सखी भावना मतलब क्या?? सहचरी भावना मतलब क्या?? सखी-सहचरी भावना से क्या आश्रय हैं?? #vrindavan #radhavallabh #radharani #radhakrishna #radharaman #bankebihari
Hare krishna pyari 😊 Mm..yani sehchari..manjari ..kinkari..sakhi... Ye sab ek hi h Bas alag alag smpraday inka varnan h Gaudiya smpraday mein manjari bhaav pradhan Aur asht sakhiyan bhi manjariyan hn Anya smpraday mein yahi manjari ko sehchari k slnaam se jante hn Sabhi sakhiyan sehchari hi han ..nitya sakhiyan hn..Sri ji k hi kunj mein seva deti hn aur inka apna koi kunj nhi h Asht sakhiyan sri ji k hi kunj mein har samya seva deti hn Pyari aapne bataya tha ki in nitya sakhiyon ka pura kendra sri ji hi hoti hn ..Sri ji ki hi seva inka param lakshya hota h Shyam sundar se inka kuch lena dena nhi hota h Lekin kyunki ye sab shyam sundar ki priya sri ji ki seva mein nitya rehti hn is liye in sakhiyon ko shyam sundar sahaj hi uplabd hn ..apne aap se hi in sakhiyon par prem nyoncharwar krte rehte hn Jis prem k liye ek gopi tarasti h woh in sehchariyon ko sahaj hi milta h Pyari ..tab ye sehchari pati kisko manti h ? Ye shyam sundar k prati priti bhaav kaise rakhti hn ? Kyun ki agar woh khud ko premi maane toh unhein achcha nhi lagega ki shyam ju toh pyari ji hn Lekin fir pati bhi ye sab shyam sundar ko hi mati hn Toh ye sab apne priti bhaav ko kaise banaye rakhti hn
Shree harivansh.... Kripya aap isi vishay me ek playlist nikaliye plz ki ham kaise kaise is maarg. Me chale aur is sehchari bhav ko prapt kare.... Ye stree purush bhav ko tyaag kare... Aur Kya hamara bhav ho niyam ho dincharya ho sab jo bhi Aapko thik lage pura isi pe playlist banayiye plz kyuki hame pata hi nahi vaastav me ye ras kya h... Ham kuchh jaante nahi aapki badi kripa hogi sakhi..... Aaj ka video bahot hi achha thaa aur zaruri thaa hamari aankhe kholne ke liye ki wo hamse chahte kya h aur ham kar kya rahe h🙇🏻♀️🙇🏻♀️🙇🏻♀️
जय जय प्रियाप्रियतम, जैसा आपने कहा, उसकी कोशिश करेंगे, बाकी जैसी प्रियाप्रियतम की इच्छा होगी, हम उपासना की सहजता पर, विश्वास रखते हैं, ना की साधन, प्रयास पर। हमारे भावो में साधन, प्रयास का एक क्षण को भी स्थान नहीं हैं, सीधा प्रेममय होना, प्रेम का आसवादान इसी वर्तमान क्षण में ही, अब जितना प्रियाप्रियतम वर्णन करवा ले, अपनी कोशिश रहेगी और, ये वर्णन "प्रेम योग" सीरीज में होगा, प्लेलिस्ट बनी हुई ही हैं, आप सारी प्लेलिस्ट शुरू से सुनिए, तो अच्छा रहेगा 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
राधा रानी से, ललिता जू से प्रार्थना करे, उनकी प्रार्थना से ही सब सहज में संभव हैं। साथ ही Prem Sampda की सिरीज को शुरुवात से सुने, प्लेलिस्ट भी बना रखी हैं, Pram Yog की सिरीज को भी शुरूवार से सुने, प्लेलिस्ट बना रखी है। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Hare krishna sakhi Pyari ju ki pyari 🥰🤗 Pyari ji aapne ek baar hmein Sehchari bhaav ki mahanta batai thi Ye sehchari aur manjari bhaav mein shresht kon h ..dono mein pramukhta kya antar h Aur hm sehchari bhaav kaise laa sakte hn 🍁
जय जय श्री राधे जी, गोडीय परंपरा में जो मंजरी भावना हैं वह लगभग लगभग वैसी ही भावना हैं जो राधावल्लभीय संप्रदाय, हरिदासी संप्रदाय, निंबार्क संप्रदाय में सखी भावना के रूप में स्वीकृत हैं। दोनो भावना लगभग एक सी ही हैं, यानी जो भावना हम गौडीय संप्रदाय में मंजरी के रूप से स्वीकार करते हैं लगभग उसी भावना को राधावल्लभीय संप्रदाय, हरीदासी संप्रदाय और निंबार्क संप्रदाय सखी और सहचरी की भावना के रूप में स्वीकार करते हैं। गोडीय संप्रदाय में सखी और मंजरी में अवश्य ही अंतर हैं और वहां पर मंजरी भावना को ही सर्वश्रेष्ठ भावना के रूप में स्वीकार किया गया हैं। कारण की वहां पर व्रज लीला के अंतर्गत ऐसा अंतर स्वीकार किया गया हैं। व्रज लीला में कई सखियां हैं, सबके अपने अपने यूथ हैं और अपनी अपनी कुंजे हैं और हर सखी उस अपनी कुंज की स्वामिनी हैं, जैसे राधे जू की अपनी कुंज हैं, जिसकी स्वामिनी श्री राधे जू हैं, वैसे ही चंद्रावली सखी की अपनी कुंज हैं, जहां पर श्री राधे जू स्वामिनी नहीं हैं, बल्कि वहां पर चंद्रावली जी स्वामिनी हैं, ये सब आपस में सखियां हैं, और इन समस्त सखियों में श्री राधा सर्वश्रेष्ठ हैं श्री राधे जू का प्रेम सर्वश्रेष्ठ हैं सर्वोपरि हैं परंतु बाकी सखियों के प्रेम में निज स्वार्थ रहता हैं इसीलिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रेम रस का आसवादन नहीं मिलता हैं और उन श्री राधे जू की कुंज में जो श्री राधे जू की अपनी निज सेविका, निज सखी जो हैं वह मंजरी हैं, वह श्री राधे जू की कुंज में ही रहती हैं, वहां पर केवल श्री राधे जू ही वहां पर स्वामिनी हैं, वह सब राधे जू की निज सखी हैं, निज सेविका हैं, निज किंकरी हैं, वही सब मंजरी के नाम से जानी जाती हैं, वह सब श्री राधा मंजरी हैं, और ये भावना ही सबसे श्रेष्ठ हैं, उन्हें भी श्री राधे जू की सेविका होने से सर्वश्रेष्ठ प्रेम रस का आसवादन मिलता हैं, इसीलिए श्री राधे जू की कुंज में उनको स्वामिनी मानते हुए जो उनकी सेवा करती हैं, वह ही सब श्री राधा मंजरी हैं, श्री राधे जू की मंजरी है परंतु राधावलभीय, हरिदास और निंबार्क परंपरा में, ऐसा कोई अंतर नहीं हैं, और वहा पर कोई मंजरी भावना अलग नहीं हैं, कारण की यहां पर केवल श्री राधा निकुंज में ही उपासना होती हैं यहां पर और कोई सखी की अलग कुंज को स्वीकार ही नहीं किया गया हैं, यहां पर केवल श्री राधे जू की निकुंज को ही स्वीकार किया गया हैं, केवल श्री राधे जू की निकुंज हैं जहां पर केवल श्री राधे जू ही स्वामिनी हैं और सब की सब श्री राधे जू की ही निज सखी, सहचरी हैं तो यह भावना ठीक गौडीय परंपरा की मंजरी भावना जैसी ही हैं और ये भावना ही सर्वश्रेष्ठ भावना हैं
जो भी हमे भावना चाहिए, उसी भावना के रसिक महापुरुष को गुरु के रूप में स्वीकार करे, उसी भावना का सत्संग, संग, चिंतन करे, उसी भावना के साधकों का संग करे, उसी भावना को गहराई से समझे, स्वीकार करे और ह्रदय में उतारे, उसी भावना अनुसार अपनी मानसिक भावना करे, फिर उसी भावना में ही डूबते जाय, एकाकार होता जाय, जब प्रेम का अमृतमय आनंद मिलने लगता हैं फिर सब सहज होने लग जाता हैं, लेकिन तब तक इसी प्रेम की भावनाओ से हिरदाय को निर्मल करता जाय, ह्रदय को भरता जाय
@@prem.sampda premanand maharaj bhi sehchari bhaav mein hn? Unka lecture lun toh kya mujhe bhi ye bhaav mil sakta h ? Lekin sakhi Ek dikat h 🤷🏻♀️ Meri shuruat sadhna mein iskcon k through hui h ..abhi tak mai unke bataye hue process ko hi follow krti aai hun Aur agar radhavallabhi smpraday aur iskcon ko compare karein toh dono mein bhinata aram se mil jati hn Aise mein mai kya karun Meri diksha nhi hui h na hi guru swikara h lekin srila prabhupad ko hi follow kiya h aur senior devotees ko
@@RKDDH श्री राधावलभीय परंपरा में आप हित अमरीश जी को फॉलो कर सकती हैं, पर्सनली चॉइस मुझे प्रेमानंद जी से ज्यादा hita ambrish जी ज्यादा भावुक, लगे। प्रेमानंद जी भी ठीक हैं, दोनो की एक ही उपासना हैं परंतु पर्सनली मुझे hita ambrish जी ज्यादा भावुक लगे। गोडीय परंपरा में श्री गौर दास जी को फॉलो कर सकती हैं। स्वामी हरिदास जी की परंपरा में गोरे लाल कुंज वाले श्री महाराज जी, श्री किशोर देव जू महाराज को फॉलो कर सकती हैं, दीक्षा की कोई जल्दी नहीं हैं, सत्संग सुने और भावना को धारण करे। हमे तो किसी संप्रदाय में कोई अंतर नहीं दिखता, अंतर केवल ऊपर ऊपर का ही हैं, जब तक प्रेम की तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता, जब हम प्रेम भावना को ग्रहण करने लगते हैं तब कोई अंतर नहीं दिखता हैं। अंतर केवल बाहरी हैं, अंदर सब एक ही हैं प्रेम से परिपूर्ण और प्रेम से परिपूर्ण करने के लिए ही। सब प्रियाप्रियतम तक पहुंचने के लिए ही उनकी निज सखियों द्वारा स्थापित मार्ग हैं, सब प्रियाप्रियतम की सखियां ही हैं उनमें क्या अंतर। सब मार्ग प्रेम की भावना से भरना सिखाते हैं। और iskon से आगे भी बहुत मार्ग हैं, इस्कॉन तो इस विशाल प्रेम समुद्र का एक छोटा सा किनका हैं, यदि iskon में भी मन चाही भावना अनुरूप संग मिल रहा हो तो कोई प्रोब्लम ही नहीं, लेकिन यदि नहीं मिलता तो सब मार्ग उन एक ही प्रियाप्रियतम के हैं, उन तक ले जाने के लिए ही हैं, उनके प्रेम से भरे ही हैं। प्रेमहीन दृष्टि से अलग अलग हैं, प्रेममई दृष्टि से सब एक ही हैं- बस प्रेम से भरे हुए हम किसी एक संप्रदाय के नहीं, सभी प्रियाप्रियतम के संप्रदाय हैं, इसीलिए सब ही मेरे संप्रदाय हैं, सब ही मेरे गुरु, आचार्य हैं। सब ही परिपूर्ण प्रेममय हैं, सब ही परिपूर्ण प्रेममय करने के लिए ही हैं, जैसे यमुना की के अलग अलग घाट, जिनके नाम, बनावट, बसावट, जगह अलग अलग, लेकिन सब ही एक ही यमुना जू का परम निर्मल जल का पान कराते हैं, सब ही एक ही यमुना रजरानी का दर्शन, स्पर्श, अचमन, निमज्जन प्रदान करते हैं, अब जहा भी मन माने वही से पान करो जमुना जल का, सब जगह की बनावट में, बसावट में अंतर हैं, लेकिन यमुना जू के जल में कोई अंतर नहीं, जिसके लिए ही अलग अलग जगह, अलग अलग घाट बन हैं, वह मुख्य बात तो एक ही हैं, एक ही यमुना जू का निर्मल जल हर जगह है
जो भाव चाहिए, उसी भाव का सत्संग सुनना चाहिए, उस भावना को स्वीकार कर उसका चिंतन करना चाहिए, वैसे ही संग को पकड़ना चाहिए जहा ये भाव पुष्ट हो। सर्वोपरि सत्संग हैं, उसी भावना का सत्संग सुने। आप चाहे तो Prem Sampda की सीरीज को शुरुवात से सुने, साथ ही Prem Yog की सीरीज को भी शुरुवात से सुने। प्लेलिस्ट भी बनी हुई है वहा से भी सुन सकती हैं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Pyari ... Gopi kon h ..kya bhaav hote hn inke ...ye swarthi hoti hn kya ...ahumta hoti h kya inmein ... Lekin to bhi krsna swayam kehte hn ki gopi hi sarwa sresht guru hn ..bhakt hn Kya sakhiyan ..sehchariyan..manjariyan ..kinkariyan .. Ye sab gopi nhi hn ? Kya antar h gopi aur inmein Kya ye sri ji ko pramukh nhi rakhti hn ?
नहीं नहीं, गोपियों का प्रेम तो परम पवित्र हैं, गोपी प्रेम की ध्वजा हैं, अनादि काल से संसार में रहते हुए, जिस प्रकार का स्वार्थ हम जानते हैं, हम समझते हैं, उसकी तो कल्पना का लवलेश भी नहीं होता इनके अंदर, उस प्रकार के स्वार्थ से तो ये सर्वथा मुक्त हैं, लेकिन फिर भी इनमे स्वार्थ आता हैं, और वो स्वार्थ संसार की तरह का मालिन स्वार्थ नहीं होता, वो स्वार्थ भी इतना महा महासौभाग्य शाली होता हैं, इतना निर्मल होता हैं, इतना प्रेममय मधुर होता हैं, की जिसकी कामना बड़े बड़े महापुरुष करते हैं परंतु प्यारी जू का प्रेम तो सर्वोपरि सब प्रकार के स्वार्थ से सर्वथा रहित हैं। गोडीय परंपरा में अष्टसखी, गोपी भी हैं, सखी भी है और मंजरी भी हैं, और फिर अंततः प्रिया जू भी हैं, और फिर प्रिया जू से भी आगे फिर प्रियप्रियतम जू की सहचरी भी हैं, (प्रियाप्रियतम जू की सहचरी भावना प्रिया जू से भी आगे की बात हैं) सब जगह हैं अष्टसखी, प्रेम की आचार्या जो हैं यहां जो अंतर हैं इन सबमें, वह जीव की क्रमश उन्नति के अनुसार हैं, जीव की क्रमश उन्नति करने के लिए हैं, जीव को उन अन्तर से बनी सीमा में बांध कर रखने के लिए नहीं हैं। गोपी से श्रेष्ठ सखी, सखी से श्रेष्ठ मंजरी, (मंजरी से श्रेष्ठ प्रिया जू और फिर प्रिया जू से भी श्रेष्ठ प्रियाप्रियतम जू की सहचरी और ये श्रेष्ठता, प्रेम के निर्णलतम आसवादवान के आधार पर हैं, एक भावना से आगे दूसरी भावना में क्रमश अधिकाधिक निर्मलतम प्रेम का आसवादन)(सबसे अंतिम स्थिति प्रियाप्रियतम की सहचरी की हैं, सबसे उत्तम प्रेम का आसवादन यहां पर हैं, इससे परे, इससे आगे, इससे ऊपर, इससे श्रेष्ठ कुछ नहीं) और ये इन भावनाओ में ये जो अंतर, अंतर को बनाए रखने के लिए नहीं हैं, अपितु जीव की क्रमश उन्नति कराते हुए उसे प्रेम के सर्वोपरि आसवादन तक पहुंचने के लिए हैं, जैसे स्कूल में 8rth class, 9th class, 12 class का अंतर होता हैं जरूर, परंतु ये अंतर, अंतर को बनाए रखने के लिए नहीं हैं, अपितु बच्चे की क्रमश उन्नति करते हुए उसे पीएचडी कराने के लिए ही हैं, उसे डॉक्टर बनाने के लिए ही हैं। श्यामसुंदर तो सबके ही पति हैं, प्रियतम हैं, जीव मात्र के प्रियतम हैं, मंजरी के भी प्रियतम हैं, पति हैं, फिर वहा प्रीति का निर्वाह कैसे होता हैं। Actually ये इतना कुछ लिखना, लिख कर समझ पाना मुश्किल लग रहा हैं, ये हमारा नंबर हैं- 7060487235, इस पर कॉल कीजिएगा सुबह 9:30 के बाद, कभी भी, कृपा से जो बात अनुभव में आई हैं उसे समझने की कोशिश होंगी 🙏🏻🙏🏻
@@prem.sampda hari bol pyari ju 🦋🍁 Hmein nhi pata tha ki aapka ek youtube chanel bhi h 🥰 Aap kitni pyari baatein batati hn apne channel par 🤗 Aap par toh apar kripa h aapke Guru ki 🪷🪷🪷