ईश्वर सर्वव्यापी है, वह सृष्टि के कण-कण में व्याप्त है। ईश्वर एक ही है, अगर अनेक है तो आपस में टकराव होगा। जो घर में अनेक मूर्तियां रखी हैं वे सब काल्पनिक हैं और जब तक अज्ञानता है तभी तकमनुष्य मूर्ति पूजा करता है शत् शत् नमन स्वामी जी 🙏
प्रणाम स्वामी जी ! आँप कहते है ईश्वर का कोई आकार नही निराकार है!तो लोग क्यो कन्हा, कनैह्या, बोल्ते है ? माहा भारत मे अर्जुनको बिरात स्वरूप देखाया था!कृष्ण भगवान ने! अौर गिता उपदेस भि दियाथा! शास्त्र मे लिखा है स्वामी जी !किसको झुठ कहे किस्को सचमाने हम तो दुबिधामे पर गय है स्वामी जी!