स्वचिंतन अर्थात अपनी सूक्ष्म कमजोरी को महसूस करना और उसे निकालने का पुरुषार्थ करना।दूसरा कैसा भी हो दूसरो के लिए सदैच प्रेम स्नेह और शुभ भावना से बोलना या प्यार से शिक्षा देना।क्योंकि हर आत्मा को प्यास है प्रेम की।
22 окт 2024