सफाई के लिए नहाना,धोना तो अच्छी बात है लेकिन रजस्वला कन्या अशुद्ध हो गई ये ग़लत बात है। क्योंकि इस शरीर में टट्टी, पेशाब, थूक,नाक,वल्गम,रक्त मांस हमेशा रहता है। फिर शुद्ध क्या हो जाएगा।
Iske 3 karan hai Pahla ki kanya ko aaram krne ke uddeshya se bola gaya hai, aise samay me usko infection na ho jaye. Dusra har manushya ki aadat alag alag hoti koi saaf safai ka khyal nahi rakhte hai aur us samay log joint femily me rahte the, Agyani purush ke liye ki us samay sambandh na banaye.
प्रणाम आचार्य जी मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है तो यह अशुध्द क्यों मानी गई है क्यों वो भोजन नहीं बना सकती यज्ञ पूजन नहीं कर सकती क्या वैदिक काल में भी इसी प्रकार स्त्रियों को रहना पड़ता था कि वो किसी वस्तु को छू नही सकती थी। आज भी स्त्रियों के साथ यही होता है अगर वो इन दिनों में घर में रसोई या पूजन आदि की वस्तु को छू ले तो वह वस्तु अपवित्र हो जाती है क्यों आचार्य जी ?
अशुद्ध नहीं माना जाता है, आयुर्वेद के अनुसार in दिनों मे स्त्री के शरीर तंत्रों मे गर्मी अधिक बढ़ जाती है और उसे आग से दूर रहना चाहिए इसलिए रसोई और यज्ञ करना मना है। 'Acharya mehulbhai' channel पे जाके playlist मे मासिक धर्म के वीडियो देखिए देखने उन्होंने विस्तार से बताया है।
जी इन दिनों उनको आराम करना चाहिए बस इसलिए नही जाना चाहिए पर अगर उनकी इच्छा है ही की खाना बनाए तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। पर मेरे ख्याल से तो उन्हे इसलिए नही जाना चाहिए क्योंकि उनको इन दिनों आराम करना चाहिए। बाकी अगर उनको कोई काम करना ही है तो कर सकते है कोई दिक्कक नही है।
समय और काल का अन्तर आता है । अशुद्धि वाली बात हटा दिये तों ' उस समय विज्ञान इतना उन्नत नही था । आज विज्ञान काफी अविष्कार कर चुका है । यहां ठीक से समझे तो झगड़ा खत्म हो जायेगा ।