छल करना है,और समस्त हिन्दु समाज को बांटने का बहुत बड़ा षड्यन्त्र है।
किसी ने लोगों को मंत्र और शोक में अंतर नहीं पता है, उन्हें ऋषि कभी और विद्वान में क्या फर्क नजर आएगा। ऋषि स्वार्थी और लोभी नहीं होता है। कई विद्वान देश और समाज को परख के अपनी लेखनी से लिखता है। महर्षि दयानंद के सामने रामभद्राचार्य कुछ भी नहीं है। इन्हें अपने वचन वापस लेना चाहिए। इन्हें तो बेड का मंत्र भी नहीं आता, जिसकी व्याख्या कर सके। यह तो रामायण महाभारत में ही लिप्त रहते हैं।
झूठ बोलना बहुत बड़ा पाप है । सार्वजनिक रूप से बेमतलब एक ऋषि को लेकर झूठ बोलना तो बहुत ही बड़ा पाप है। भद्राचार्य झूठ का सहारा लेकर बहुत पाप कर गये। जो अक्षम्य है। शायद यह भूल गए कि आपने गलत जगह पर पंगा ले लिया। आपको पता होना चाहिए कि सत्य की ताकत आर्यसमाज के पास है।
क्या वीडियों खेल रहे हो केस करों ना दम है तो ......जैसे हिन्दू ने राम मंदिर का केस जीत ये भी जीत जायेंगे जीन सबुत के आधार पर राम मंदिर बना उनको तुम मानते ही नहीं जैसे आर्यसमाजी तर्क देते है वैसे ही मुस्लिम देते थे दम है तो उन पर केस करों कोर्ट में होगा भी शास्त्रार्थ फिर देखो तुम कितने केस दर्ज होते भगवान का अपमान करने पर
ऐसे सौगंध खाकर लांछन लगाने से कुछ नहीं होता। अगर ऐसा है तो उसे सिद्ध करना होगा । नहीं तो अगले जन्म के लिए भी आंखें गई। एक ईश्वर भक्त आप्त दिव्य महर्षि पर उनकी गैरमौजूदगी में झूठा आरोप लगाना बहुत ही जघन्य अपराध है। अन्यथा सिध करना चाहिए।