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सिहावा पर्वत | Shringi Rishi Sihawa Parvat | Dhamtari City | Raipur City | Santu Dhurwe Vlogs 

SANTU DHURWE VLOGS
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सिहावा पर्वत | Shringi Rishi Sihawa Parvat | Dhamtari City | Raipur City | Santu Dhurwe Vlogs
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रायपुर से धमतरी होते हुए 140 किलो मीटर पर नगरी-सिहावा है, यहाँ रामायण कालीन सप्त ॠषियों के प्रसिद्ध आश्रम हैं। नगरी से आगे चल कर लगभग 10 किलोमीटर पर भीतररास नामक ग्राम है। वहीं पर श्रृंगि पर्वत से महानदी निकली है। कर्णेश्वर महादेव मंदिर, गणेश घाट, हिरंगी हाथी खोट का आश्रम, दंतेश्वरी की गुफा, अमृत कुंड और महामाई मंदिर उल्लेखनीय पवित्र स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहीं से महानदी का उद्गम होता है। सिहावा पर्वत छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी जिले के नगरी नगरी विकास खंड के अंतर्गत आता है जहां से महानदी का उद्गम एक कमंडल से हुआ माना जाता है उस पर्वत ने ऋषि मुनि के कमंडल जब लुढ़क कर गिर गया तो वहां से जल की धारा प्रवाहित होने लगी जो महानदी के रूप में विख्यात है ऐसा माना जाता है महानदी पर्वत के शीर्ष से भाग से प्रवाहित होकर पहाड़ के आंतरिक भागों से होती हुई नीचे धरातल पर गणेश घाट से निकलती है इस पर्वत के एक और शीतला मंदिर स्थित है और दूसरी और गणेश जी का गणेश मंदिर स्थित है जो कि बहुत ही प्रसिद्ध है
सिहावा की सप्त ऋषियों की इस तपोभूमि के इस पवित्र आश्रम के जीर्णोद्धार व देखभाल की आवश्यकता है। ये
पुरातन मान्यताओं के अनुसार सप्ता ऋषियों में सबसे वरिष्ठ अंगिरा ऋषि को माना जाता है। प्राचीन काल में यही उनकी तपोभूमि थी। इस पर्वत को श्रीखंड पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं में अंगिरा ऋषि की तप की महिमा का विवरण मिलता है। आश्रम के पुजारी मुकेश महाराज के अनुसार प्राचीनकाल में एक समय अंगिरा ऋषि अपने आश्रम में कठोर तपस्या में लीन थे। वे अग्नि से भी अधिक तेजस्वी बनना चाहते थे। अपनी कठिन तपस्या से महामुनि अंगिरा संपूर्ण संसार को प्रकाशित करने लगे। आज पर्वत शिखर पर स्थित एक छोटी सी गुफा मे अंगिरा ऋषि की मूर्ति विराजमान है। कहते हैं कि पुरातन मूर्ति जर्जर होकर खंडित हो चुकी थी। तब आसपास के 12 ग्राम के भक्तों ने मिलकर एक समिति बनाई। समिति को श्री अंगिरा ऋषि बारह पाली समिति नाम दिया गया। समिति के सदस्यों ने पर्वत शिखर पर अंगिरा ऋषि की मूर्ति की स्थापना की। साथ ही भगवान शिव, गणेश, हनुमान की मूर्तियों को भी स्थापित किया। पर्वत के नीचे एक यज्ञा शाला देखा जा सकता है। कहते हैं वहां अंगिरा ऋषि का चिमटा व त्रिशूल आज भी पूजा के लिए रखा गया है। नवरात्र में भक्तों द्वारा यहां मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है। अघन पूर्णिमा पर्व में श्रीराम नवमी का आयोजन होता है।
सात से अधिक गुफाएं
इस पर्वत में सात से भी अधिक गुफाएं हैं। इन गुफाओं में से एक में निरंतर एक दीप प्रज्वलित हो रहा है। मान्यता है वहां आज भी अंगिरा ऋषि का निवास है। पर्वत के शिखर पर एक शीला में पदचिन्ह बना हुआ देखा जा सकता है। लोगों की आस्था है कि यह पदचिन्ह भगवान श्रीराम के है। वनवास काल में उनका आगमन अंगिरा ऋषि के आश्रम में हुआ था।
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10 окт 2024

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