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साढौरा राम लीला भाग - 4 (2024) सीता स्वयंवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद ।  

sadhaura ramlila
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*सीता स्वयंवर* वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड में वर्णित एक प्रसिद्ध कथा है, जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह से संबंधित है। यह कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है, जिसमें वीरता, प्रेम और कर्तव्य का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है।
कथा इस प्रकार है:
मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता, अनुपम सुंदरता और अद्वितीय गुणों की धनी थीं। राजा जनक को सीता अत्यधिक प्रिय थीं। जब सीता विवाह योग्य हुईं, तो राजा जनक ने उनके विवाह के लिए एक विशेष शर्त रखी। राजा जनक के पास भगवान शिव का एक महान धनुष था, जिसे "शिवधनुष" के नाम से जाना जाता था। यह धनुष इतना भारी और विशाल था कि उसे उठाना और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाना किसी सामान्य व्यक्ति के बस की बात नहीं थी।
राजा जनक ने घोषणा की कि जो भी वीर इस शिवधनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ा सकेगा, उसी से सीता का विवाह होगा। इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए अनेक राजा, महाराजा और योद्धा मिथिला पहुंचे, लेकिन कोई भी शिवधनुष को हिला तक नहीं सका।
इसी बीच, अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्रों - राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न - के साथ महर्षि विश्वामित्र मिथिला पहुंचे। जब स्वयंवर में राम को यह अवसर मिला, उन्होंने गुरु विश्वामित्र के आदेश पर शिवधनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही वह धनुष टूट गया। राम के इस अद्भुत वीरता के प्रदर्शन से पूरा सभा स्तब्ध रह गया। राजा जनक ने अत्यंत प्रसन्न होकर सीता का विवाह राम से संपन्न किया।
सीता स्वयंवर की यह कथा भगवान राम और माता सीता के दिव्य प्रेम, राम की अद्वितीय वीरता और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है।

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Опубликовано:

 

10 окт 2024

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نترس تو برق نبود😅😅
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ТЕПЕРЬ ТОЧНО ЗАПОМНИТ😂
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