ऐसी वाणी बोलिए,
मन का आपा खोये।
औरन को शीतल करे,
आपहुं शीतल होए।
कबीरदास जी कहते हैं कि अहंकार को त्याग कर हमेशा नम्र औए मीठे शब्द बोलने चाहिए जो खुद को भी शान्त रखें और सुनने वाले को भी शीतलता और सुख प्रदान करें।
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5 сен 2024